अहमदनगर:
महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में सालों पुरानी परंपरा टूट गई। यहां स्थित चबूतरे पर महिलाओं को भी पूजा करने की इजाजत मिल गई। दरअसल, शुक्रवार को यहां करीब 100 पुरुषों ने जबरन पूजा की थी। वह एक-एक कर चबूतरे पर पहुंचे और उन्होंने शिला को नहलाया। पुरुषों का यह शिला पूजन महाराष्ट्र सरकार के आदेश के खिलाफ था। इस घटना के बाद मंदिर के ट्रस्ट ने फैसला लिया कि महिलाओं को भी इस चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत होगी। हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने 9 फरवरी 2011 से ही चबूतरे में पूजन पर पाबंदी लगा रखी थी। पिछले काफी समय से महिलाएं यहां पूजा करने की कोशिश करती रही हैं, जिनका विरोध हुआ है। इसको लेकर मामला अदालत में भी पहुंचा। अदालत में राज्य सरकार ने साफ़ किया था कि मंदिर में महिलाओं के जाने पर किसी भी तरह की रोक नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि हिन्दू मंदिरों में महिला और पुरुषों को पूजा का समान अधिकार है।
शनि मंदिर में तेल चढ़ाने पर विवाद
पिछले साल शनि शिंगणापुर मंदिर में शनि की मूर्ति पर एक महिला द्वारा तेल चढ़ाने पर यह विवाद शुरू हुआ था। महिला के तेल चढ़ाने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था। इसके बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें मंदिर पहुंचने से पहले ही रोक लिया। तब से अब तक वह कई कोशिश कर चुकी हैं। इसके बाद महिलाओं को शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश के अधिकार पर बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका भी दायर हुई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि पूजास्थलों पर जाना उनका मौलिक अधिकार है और इसकी रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है।
छह महीने की जेल का प्रावधान
महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा था कि हम कानून लागू कर रहे हैं, जिसमें मंदिर में पूजा करने से रोका गया तो उसे छह महीने की जेल हो सकती है। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी इस संबंध में कोर्ट के ऑर्डर का समर्थन किया था और कहा कि हिन्दू संस्कृति में किसी भी प्रकार के भेदभाव का कोई स्थान नहीं है।
(इनपुट्स एजेंसी से भी)
गौरतलब है कि सरकार ने 9 फरवरी 2011 से ही चबूतरे में पूजन पर पाबंदी लगा रखी थी। पिछले काफी समय से महिलाएं यहां पूजा करने की कोशिश करती रही हैं, जिनका विरोध हुआ है। इसको लेकर मामला अदालत में भी पहुंचा। अदालत में राज्य सरकार ने साफ़ किया था कि मंदिर में महिलाओं के जाने पर किसी भी तरह की रोक नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि हिन्दू मंदिरों में महिला और पुरुषों को पूजा का समान अधिकार है।
शनि मंदिर में तेल चढ़ाने पर विवाद
पिछले साल शनि शिंगणापुर मंदिर में शनि की मूर्ति पर एक महिला द्वारा तेल चढ़ाने पर यह विवाद शुरू हुआ था। महिला के तेल चढ़ाने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था। इसके बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें मंदिर पहुंचने से पहले ही रोक लिया। तब से अब तक वह कई कोशिश कर चुकी हैं। इसके बाद महिलाओं को शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश के अधिकार पर बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका भी दायर हुई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि पूजास्थलों पर जाना उनका मौलिक अधिकार है और इसकी रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है।
छह महीने की जेल का प्रावधान
महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा था कि हम कानून लागू कर रहे हैं, जिसमें मंदिर में पूजा करने से रोका गया तो उसे छह महीने की जेल हो सकती है। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी इस संबंध में कोर्ट के ऑर्डर का समर्थन किया था और कहा कि हिन्दू संस्कृति में किसी भी प्रकार के भेदभाव का कोई स्थान नहीं है।
(इनपुट्स एजेंसी से भी)
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