फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने जम्मू-कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल के मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ये पूछकर गलती की है कि जम्मू कश्मीर की सड़कों पर लोग प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर कोर्ट ने ये जानना चाहा था तो ये एक गलती थी. दरअसल ये टिप्पणी उस वक्त की गई जब याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट एसोसिएशन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ही जानना चाहता था कि राज्य की सड़कों पर लोग क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध किया और कहा कि इसे खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि पहले ही ऐसे मुद्दों पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है.
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आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भी सवाल उठाया था कि प्रदर्शनकारियों में 9,11, 13, 15 और 17 साल के बच्चे और नौजवान क्यों शामिल हैं ? रिपोर्ट के मुताबिक जख्मी लोगों में 40-50-60 साल के लोग नहीं हैं. खासकर 95 फीसदी जख्मी छात्र हैं. कोर्ट ने कहा था कि कश्मीर के हालात चिंताजनक हैं. हम एक गंभीर मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं.
वहीं केंद्र ने कहा कि पैलेट गन का इस्तेमाल आखिरी विकल्प पर तौर पर किया जा रहा है किसी को मारना सुरक्षा बलों का उद्देश्य नहीं है. कल कश्मीर में उपचुनाव के दौरान बडे पैमाने पर हुई हिंसा में शामिल कोई आम प्रदर्शनकारी नहीं है. जिनपर आसानी से काबू पा लिया जाए.
प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए नया प्लान बनाया गया है. वो पैलेट गन के अलावा किसी दूसरे विकल्प पर भी विचार कर रहा है. लेकिन याचिकाकर्ता की दलील है कि ये बच्चे और नौजवान प्रर्दशनकारी नहीं बल्कि देखने वाले होते हैं. सुरक्षा बल जब फायरिंग करते हैं या पैलेट गन चलाते हैं तो वो भी चपेट में आ जाते हैं. जो केंद्र ने हालात बताए वो सही नहीं हैं. कश्मीर में नागरिकों से युद्ध के हालात नहीं होने चाहिए.
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वहीं केंद्र ने कहा कि पैलेट गन का इस्तेमाल आखिरी विकल्प पर तौर पर किया जा रहा है किसी को मारना सुरक्षा बलों का उद्देश्य नहीं है. कल कश्मीर में उपचुनाव के दौरान बडे पैमाने पर हुई हिंसा में शामिल कोई आम प्रदर्शनकारी नहीं है. जिनपर आसानी से काबू पा लिया जाए.
प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए नया प्लान बनाया गया है. वो पैलेट गन के अलावा किसी दूसरे विकल्प पर भी विचार कर रहा है. लेकिन याचिकाकर्ता की दलील है कि ये बच्चे और नौजवान प्रर्दशनकारी नहीं बल्कि देखने वाले होते हैं. सुरक्षा बल जब फायरिंग करते हैं या पैलेट गन चलाते हैं तो वो भी चपेट में आ जाते हैं. जो केंद्र ने हालात बताए वो सही नहीं हैं. कश्मीर में नागरिकों से युद्ध के हालात नहीं होने चाहिए.
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