सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका (Judiciary) के खिलाफ प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के ट्वीट पर सख्त रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को कारण बताओ नोटिस जारी किया. शीर्ष न्यायालय ने प्रशांत भूषण को नोटिस जारी कर पूछा कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए. मामले में अगली सुनवाई पांच अगस्त को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल को भी नोटिस जारी कर मामले में सहयोग करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर से पूछा कि अवमानना की कार्यवाही शुरू होने के बाद भी उसने खुद से ट्वीट क्यों नहीं डिलीट किया. ट्विटर की ओर से पेश वकील साजन पोवैया ने कहा, "अगर अदालत आदेश जारी करती है तो ही ट्विट डिलीट हो सकता है. वो (कंपनी) अपने आप किसी ट्विट को डिलीट नहीं कर सकता है." कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सही पक्ष कैलिफोर्निया की ट्विटर इंक है, ट्विटर इंडिया नहीं.
प्रशांत भूषण के खिलाफ उनके दो ट्वीट्स को लेकर यह कार्यवाही शुरू की गई है. जिनमें से एक में उन्होंने कहा था कि पिछले छह सालों में देश के चार प्रधान न्यायाधीशों की लोकतंत्र बर्बाद करने में भूमिका रही है. दूसरा ट्वीट उन्होंने वर्तमान प्रधान न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबडे की पिछले महीने की उस तस्वीर को लेकर किया था, जिसमें वो हार्ले डेविडसन की बाइक पर बैठे नज़र आए थे. भूषण ने 'CJI बोबडे को बाइक पर बिना हेलमेट और मास्क के बैठने का आरोप लगाया था, जबकि कोर्ट को लॉकडाउन में रखा जा रहा है और लोगों से उनका न्याय का अधिकार छीना जा रहा है.'
CJI के करीबी सूत्रों ने NDTV को बताया था कि हार्ले डेविडसन बाइक उनके पास एक डीलर के जरिए लाई गई थी और वो बाइक पर 'फील के लिए बैठे थे.' सूत्रों ने यह भी बताया कि उन्होंने मास्क भी पहन रखा था, लेकिन बाइक पर बैठने के दौरान उन्होंने इसे निकालकर जेब में रख लिया था.
(भाषा के इनपुट के साथ)
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