संजय राउत की सफाई-कराची बेकरी 60 साल से मुंबई में, शिवसेना नाम बदलने के खिलाफ

शिवसेना नेता नितिन नंदगांवकर को एक मिठाई विक्रेता से दुकान के नाम में से कराची (Karachi) शब्द को हटाने के लिए धमकाते देखा गया. नंदगांवकर का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद उन्हें खूब आलोचना झेलनी पड़ी.

संजय राउत की सफाई-कराची बेकरी 60 साल से मुंबई में, शिवसेना नाम बदलने के खिलाफ

Shiv Sena के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, बेकरी का पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं

मुंबई:

मुंबई में कराची बेकरी का नाम बदलने के लिए दुकान विक्रेता को धमकाने वाले शिवसेना नेता का वीडियो वायरल होने के बाद पार्टी बचाव की मुद्रा में आ गई है. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने इस मामले से पार्टी का पल्ला झाड़ा है. उन्होंने गुरुवार को सफाई दी कि कराची बेकरी या कराची स्वीट्स का नाम बदलने की मांग शिवसेना (Shiv Sena) की आधिकारिक मांग नहीं है. शिवसेना ऐसी किसी मांग का समर्थन नहीं करती. 

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राउत ने कहा, कराची बेकरी और कराची स्वीट्स पिछले 60 सालों में मुंबई में है. इसका पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है. इसका नाम बदलने की मांग बेतुकी है. नाम बदलने की मांग शिवसेना का आधिकारिक रुख नहीं है. दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें शिवसेना नेता नितिन नंदगांवकर को एक मिठाई विक्रेता से दुकान के नाम में से कराची (Karachi) शब्द को हटाने के लिए धमकाते देखा गया. नंदगांवकर का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद उन्हें खूब आलोचना झेलनी पड़ी.

दो मिनट के इस वीडियो में शिवसेना नेता नंदगांवकर को मिठाई दुकान के मालिक के साथ देखा जा रहा है. इसमें दुकान मालिक नंदगांवकर के सामने हाथ जोड़े नजर आया.खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले शिवसेना नेता नितिन नंदगांवकर का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद उन्हें खूब लानत-मलानत झेलनी पड़ी. हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि यह वीडियो कब का है और किसने इसे सोशल मीडिया पर साझा किया.

मुंबई के बांद्रा वेस्ट स्थित दुकान का नाम मुंबई-कराची स्वीट्स है. दो मिनट लंबी वीडियो क्लिप में नंदगांवकर नीली कमीज पहने दुकानदार से कह रहा है, "तुम्हारे पूर्वज पाकिस्तान से थे, तुम विभाजन के समय वहां से यहां आए और तुम्हारा स्वागत है. शिवसेना नेता ने कहा, "मैं कराची के नाम से नफरत करता हूं. पाकिस्तान का यह शहर आतंकियों का गढ़ है. तुम अपने पूर्वजों का नाम बैनर में लिख सकते हो, मैं उनका सम्मान करूंगा.तुम पाकिस्तान से आए थे, लेकिन यह तुम्हारा घर है, तुम्हें ये करना पड़ेगा. हम कारोबार को बढ़ाने में तुम्हारी मदद करेंगे. मैं तुम्हें मोहलत देता हूं, इसका नाम बदलकर मराठी में कुछ करो." फिर नंदगांवकर कैमरे की ओर मुड़ा और कहा कि दुकान मालिक उनकी मांग मानने को राजी हो गया है.

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