पुलिस की ओर से मीडिया को जानकारी देने के बारे में गाइडलाइन तय करेगा सुप्रीम कोर्ट

पुलिस की ओर से मीडिया को जानकारी देने के बारे में गाइडलाइन तय करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट पुलिस द्वारा मीडिया में दी जाने वाली अपराध की खबरों पर गाइडलाइन जारी करेगा. गिरफ्तारी के बाद किसी आरोपी की मीडिया परेड होगी या नहीं, यह सुप्रीम कोर्ट तय करेगा. आरोपी और पीड़ित की पहचान को लेकर भी गाइडलाइन जारी की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि पुलिस आपराधिक मामलों में मीडिया को किस तरीके से और कितनी जानकारी जारी करे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुछ सवालों के केंद्र सरकार और सब राज्य सरकारों से दो हफ्ते में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो कोई जवाब दाखिल नहीं करेगा तो यह समझा जाएगा कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है.

चीफ जस्टिस खेहर ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा पुलिस किसी केस में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है और बिना जांच किए ही आरोपी को प्रेस और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सामने पेश करती है. यदि आरोपी बाद में निर्दोष पाया जाता है तो भी उसकी साख खराब हो चुकी होती है. यह एक गंभीर मामला है क्योंकि यह सीधे-सीधे हर नागरिक की प्रतिष्ठा से जुड़ा है. 1999 से यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में है और अब तक सारा मामला हवा में है. लेकिन हम इस गंभीर मसले को लटकाना नहीं चाहते और जल्द ही इस पर फैसला देंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कई सवालों पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से जवाब मांगा है और उनके सुझाव मांगे हैं. पूछा गया है कि एफआईआर दर्ज होने से पहले मीडिया को आरोपी और अपराध के बारे में कितनी जानकारी दी जाए? एफआईआर दर्ज होने के बाद मीडिया को आरोपी के बारे में किस हद तक जानकारी दी जा सकती है? आरोपी के गिरफ्तार होने पर क्या उसकी फोटो या वीडियो दिया जा सकता है? क्या मीडिया के सामने परेड कराई जा सकती है? पीड़ित की पहचान संबंधी ब्यौरा दिया जा सकता है? किसी मामले की जांच से जुड़े ब्योरे को मीडिया के साथ साझा किया जा सकता है? किस हद तक?  ऐसा मामला जिससे सामुदायिक हिंसा भड़कने की आशंका हो तो मीडिया को घटना के बारे में किस हद तक ब्यौरा दिया जाए? ऐसी सूचना जिससे अपराध करने वाला पुलिस से बचने के लिए सतर्क हो जाए, कैसे मीडिया को दी जाए? महिलाओं के साथ होने वाले यौन संबंधी अपराधों में पीड़िता और उसकी किसी भी तरह की पहचान वाला ब्यौरा मीडिया को दिया जाए? ऐसे मामले जिनमें नाबालिग शामिल हो, उनमें क्या किया जाए? क्या हर थाने में पुलिस प्रवक्ता नियुक्त किया जाए या फिर किस स्तर का पुलिस अफसर मीडिया को ब्रीफ करे?


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