'पद्मावती' फिल्म में रणवीर, दीपिका और शाहिद कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं.
'बॉजीराव मस्तानी' के बाद मशहूर फिल्म मेकर संजय लीला भंसाली पीरियड फिल्म 'पद्मावती' बना रहे हैं. मुख्य भूमिका में रणवीर सिंह, शाहिद कपूर और दीपिका पादुकोण हैं. वह इसकी शूटिंग करने राजस्थान के जयपुर गए. वहां पर शुक्रवार शाम राजपूत समाज से जुड़े एक संगठन करणी सेना ने उन पर हमला कर दिया. उनका आरोप है कि भंसाली फिल्म के लिए ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. ऐसे में अतीत का एक किरदार फिर से सुर्खियों का सबब बन गया है और लोगों की अचानक 'पद्मावती' के किरदार में दिलचस्पी पैदा हो गई है.
सवाल यहीं से शुरू होता है कि आखिर रानी पद्मावती कौन थी? वह ऐतिहासिक किरदार हैं या केवल साहित्यिक किरदार हैं. अतीत के आईने में यदि झांक कर देखा जाए तो माना जाता है कि 15-16वीं सदी में यह किरदार सबसे पहले चर्चित हुआ. दरअसल मलिक मुहम्मद जायसी ने 1540 ईस्वी के आसपास महाकाव्य 'पद्मावत' लिखा था. उस कृति के मुताबिक रानी पद्मावती, चित्तौड़ के राजा रावल रतन सिंह की पत्नी थीं.
उस कहानी में बताया गया है कि रानी पद्मावती अप्रतिम सौंदर्य की मलिका थीं. दिल्ली का शासक अलाउद्दीन खिलजी उन पर आसक्त था. पद्मावती को पाने के लिए उसने 1303 में चित्तौड़ पर हमला कर दिया और राजपूतों की उस युद्ध में हार हुई. खिलजी जब महल पहुंचा तो उसने देखा कि रानी पद्मावती समेत राजपूत महिलाओं ने जौहर कर लिया था. जौहर मध्ययुग में एक ऐसी प्रथा थी जब राजपूत राजाओं के युद्ध में मारे जाने के बाद उनकी रानियां दुश्मन के चंगुल से बचने के लिए सामूहिक रूप से आत्मदाह कर लेती थीं.
हालांकि इसकी प्रामाणिकता को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं. कई इतिहासकारों का मानना है कि पद्मावती नाम का कोई किरदार इतिहास में नहीं था. उनके मुताबिक पद्मावती केवल एक साहित्यिक किरदार थी और वह ऐतिहासिक किरदार नहीं थी. ये इतिहासकार कहते हैं कि अलाउद्दीन के जमाने में इस तरह के किसी किरदार का जिक्र नहीं मिलता. वे मानते हैं कि चारण परंपरा, लोक कथाओं, वाचक परंपरा और जनश्रुति के चलते यह किरदार सदियों से जीवित है.
सवाल यहीं से शुरू होता है कि आखिर रानी पद्मावती कौन थी? वह ऐतिहासिक किरदार हैं या केवल साहित्यिक किरदार हैं. अतीत के आईने में यदि झांक कर देखा जाए तो माना जाता है कि 15-16वीं सदी में यह किरदार सबसे पहले चर्चित हुआ. दरअसल मलिक मुहम्मद जायसी ने 1540 ईस्वी के आसपास महाकाव्य 'पद्मावत' लिखा था. उस कृति के मुताबिक रानी पद्मावती, चित्तौड़ के राजा रावल रतन सिंह की पत्नी थीं.
उस कहानी में बताया गया है कि रानी पद्मावती अप्रतिम सौंदर्य की मलिका थीं. दिल्ली का शासक अलाउद्दीन खिलजी उन पर आसक्त था. पद्मावती को पाने के लिए उसने 1303 में चित्तौड़ पर हमला कर दिया और राजपूतों की उस युद्ध में हार हुई. खिलजी जब महल पहुंचा तो उसने देखा कि रानी पद्मावती समेत राजपूत महिलाओं ने जौहर कर लिया था. जौहर मध्ययुग में एक ऐसी प्रथा थी जब राजपूत राजाओं के युद्ध में मारे जाने के बाद उनकी रानियां दुश्मन के चंगुल से बचने के लिए सामूहिक रूप से आत्मदाह कर लेती थीं.
हालांकि इसकी प्रामाणिकता को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं. कई इतिहासकारों का मानना है कि पद्मावती नाम का कोई किरदार इतिहास में नहीं था. उनके मुताबिक पद्मावती केवल एक साहित्यिक किरदार थी और वह ऐतिहासिक किरदार नहीं थी. ये इतिहासकार कहते हैं कि अलाउद्दीन के जमाने में इस तरह के किसी किरदार का जिक्र नहीं मिलता. वे मानते हैं कि चारण परंपरा, लोक कथाओं, वाचक परंपरा और जनश्रुति के चलते यह किरदार सदियों से जीवित है.
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