'साइकिल' की लड़ाई : चुनाव आयोग से मिले मुलायम सिंह यादव, शिवपाल, जया प्रदा और अमर सिंह

'साइकिल' की लड़ाई : चुनाव आयोग से मिले मुलायम सिंह यादव, शिवपाल, जया प्रदा और अमर सिंह

सपा का झगड़ा सुलझने का नाम नहीं ले रहा है...

खास बातें

  • चुनाव आयोग से मिलेंगे मुलायम सिंह यादव
  • राष्ट्रीय अधिवेशन को अवैध घोषित करने की मांग
  • अखिलेश भी जा सकते हैं चुनाव आयोग
नई दिल्ली/लखनऊ:

समाजवादी पार्टी में अब साइकिल को लेकर लड़ाई छिड़ी हुई है. लड़ाई इस बात को लेकर है कि साइकिल चुनाव चिह्न का हकदार कौन है. मुलायम और अखिलेश दोनों ही इस पर अपना दावा जता रहे हैं. चुनाव आयोग ने मुलायम सिंह यादव को 4.30 मिलने का वक्त दिया था. मुलायम सिंह यादव समय पर अपने साथ शिवपाल यादव, अमर सिंह और जया प्रदा को लेकर पहुंचे. चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव गुट को कल सुबह 11.30 बजे मिलने का समय दिया है. जानकारी के अनुसार इस गुट की तरफ से रामगोपाल यादव चुनाव आयोग से मिलने जा सकते हैं.

बता दें कि खासतौर पर इस मीटिंग के लिए अमर सिंह लंदन से लौट आए हैं. इस बैठक से पहले शिवपाल यादव ने कहा कि मैं मरते दम तक नेताजी के साथ रहूंगा. नेताजी ही पार्टी के अध्यक्ष हैं. वहीं अमर सिंह ने कहा कि मुलायम के लिए खलनायक भी बनना पड़ा तो मंजूर है.

उधर, मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी उनसे जुड़ी हुई है और उन्हें लोगों का भरपूर समर्थन प्राप्त है. मुलायम ने मीडिया से कहा कि उन्होंने बेदाग जीवन जीया है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें क्लीनचिट दे दी है।

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नाटकीय घटनाक्रम में दावपेंच आजमाते रहे नेता
इससे पहले दोनों खेमे एक-दूसरे को चित करने के दावपेंच आज़माते नज़र आए. अखिलेश के गुट ने उन्हें पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया तो जवाबी वार करते हुए मुलायम सिहं यादव ने अधिवेशन बुलाने वाले पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव, पार्टी उपाध्यक्ष किरणमय नंदा और सांसद नरेश अग्रवाल को भी पार्टी से निकाल दिया. रामगोपाल को शनिवार को ही पार्टी में दोबारा वापस लिया गया था. अग्रवाल ने कहा कि अब अखिलेश उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लिहाजा मुलायम को उन्हें दल से निकालने का कोई हक नहीं है.

5 जनवरी को बुलाया गया राष्ट्रीय अधिवेशन निरस्त
उधर, मुलायम सिंह यादव द्वारा 5 जनवरी को बुलाया गया राष्ट्रीय अधिवेशन रद्द हो गया है. शिवपाल यादव ने ट्वीट करके इस संबंध में जानकारी दी है. पार्टी मुख्यालय पर अखिलेश समर्थकों ने कब्जा कर लिया और शिवपाल यादव की नेम प्लेट तोड़ दी है. रविवार के अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर मुलायम की जगह अखिलेश को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया गया और अमर सिंह को सपा से निकाल दिया गया. बाद में अखिलेश ने अपने करीबी एमएलसी नरेश उत्तम को सपा का प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर दिया.

मुलायम ने चिट्ठी लिखकर दी थी चेतावनी
हालांकि अधिवेशन शुरू होने से कुछ ही देर पहले मुलायम ने एक चिट्ठी जारी कर इसे 'असंवैधानिक' बताते हुए इसमें शामिल होने वाले नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी.

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अखिलेश यादव हुए भावुक
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि वह हमेशा मुलायम सिंह का सम्मान करते थे और अब पहले से ज्यादा सम्मान करते हैं. जब समाज का हर वर्ग सपा की दोबारा सरकार बनाने का मन बना चुका था, तभी कुछ ताकतें साजिशों में जुट गईं. अब प्रदेश में जब दोबारा सपा की सरकार बनेगी तो सबसे ज्यादा खुशी नेताजी को होगी. भावुक हुए अखिलेश ने कहा कि नेताजी का स्थान सबसे ऊपर है. उन्हें डर था कि चुनाव से ऐन पहले 'ना जाने कौन मिलकर उनसे (मुलायम) क्या करा देता. मुझे पार्टी के लिए कोई भी त्याग करना होगा, तो मैं करूंगा'. उन्होंने कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए आहवान किया कि आने वाले दो-ढाई महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं. प्रदेश में एक ऐसी धर्मनिरपेक्ष सरकार बनानी है, जो उसे खुशहाली की राह पर ले जा सके.

पानी सिर से ऊपर निकल गया था : रामगोपाल यादव
इसके पूर्व, रामगोपाल यादव ने अपने संबोधन में कहा कि पार्टी और सरकार का काम बहुत ठीक तरीके से चल रहा था और उसी दौरान पार्टी के दो व्यक्तियों ने साजिश करके अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवा दिया. पार्टी में फिर एक संकट पैदा हो गया. उन्होंने कहा कि पार्टी में टिकटों का बंटवारा मनमाने ढंग से होने लगा था. प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से मनमाने असंवैधानिक फैसले लेते रहे. जो लोग पार्टी के सदस्य भी नहीं है, उन्हें टिकट दिए गए. स्पष्ट था यह लोग किसी भी कीमत पर नहीं चाहते थे, सपा चुनाव जीते और अखिलेश फिर मुख्यमंत्री बनें. रामगोपाल यादव ने कहा कि पानी जब सिर से ऊपर निकल गया तब पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने विशेष अधिवेशन बुलाने की लिखित मांग की थी. हमने दो महीने तक सुधार का इंतजार किया. तब यह निर्णय लिया गया कि पार्टी का विशेष आपातकालीन अधिवेशन बुलाया जाए.


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