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This Article is From Feb 26, 2020

शिवसेना ने दिल्ली हिंसा की तुलना सिख विरोधी दंगों से की, कहा- अहमदाबाद में नमस्ते और दिल्ली में हिंसा

शिवसेना ने दिल्ली की इस भयावह स्थिति को एक डरावनी फिल्म करार देते हुए कहा कि इसने 1984 सिख विरोधी दंगों के जख्मों को एक बार फिर ताजा कर दिया.

शिवसेना ने दिल्ली हिंसा की तुलना सिख विरोधी दंगों से की, कहा- अहमदाबाद में नमस्ते और दिल्ली में हिंसा
अहमदाबाद में 'नमस्ते' और दिल्ली में हिंसा. दिल्ली की ऐसी बदनामी पहले कभी नहीं हुई: शिवसेना
मुंबई:

शिवसेना ने दिल्ली की इस भयावह स्थिति को एक डरावनी फिल्म करार देते हुए कहा कि इसने 1984 सिख विरोधी दंगों के जख्मों को एक बार फिर ताजा कर दिया. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब 'प्रेम का संदेश' देने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे तब उसकी सड़कों पर खून-खराबा मचा था और इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी की कभी इतनी बदनाम नहीं हुई थी. शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के सम्पादकीय ने अफसोस जताया कि ऐसे समय दिल्ली में ट्रंप का स्वागत किया गया जब उसकी सड़कों पर खून-खराबा मचा था. उसने कहा कि हिंसा सीधे तौर पर यह संदेश दे सकती है कि केन्द्र सरकार दिल्ली में कानूव एवं व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम रही. शिवसेना ने कहा, 'दिल्ली में हिंसा भड़की. लोग डंडे, तलवार, रिवाल्वर लेकर सड़कों पर आ गए, सड़कों पर खून बिखरा था. दिल्ली में स्थिति एक डरावनी फिल्म की तरह थी, जिसने 1984 के सिख विरोधी दंगों के जख्मों को हरा कर दिया.' उसने कहा कि भाजपा आज भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई हिंसा में सैकड़ों सिखों की हत्या के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराती है.

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शिवसेना ने "कुछ भाजपा नेताओं की धमकी और चेतावनी की भाषा" का जिक्र करते हुए कहा कि यह स्पष्ट किए जाने की जरूरत है कि दिल्ली के मौजूदा दंगों के लिए कौन जिम्मेदार है. सम्पादकीय में कहा गया है, "राष्ट्रीय राजधानी उस समय झुलस रही थी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वार्ता कर रहे थे." उसने कहा, "यह बिल्कुल ठीक नहीं है कि ट्रंप का दिल्ली में स्वागत हिंसा की डरावनी फिल्म, सड़कों पर खून-खराबा, लोगों की चीख-पुकार और आंसू गैस के गोलों के बीच किया गया. ट्रंप साहेब प्रेम के संदेश के साथ दिल्ली आए थे, लेकिन उनके सामने कैसी तस्वीर पेश की गई. अहमदाबाद में 'नमस्ते' और दिल्ली में हिंसा. दिल्ली की ऐसी बदनामी पहले कभी नहीं हुई."

ट्रंप 24 और 25 फरवरी को भारत यात्रा पर आए थे. गौरतलब है कि दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले समूहों के बीच संघर्ष ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया. उपद्रवियों ने कई घरों, दुकानों और वाहनों में आग लगा दी और एक-दूसरे पर पथराव किया. इन घटनाओं में बुधवार तक कम से कम 20 लोगों की जान चली गई और करीब 200 लोग घायल हो गए हैं. ट्रंप यात्रा के दौरान हिंसा की खबरों को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा, "गृह मंत्री ने आरोप लगाया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में ट्रंप की यात्रा के दौरान हिंसा की साजिश रची गई."

उसने कहा, "गृह मंत्री को सीएए को लेकर हुई हिंसा के पीछे साजिश का ना पता होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. दंगों को उस साहस से नियंत्रित करने में कोई दिक्कत नहीं थी, जैसा कि धारा 370 और 35ए खत्म किए जाने के समय किया गया." उसने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा वार्ताकार नियुक्त किए जाने के बावजूद शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ. शिवसेना ने कहा, "ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ भाजपा नेताओं के धमकी और चेतावनी भरे लहजे के बाद हिंसा भड़की. तो, क्या कोई चाहता था कि शांतिपूर्ण आंदोलन (शाहीन बाग में) दंगों के वर्तमान स्वरूप में बदल जाए? वे कम से कम ट्रंप के वापस लौटने तक रुक सकते थे."

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उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के कुछ दिन बाद ही दंगे होने पर भी सवाल उठाए. शिवसेना ने कहा, "यह संदिग्ध है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के कुछ दिन बाद ही हिंसा हो गई। भाजपा हार गई और अब दिल्ली की यह हालत है." शिवसेना और भाजपा लंबे समय तक सहयोगी दल रहे चुके हैं. लेकिन अब महाराष्ट्र में शिवसेना का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन हैं. 

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