उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चाचा शिवपाल यादव के साथ फाइल फोटो
लखनऊ/नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में जारी झगड़े के बीच अब पार्टी के टूटने की आशंका जोर पकड़ती दिख रही है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव और उनके करीब तीन मंत्रियों को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया है, तो वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने अखिलेश को खुल कर समर्थन कर रहे रामगोपाल यादव को पार्टी से छह वर्षों के लिए बर्खास्त कर दिया.
राजभवन की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सिफारिश पर मंत्री शिवपाल सिंह यादव, नारद राय, ओम प्रकाश सिंह तथा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सैयदा शादाब फातिमा को पद से बर्खास्त कर दिया है. बयान के अनुसार इन चारों मंत्रियों को पदमुक्त करने संबंधी फाइल राज्यपाल के अनुमोदन के लिए आज ही राजभवन को प्राप्त हुई.
अखिलेश ने शिवपाल और अपने बीच जारी जंग को नया रूप देते हुए यह कदम ऐसे वक्त उठाया है, जब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव सोमवार को पार्टी विधायकों, मंत्रियों और विधान परिषद सदस्यों के साथ महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहे हैं. ऐसे में सभी की नजरें इस बैठक के बाद मुलायम के फैसले पर होगी. (पढ़ें- पार्टी में दरार के 10 बड़े मोड़)
हालांकि अखिलेश यादव ने टूट की खबरों को खारिज करते हुए कहा, मैं पार्टी नहीं तोड़ रहा हूं, लेकिन जो कोई भी अमर सिंह के साथ है, उनके खिलाफ कार्रवाई करूंगा.' अखिलेश ने साथ ही कहा, 'मुलायम सिंह यादव जी से मेरी कोई नाराजगी नहीं है. मैं पूरे जीवन उनकी सेवा करूंगा. मैं 3 नंवबर को चुनाव प्रचार के लिए रथयात्रा निकाल रहा हूं और 5 नंवबर को समाजवादी पार्टी की रजत जयंत कार्यक्रम में भी जाऊंगा.' वहीं अखिलेश के करीबी माने जाने वाले एक विधायक ने मुख्यमंत्री का हवाला देते हुए कहा, 'अमर सिंह का कोई भी करीबी इस सरकार में नहीं रहेगा और अगर किसी ने मेरे परिवार में दरार डालने की कोशिश की, तो मुझे पता है कि उनसे कैसे निपटना चाहिए.'
इससे पहले पार्टी महासचिव और अखिलेश के करीबी रामगोपाल यादव ने कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखकर अखिलेश विरोधियों पर निशाना साधा है. रामगोपाल ने लिखा है कि अखिलेश को हराने की साज़िश हो रही है. मध्यस्थता करने वाले लोग गुमराह कर रहे हैं. सुलह की कोशिश अखिलेश की यात्रा रोकने की साज़िश है, क्योंकि अखिलेश की यात्रा विरोधियों के गले की फांस बन गई है. रामगोपाल यादव की सपा कार्यकर्ताओं को लिखी चिट्ठी
रामगोपाल ने अपनी चिट्ठी में समर्थकों और कार्यकर्ताओं से अखिलेश के साथ एकजुट होने की अपील की है. इसके साथ ही उन्होंने 'जहां अखिलेश, वहीं जीत' का नारा भी दिया है. हालांकि मुंबई में पत्रकारों ने जब रामगोपाल से इस बाबत सवाल पूछा तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
सूत्रों के मुताबिक, नाराज चल रहे अखिलेश यादव ने कहा है कि मुलायम सिंह यादव पहले अमर सिंह के साथ नाता तोड़ें, तभी हालात सामान्य होंगे. समाजवादी पार्टी के पांच वरिष्ठ नेताओं नरेश अग्रवाल, बेनी प्रसाद वर्मा, रेवती रमन सिंह, माता प्रसाद और किरनमोय नंदा के साथ हुई बैठक में अखिलेश ने ये बातें कहीं.
इससे पहले शनिवार को ही लखनऊ में समाजवादी पार्टी के दफ़्तर में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें ना तो अखिलेश यादव और ना ही मुलायम सिंह यादव शामिल हुए थे. इस बीच सपा के विधान परिषद् सदस्य और अखिलेश के नजदीकी उदयवीर सिंह को ‘अशिष्ट’ व्यवहार के लिए शनिवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. कुछ दिनों पहले उन्होंने मुलायम को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव दिया था. शुक्रवार को ही खबर आई थी अखिलेश के करीबी माने जेने वाले उदयवीर सिंह ने मुलायम को चिट्ठी लिखकर अखिलेश और मुलायम के बीच मतभेदों के पीछे अखिलेश की सौतेली मां साधना गुप्ता को ज़िम्मेदार ठहराया था.
