धर्म आधारित जनगणना पर मंथन करेगा आरएसएस, प्रस्ताव हो सकता है पारित

धर्म आधारित जनगणना पर मंथन करेगा आरएसएस, प्रस्ताव हो सकता है पारित

मोहनभागवत (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

जनगणना के हाल के आंकड़ों में मुस्लिम आबादी 17 करोड़ से अधिक दर्ज किए जाने के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की आज से शुरू हो रही तीन दिवसीय बैठक में जनसंख्या वृद्धि में अंसतुलन की बात कहते हुए इस विषय पर ध्यान देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जा सकता है।

बैठक में प्रस्ताव हो सकता है पारित
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने बैठक की पूर्वसंध्या पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हाल ही में आए जनगणना के आंकड़े जनसंख्या वृद्धि में अंसतुलन दिखाते हैं। उन्होंने कहा, बैठक में इस विषय पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा और इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत संगठन के समस्त शीर्ष पदाधिकारी भाग लेंगे।

आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ी
पिछले दिनों जारी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिम समुदाय की आबादी 2001 से 2011 के बीच 10 साल में 0.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 17.22 करोड़ पहुंच गई, वहीं हिन्दुओं की जनसंख्या इस अवधि में 0.7 प्रतिशत कमी के साथ 96.63 करोड़ रह गई।

बांग्लादेश से अवैध पलायन भी जिम्मेदार
पिछले हफ्ते विजयादशमी पर अपने संबोधन में भागवत ने कहा था कि पिछली दो जनगणना रिपोर्टों के तथ्य और आंकड़ों और परिणामस्वरूप सामने आए असंतुलन पर व्यापक मंथन हो रहा है। वैद्य ने उपमन्यु हजारिका आयोग की इस रिपोर्ट पर भी देशव्यापी बहस की जरूरत बताई कि बांग्लादेश से अवैध पलायन के चलते 2047 तक असम में स्थानीय आबादी के सिमटकर अल्पसंख्यक हो जाने का खतरा है।

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उन्होंने कहा, हाल में हजारिका आयोग की रिपोर्ट ने असम और बंगाल में बदलती जनसांख्यिकीय स्थिति के बारे में चौंकाने वाली जानकारी दी है। यदि यही प्रवृत्ति जारी रही तो भारतीयों की जनसंख्या कम हो जाएगी और विदेशी बढ़ जाएंगे।