विज्ञापन
This Article is From Apr 15, 2012

अन्नादेल मैदान : सेना और हिमाचल सरकार में छिड़ी जंग

शिमला: हिमाचल प्रदेश में अन्नादेल मैदान को लेकर सेना और राज्य सरकार के बीच जंग छिड़ गई है। सेना ने जहां इसे रणनीतिक महत्व का करार देते हुए द्वितीय विश्वयुद्ध से ही अपने कब्जे में होने की बात कही है, वहीं राज्य सरकार का कहना है कि यह कब्जा गैर-कानूनी है।

सरकार यह मैदान स्थानीय प्रशासन को देने के पक्ष में है, ताकि यहां बहुद्देश्यीय खेल स्टेडियम का निर्माण हो सके। लेकिन सेना का कहना है कि यह देश की सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है और इसे किसी भी खेल के लिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

मैदान पर सेना के कब्जे के दावे को गैर-कानूनी करार देते हुए मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा, "अन्नादेल मैदान पर सेना का गैर-कानूनी कब्जा है, क्योंकि इसकी लीज अवधि 30 वर्ष से भी पहले ही समाप्त हो गई।"

बहुद्देश्यीय स्टेडियम के निर्माण के लिए हिमाचल प्रदेश क्रिक्रेट एसोसिएशन (एचपीसीए) इस मैदान को स्थानीय प्रशासन को देने की मांग कर रही है, जिसके अध्यक्ष धूमल के बेटे व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अनुराग ठाकुर हैं।

धूमल का बयान पश्चिमी कमान की ओर से जारी बयान के बाद आया, जिसमें कहा गया है, "राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अन्नादेल मैदान का सेना के लिए रणनीतिक महत्व है और इसे किसी भी खेल के लिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"

सेना ने स्पष्ट किया कि मैदान आपदा प्रबंधन एवं राहत अभियान शुरू करने के लिए बेस के रूप में काम करता है।

सेना के बयान में कहा गया है कि अन्नादेल मैदान का इस्तेमाल वर्ष 1888 में डूरंड फुटबॉल टूर्नामेंट सोसाइटी द्वारा किया गया था। इसके बाद द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सेना ने प्रशिक्षण शिविर के लिए इसे अपने कब्जे में ले लिया था। सेना इस मैदान के नागरिक इस्तेमाल की अनुमति नहीं देती।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
अन्नादेल मैदान, सेना, Army, हिमाचल सरकार
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com