वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि सरकार सूखा अथवा भारी बरसात के कारण फसल को होने वाले नुकसान के मामले में मुआवजा सीमा बढ़ाने के लिए नियमों की समीक्षा कर रही है। इस बारे में विभिन्न राज्यों ने मांग की है।
जेटली ने कहा, 'मैं गंभीरता से इन नियमों की समीक्षा कर रहा हूं और आप जल्द ही इसके बारे में सुनेंगे।' ओलावृष्टि अथवा सूखा जैसे प्रतिकूल मौसम से प्रभावित किसानों के लिए मुआवजा मानदंडों में बदलाव के बारे में एक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'मैं व्यक्तिगत रूप से इसे बढ़ाने के पक्ष में हूं। हम इसमें सार्थक वृद्धि करेंगे।'
भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की समाप्ति पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि फसल नुकसान से प्रभावित किसानों को मुआवजा केन्द्र सरकार पुराने कायदे-कानूनों के आधार पर दे रही है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू रबी फसल में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित 13 राज्यों में 106 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसल को नुकसान होने की रिपोर्ट है।
सरकार ने हाल ही में गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में मंत्रियों के अनौपचारिक समूह का गठन किया है। समूह उन किसानों को वित्तीय सहायता सीमा बढ़ाने के मसले पर गौर करेगी जिनकी फसल को बेमौसम बरसात और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान पहुंचा है।
इसके अलावा केन्द्र ने राज्य सरकारों से प्रदेश आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) से किसानों को तत्काल वित्तीय सहायता देने को कहा था। इसमें वित्तवर्ष के दौरान उपयोग के लिए 5,270 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं। राज्यों को ऐसे मामलों में जहां उपलब्ध कोष के मुकाबले खर्च अधिक है, ज्ञापन देने को भी कहा गया है।
एसडीआरएफ नियमों के हिसाब से राज्य सरकार वर्षा सिंचित क्षेत्र के किसानों को 4,500 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित क्षेत्र में 9,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और बारहमासा फसल के लिए 12,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सब्सिडी दे सकती हैं। रबी सत्र में कुल खेती का क्षेत्रफल 600 लाख हेक्टेयर है।
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