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This Article is From Jul 23, 2014

शिवसेना के सांसदों ने महाराष्ट्र सदन में रोजेदार को जबरन खिलाई रोटी

मुंबई:

शिवसेना के सांसदों ने महाराष्ट्र सदन में एक रोजेदार का जबरन रोटी खिलाई, हालांकि शिवसेना ने अपने 11 सांसदों पर लगे आरोपों को गलत बताया है। इससे जुड़ा वीडियो भी सामने आया है, जिसमें सांसद रोजेदार को जबरन रोटी खिलाते दिख रहे हैं।

खबरों के मुताबिक, दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में महाराष्ट्र का खाना नहीं परोसे जाने से नाराज सांसदों ने कैटरिंग सुपरवाइज़र अरशद जुबैर को जबरन रोटी खिलाई जबकि सुपरवाइजर रोजे पर था। यह घटना 17 जुलाई की है।

घटना के कुछ देर बाद ही महाराष्ट्र सदन में कैटरिंग की जिम्मेदारी संभालने वाली एजेंसी आईआरसीटीसी ने विरोध जताते हुए कामकाज बंद कर दिया। साथ ही आईआरसीटीसी ने  इस मामले पर जांच बिठा दी है। जांच टीम तीन दिन में रिपोर्ट देगी।

इस मामले पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि किसी की धार्मिक भावनाओं को दुखाने का कोई इरादा नहीं है। शिवसेना की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।

उधर, वीडियो में जबरन रोटी खिलाते दिख रहे सांसद राजन विचारे ने इस मामले पर माफी मांगने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। हमें नहीं पता था कि वह मुस्लिम है। मैं खुद इफ्तार पार्टियों में जाता हूं।

इससे पहले उन्होंने कहा था कि मीडिया बेवजह बात को बढ़ा रहा है। सदन में पानी और रहने की व्यवस्था ठीक नहीं है। जिस तरह का खाना दिया जाता है, ऐसी रोटी खाने के लायक नहीं है। हम खाना खाने यूपी और गुजरात सदन जाते हैं। सदन में एमपी रहने को तैयार नहीं हैं। वह केटरर जिम्मेदारी से भाग रहा था। मैंने कोई मारपीट नहीं की, बस उसको रोटी खाने को बोला। किसी के चेहरे पर नहीं लिखा होता कि वह हिन्दू है या मुस्लिम।

वहीं शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि यह शिवसेना को बदनाम करने की कोशिश है।  हम महाराष्ट्र सदन में फैली अव्यवस्था के खिलाफ़ आन्दोलन कर रहे हैं।  महाराष्ट्र सदन में ढंग से न पानी मिलता है न खाना। किसी के माथे पर लिखा नहीं होता की वह किस धर्म का है। यह आंदोलन का तरीका था।

महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि वह मामले की जांच कर रही है और इस मामले में जरूरी कार्रवाई की जाएगी। वहीं सांसदों का कहना है कि उन्हें महाराष्ट्र सदन में अपमानित किया गया, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है।

इस विवाद में शामिल सांसदों में से एक श्रीकांत शिंदे ने कहा कि हमने किसी को रोजा तोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया। ये आरोप झूठे हैं। हमने खराब सर्विस और गंदे खाने के खिलाफ शिकायत की थी।

वहीं अरशद जुबैर ने स्थानीय आयुक्त को पत्र लिखकर कहा कि मेहमान किचन में घुसे, मुझे पकड़ लिया और चपाती मेरे मुंह में डाल दी। यह भी बताया कि उसने यूनिफॉर्म पहन रखी थी, जिस पर नाम पट्टी लगी थी। उसने लिखा कि इससे मेरी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।

शिवसेना के 11 सांसदों पर एक रोज़ेदार की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगे हैं। शिवसेना ने इन आरोपों को गलत बताया है। इस मामले को लेकर संसद में भी जोरदार हंगामा हुआ, जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के एम आई शाहनवाज को यह विषय उठाने की अनुमति दी। शाहनवाज ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सदन में वहां के एक कर्मचारी को शिवसेना के कुछ सांसदों ने केवल इसलिए चपाती खाने पर मजबूर किया कि क्योंकि वह उन्हें महाराष्ट्रीयन खाना उपलब्ध नहीं करा पाया था।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह विषय इसलिए गंभीर है क्योंकि यह रमजान का पवित्र महीना है और संबंधित कर्मचारी जिसे जबरन चपाती खिलायी गई, उसका रोजा था।

उन्होंने कहा कि इस कर्मचारी की नेमप्लेट से भी यह साफ था कि वह मुस्लिम है। इसके बावजूद रमजान के महीने में उसके साथ यह व्यवहार किया गया।

इस बीच संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने शाहनवाज द्वारा इस कर्मचारी का नाम लेने और इस विषय को उठाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सदन के बाहर के व्यक्ति का नाम नहीं लिया जा सकता है और साथ ही यह एक संवेदनशील मामला है और सच्चाई क्या है, यह मालूम नहीं इसलिए मामला रिकॉर्ड में नहीं जाना चाहिए।

बहरहाल, अध्यक्ष ने शिवसेना के अनंत गीते को उनकी बात रखने का अवसर दिया। गीते ने कहा कि रमजान एक पवित्र महीना माना जाता है और सभी उसका सम्मान करते हैं और इसलिए इस पवित्र महीने में किसी को असत्य बात नहीं कहनी चाहिए। उन्होंने ऐसी कोई घटना होने से इनकार किया।

इस मामले पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं देखना चाहूंगा, अगर किसी मुस्लिम सांसद ने किसी गैर-मुस्लिम शाकाहारी को जबरन मांस खिलाया होता तो बीजेपी-शिवसेना कैसी प्रतिक्रिया देते।

वहीं महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मुद्दा यह नहीं कि कर्मचारी मुस्लिम है। वह हिन्दू भी होता तो शिवसेना सांसदों का व्यवहार स्वीकार करने लायक नहीं।

(इनपुट्स भाषा से भी)

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