प्रतीकात्मक तस्वीर
तिरुवनंतपुरम:
'हिंसा की राजनीति' और बड़े नोटों का चलन बंद करने का विरोध करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक स्थानीय नेता संघ परिवार से चार दशक पुराना अपना रिश्ता खत्म करते हुए रविवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) में शामिल हो गए.
'हिंदू एक्या वेदी' के प्रदेश सचिव रह चुके पी पद्मकुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा कि भाजपा-आरएसएस की 'राजनीतिक हिंसा' और 'अमानवीय रुख' से आजिज आकर उन्होंने सत्तारूढ़ माकपा में शामिल होने का फैसला किया.
उन्होंने सवाल किया, ''आरएसएस-भाजपा के अमानवीय रुख एवं हिंसा की राजनीति की वजह से कितने ही परिवार अनाथ हो गए?'' पद्मकुमार माकपा के जिला सचिव अनावूर नागप्पन के साथ मीडिया से मिले.
उन्होंने कहा, ''मैं आरएसएस के अमानवीय रुख और हिंसा की राजनीति के विरुद्ध था. 1000 और 500 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद होना अंतिम वार था और मैंने संगठन छोड़ने का फैसला किया.''
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
'हिंदू एक्या वेदी' के प्रदेश सचिव रह चुके पी पद्मकुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा कि भाजपा-आरएसएस की 'राजनीतिक हिंसा' और 'अमानवीय रुख' से आजिज आकर उन्होंने सत्तारूढ़ माकपा में शामिल होने का फैसला किया.
उन्होंने सवाल किया, ''आरएसएस-भाजपा के अमानवीय रुख एवं हिंसा की राजनीति की वजह से कितने ही परिवार अनाथ हो गए?'' पद्मकुमार माकपा के जिला सचिव अनावूर नागप्पन के साथ मीडिया से मिले.
उन्होंने कहा, ''मैं आरएसएस के अमानवीय रुख और हिंसा की राजनीति के विरुद्ध था. 1000 और 500 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद होना अंतिम वार था और मैंने संगठन छोड़ने का फैसला किया.''
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