वैज्ञानिक बोले- बढ़ती असहिष्णुता परमाणु बम जैसी, राष्ट्रपति से किया कार्रवाई का अनुरोध

वैज्ञानिक बोले- बढ़ती असहिष्णुता परमाणु बम जैसी, राष्ट्रपति से किया कार्रवाई का अनुरोध

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)

चेन्नई:

कन्नड़ विचारक एमएम कलबुर्गी की हत्या सहित देश में घट रही असहिष्णुता की घटनाओं पर चिंता जताते हुए वैज्ञानिकों के एक समूह ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अनुरोध किया है कि वह 'उपयुक्त कार्रवाई करें।' वैज्ञानिकों ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी में यह भी कहा कि एक अत्यधिक ध्रुवीकृत समुदाय, परमाणु बम जैसा खतरनाक है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से 'मानवता विरोधी और सभ्यता विरोधी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील भी की है।' उन्होंने कहा, 'हम वैज्ञानिक, निर्दोष लोगों और तर्कवादियों की हत्या का कारण बनी असिहष्णुता, ध्रुवीकरण और साम्प्रदायिक घृणा के संदर्भ में हाल की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं।'

चिट्ठी लिखने वालों में कई वैज्ञानिक और शिक्षाविद् शामिल
राष्ट्रपति को सौंपे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों में पूणे स्थित इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) के पूर्व निदेशक नरेश दधीच तथा इस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंसेज (आईएमएस) के जी राजशेखरन शामिल हैं। इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय तथा हरीश चंद्र अनुसंधान संस्थान, इलाहाबाद के कुछ शिक्षाविद् भी इसमें शामिल हैं।

राष्ट्रपति से तुरंत कदम उठाने की गुजारिश
पत्र में राष्ट्रपति की हाल में लोगों को दी गई इस सलाह की तारीफ की गई है कि सभी तरह के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है, 'हम आप से इस घटनाक्रम पर गंभीरता से विचार करने और उपयुक्त कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों तथा लोगों को जारी एक अन्य पत्र में उन्होंने 'साम्प्रदायिक नफरत और समाज के ध्रुवीकरण को रोकने' की अपील करते हुए रेखांकित किया कि भारत एक बहुलतावादी देश है, जहां हर किसी समुदाय के लिए जगह है।

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यह परमाणु बम कभी भी फट सकता है
इसमें कहा गया है, 'अत्यधिक ध्रुवीकृत समुदाय परमाणु बम की तरह खतरनाक होते हैं। यह किसी भी समय फट सकता है और देश को विकट अराजकता में धकेल सकता है। यह अत्यधिक अस्थिर माहौल है और इस विषमता को खत्म करने के लिए जो भी हमारे हाथ में हो, वह करना चाहिए और समाज को वैज्ञानिक भावना से जागृत करना चाहिए।'