अपनी मांगों को लेकर किसानों ने एक बार फिर आंदोलन की घोषणा की है. किसान 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी गारंटी सप्ताह मनाएंगे. जिसमें एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर लखीमपुर खीरी मामले को लेकर रोष प्रदर्शन किया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा कि तीन महीने बीतने के बाद भी सरकार द्वारा किसान आंदोलन को दिए आश्वासन पर अमल नहीं करने से सरकार की किसान विरोधी नियत जाहिर है. दिल्ली में गांधी शांति प्रतिष्ठान में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी संगठनों की बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला हुआ कि अगले महीने 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी की कानूनी गारंटी सप्ताह मना कर राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की जाएगी.
इस बैठक में लखीमपुर खीरी मामले में चल रही कानूनी प्रक्रिया की समीक्षा कर चिंता जताई गई कि पुलिस प्रशासन और अभियुक्त मिलकर अपराधियों को बचाने और बेकसूर किसानों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं. जिसके बाद मोर्चे ने तय किया कि इस मामले में कानूनी लड़ाई में कोई ढील नहीं बरती जाएगी और मोर्चे की तरफ से किसानों के परिवारों को पूरी कानूनी मदद दी जाएगी. इसके अलावा भारत सरकार द्वारा 9 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा को दिए लिखित आश्वासनों की समीक्षा की गई.
जिसके बाद किसानों ने कहा कि 3 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने अपने प्रमुख आश्वासनों पर कुछ भी नहीं किया है. एमएसपी पर जो कमेटी बनाने का आश्वासन था उसका नामोनिशान भी नहीं है. हरियाणा को छोड़कर अन्य राज्यों में किसानों के विरुद्ध आंदोलन के दौरान बने केस वापस नहीं लिए गए हैं. दिल्ली पुलिस ने कुछ केसों को आंशिक रूप से वापस लेने की बात कही है, लेकिन उसकी भी कोई ठोस सूचना नहीं है. देशभर में रेल रोको की केसों के बारे में भी कुछ नहीं हुआ है.
किसानों का कहना है कि लखीमपुर खेरी कांड पर सरकार की भूमिका और किसान आंदोलन को दिए आश्वासनों पर वादाखिलाफी के मुद्दे को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 मार्च को देशभर में रोष प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया है. मोर्चे ने फिर दोहराया कि 28 और 29 मार्च को ट्रेड यूनियन द्वारा भारत बंद के आह्वान का संयुक्त किसान मोर्चा समर्थन करता है और देश भर में किसान उसमें बढ़-चढ़कर भागीदारी करेंगे.
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