वहीं यादव कुनबे में जारी अंतर्कलह पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि ‘अभी तक संवैधानिक संकट नहीं है’ लेकिन स्पष्ट किया कि अगर हस्तक्षेप करने की स्थिति बनती है तो ‘कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी’.
गौरतलब है कि पिछले करीब एक महीने के दौरान अखिलेश और शिवपाल के बीच जंग रह-रहकर तेज होती रही है. इस दौरान पार्टी नेतृत्व के स्तर पर ऐसे कई फैसले लिए गए जो अखिलेश को अखरे. इनमें अखिलेश के करीबी चार विधानपरिषद सदस्यों तथा कई अन्य युवा नेताओं की बर्खास्तगी, भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किए गए मंत्री गायत्री प्रजापति की सपा मुखिया के हस्तक्षेप के बाद मंत्रिमंडल में वापसी और विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का चुनाव विधायक दल द्वारा किए जाने का मुलायम का बयान शामिल हैं.
शिवपाल ने कुछ दिन बाद प्रदेश में जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर इस्तीफे की पेशकश की थी. बीती 15 अगस्त को सपा मुखिया ने मैदान में उतरते हुए शिवपाल की हिमायत की थी और कहा था कि अगर शिवपाल पार्टी से चले गए तो सपा टूट जाएगी. इसके बाद अखिलेश ने बीते 12 सितंबर को भ्रष्टाचार के आरोप में तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति तथा एक अन्य मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया था. ये दोनों ही सपा सुप्रीमो के करीबी माने जाते हैं. हालांकि मुलायम के कहने पर बाद में प्रजापति की मंत्रिमंडल में वापसी हो गई थी. इसे मुख्यमंत्री अखिलेश के लिए करारा झटका माना गया था.
हाल ही में मुलायम द्वारा कौमो एकता दल के सपा में विलय को बहाल किए जाने संबंधी शिवपाल की घोषणा को अखिलेश की एक और पराजय के तौर पर देखा गया. वहीं पार्टी में अखिलेश के हिमायती गुट का आरोप है कि यह सब मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने और सपा में उनकी स्थिति कमजोर करने के लिए किया जा रहा है. (न्यूज एजेंसी भाषा और एएनआई से भी इनपुट)
राजभवन की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सिफारिश पर मंत्री शिवपाल सिंह यादव, नारद राय, ओम प्रकाश सिंह तथा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सैयदा शादाब फातिमा को पद से बर्खास्त कर दिया है. बयान के अनुसार इन चारों मंत्रियों को पदमुक्त करने संबंधी फाइल राज्यपाल के अनुमोदन के लिए आज ही राजभवन को प्राप्त हुई.
अखिलेश ने शिवपाल और अपने बीच जारी जंग को नया रूप देते हुए यह कदम ऐसे वक्त उठाया है, जब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव सोमवार को पार्टी विधायकों, मंत्रियों और विधान परिषद सदस्यों के साथ महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहे हैं. ऐसे में सभी की नजरें इस बैठक के बाद मुलायम के फैसले पर होगी. (पढ़ें- पार्टी में दरार के 10 बड़े मोड़)
हालांकि अखिलेश यादव ने टूट की खबरों को खारिज करते हुए कहा, मैं पार्टी नहीं तोड़ रहा हूं, लेकिन जो कोई भी अमर सिंह के साथ है, उनके खिलाफ कार्रवाई करूंगा.' अखिलेश ने साथ ही कहा, 'मुलायम सिंह यादव जी से मेरी कोई नाराजगी नहीं है. मैं पूरे जीवन उनकी सेवा करूंगा. मैं 3 नंवबर को चुनाव प्रचार के लिए रथयात्रा निकाल रहा हूं और 5 नंवबर को समाजवादी पार्टी की रजत जयंत कार्यक्रम में भी जाऊंगा.'
