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This Article is From Nov 02, 2012

नितिन गडकरी पर संघ का बयान, जो दोषी हो, उसे सजा मिले

नितिन गडकरी पर संघ का बयान, जो दोषी हो, उसे सजा मिले
चेन्नई: बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को लेकर आरएसएस अभी भी अपने रुख पर कायम है। चेन्नई में संघ ने कार्यकारी परिषद की तीन दिनों की बैठक में कहा है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत भ्रष्टाचार के जो भी आरोप हैं, उनकी जांच होनी चाहिए और जो दोषी हो उसे सजा मिलनी चाहिए।

संघ के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसाबेले ने शहर के बाहरी इलाके में स्थित केलाम्बकम में संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह टिप्पणी की। उनसे गडकरी पर लगे आरोपों के बारे में पूछा गया था। उन्होंने संघ के महासचिव सुरेश जोशी के कुछ दिन पूर्व दिए गए उस बयान को दोहरा दिया, जिसमें जोशी ने कहा था कि किसी गैर-कानूनी गतिविधि में लिप्त होने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

तीन-दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत और देश भर से 400 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। बैठक में बांग्लादेश से अवैध आव्रजन और प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे विभिन्न मसलों पर चर्चा की जाएगी। भूमि अधिग्रहण के मामले में केवल गडकरी के खिलाफ मीडिया में खबरें आने पर होसाबेले ने कहा कि ऐसे मामलों में 100 अन्य लोग भी लिप्त हो सकते हैं।

उन्होंने कहा, हम व्यक्ति या मामले के आधार पर इसकी चर्चा नहीं करने जा रहे हैं। हम एक नीति के तौर पर भूमि अधिग्रहण पर चर्चा करने जा रहे हैं। इस दायरे में जो भी आयेगा उसे कानून का सामना करना पड़ेगा, इसीलिए हम किसी के प्रति भी नरमी नहीं अपना रहे हैं। हम नीति के अनुसार काम कर रहे हैं और उसी बात पर बल दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, (संघ के लिए) मामला चाहे भूमि अधिग्रहण का हो या भ्रष्टाचार का या कुछ और, अलग-अलग मापदंड नहीं हो सकते। संघ देशहित का हिमायती है, राष्ट्रीय हित के साथ है। सार्वजनिक जीवन में नैतिकता हमारे लिए सर्वोपरि है और उसी के मुताबिक हम अपना रुख व्यक्त करते हैं।

गौरतलब है कि पिछले महीने एनडीटीवी ने बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी की कंपनी पूर्ति ग्रुप को लेकर खुलासे किए थे और बताया था कि किस तरह से उसमें कागजी कंपनियों के पैसे लगे हैं। ऐसी कंपनियां, जिनका पता फर्जी और उसके अधिकारी भी फर्जी हैं। इन कंपनियों के जो निदेशक बनाए गए उन्हें भी नहीं पता था कि वह किसी कंपनी के डायरेक्टर हैं।

(कुछ अंश भाषा से भी)

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