इससे पहले पार्टी महासचिव और अखिलेश के करीबी रामगोपाल यादव ने कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखकर अखिलेश विरोधियों पर निशाना साधा है. रामगोपाल ने लिखा है कि अखिलेश को हराने की साज़िश हो रही है. मध्यस्थता करने वाले लोग गुमराह कर रहे हैं. सुलह की कोशिश अखिलेश की यात्रा रोकने की साज़िश है, क्योंकि अखिलेश की यात्रा विरोधियों के गले की फांस बन गई है.
रामगोपाल ने अपनी चिट्ठी में समर्थकों और कार्यकर्ताओं से अखिलेश के साथ एकजुट होने की अपील की है. इसके साथ ही उन्होंने 'जहां अखिलेश, वहीं जीत' का नारा भी दिया है. हालांकि मुंबई में पत्रकारों ने जब रामगोपाल से इस बाबत सवाल पूछा तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
सूत्रों के मुताबिक, नाराज चल रहे अखिलेश यादव ने कहा है कि मुलायम सिंह यादव पहले अमर सिंह के साथ नाता तोड़ें, तभी हालात सामान्य होंगे. समाजवादी पार्टी के पांच वरिष्ठ नेताओं नरेश अग्रवाल, बेनी प्रसाद वर्मा, रेवती रमन सिंह, माता प्रसाद और किरनमोय नंदा के साथ हुई बैठक में अखिलेश ने ये बातें कहीं.
इससे पहले शनिवार को ही लखनऊ में समाजवादी पार्टी के दफ़्तर में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें ना तो अखिलेश यादव और ना ही मुलायम सिंह यादव शामिल हुए थे. इस बीच सपा के विधान परिषद् सदस्य और अखिलेश के नजदीकी उदयवीर सिंह को ‘अशिष्ट’ व्यवहार के लिए शनिवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. कुछ दिनों पहले उन्होंने मुलायम को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव दिया था. शुक्रवार को ही खबर आई थी अखिलेश के करीबी माने जेने वाले उदयवीर सिंह ने मुलायम को चिट्ठी लिखकर अखिलेश और मुलायम के बीच मतभेदों के पीछे अखिलेश की सौतेली मां साधना गुप्ता को ज़िम्मेदार ठहराया था.
वहीं यादव कुनबे में जारी अंतर्कलह पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि ‘अभी तक संवैधानिक संकट नहीं है’ लेकिन स्पष्ट किया कि अगर हस्तक्षेप करने की स्थिति बनती है तो ‘कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी’.
गौरतलब है कि पिछले करीब एक महीने के दौरान अखिलेश और शिवपाल के बीच जंग रह-रहकर तेज होती रही है. इस दौरान पार्टी नेतृत्व के स्तर पर ऐसे कई फैसले लिए गए जो अखिलेश को अखरे. इनमें अखिलेश के करीबी चार विधानपरिषद सदस्यों तथा कई अन्य युवा नेताओं की बर्खास्तगी, भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किए गए मंत्री गायत्री प्रजापति की सपा मुखिया के हस्तक्षेप के बाद मंत्रिमंडल में वापसी और विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का चुनाव विधायक दल द्वारा किए जाने का मुलायम का बयान शामिल हैं.
शिवपाल ने कुछ दिन बाद प्रदेश में जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर इस्तीफे की पेशकश की थी. बीती 15 अगस्त को सपा मुखिया ने मैदान में उतरते हुए शिवपाल की हिमायत की थी और कहा था कि अगर शिवपाल पार्टी से चले गए तो सपा टूट जाएगी. इसके बाद अखिलेश ने बीते 12 सितंबर को भ्रष्टाचार के आरोप में तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति तथा एक अन्य मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया था. ये दोनों ही सपा सुप्रीमो के करीबी माने जाते हैं. हालांकि मुलायम के कहने पर बाद में प्रजापति की मंत्रिमंडल में वापसी हो गई थी. इसे मुख्यमंत्री अखिलेश के लिए करारा झटका माना गया था.
हाल ही में मुलायम द्वारा कौमो एकता दल के सपा में विलय को बहाल किए जाने संबंधी शिवपाल की घोषणा को अखिलेश की एक और पराजय के तौर पर देखा गया. वहीं पार्टी में अखिलेश के हिमायती गुट का आरोप है कि यह सब मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने और सपा में उनकी स्थिति कमजोर करने के लिए किया जा रहा है. (न्यूज एजेंसी भाषा और एएनआई से भी इनपुट)
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