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This Article is From Mar 09, 2018

महापुरुषों की मूर्तियां तोड़ने की घटनाओं पर आरएसएस नाराज, बैठक में की निंदा

नागपुर में आरएसएस की सर्वोच्च निर्णायक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिन की बैठक प्रारंभ, त्रिपुरा के घटनाक्रम पर संतोष जताया

महापुरुषों की मूर्तियां तोड़ने की घटनाओं पर आरएसएस नाराज, बैठक में की निंदा
प्रतीकात्मक फोटो.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
संघ के सरकार्यवाह का चुनाव शनिवार को होगा
संघ की शाखाएं एक साल में करीब 1800 बढ़कर 58967 हो गईं
बैठक में अगले तीन वर्षों के कार्यक्रम और एजेंडे पर चर्चा होगी
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कई राज्यों में महापुरुषों की मूर्तियों के साथ तोड़फोड़ की घटनाओं की निंदा की है. संघ के मुताबिक विभाजनकारी ताक़तों से सावधान रहने का जरूरत है. इस बीच संघ के दूसरे सबसे ताकतवर पद महासचिव (सरकार्यवाह) के चुनाव को लेकर अटकलों का दौर जारी है.

आरएसएस की सर्वोच्च निर्णायक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिनों की बैठक नागपुर में शुक्रवार को शुरू हुई. देश भर के करीब डेढ़ हजार प्रतिनिधि इसमें हिस्सा ले रहे हैं. बैठक में बताया गया कि संघ की गतिविधियों में तेजी आई है. संघ की शाखाएं एक साल में करीब 1800 बढ़कर 58967 हो गई हैं.

संघ ने त्रिपुरा में बीजेपी की जीत का जिक्र किए बिना वहां के घटनाक्रम पर संतोष जताया. लेकिन इस जीत के बाद लेनिन, श्यामाप्रसाद मुखर्जी और महात्मा गांधी की मूर्तियों से तोड़फोड़ की घटनाओं की निंदा की.

इस बैठक में संघ के कुछ महत्वपूर्ण पदों पर बदलाव की भी संभावना है. संघ के सरकार्यवाह का चुनाव शनिवार को होगा. सरसंघचालक के बाद यह दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद है. मौजूदा सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने 2009 में कार्यभार संभाला था.
संघ के कई नेता चाहते हैं कि वे तीन साल का एक कार्यकाल और लें. हालांकि खुद जोशी इसके पक्ष में नहीं हैं. संघ के कई अन्य नेता  सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले या कृष्ण गोपाल को सरकार्यवाह बनाने के पक्ष में हैं. नया सरकार्यवाह अपनी टीम बनाएगा जिसमें कई बड़े परिवर्तन हो सकते हैं.

VIDEO : श्यामाप्रसाद मुखर्जी की मूर्ति पर कालिख पोती

संघ के नेतृत्व में संभावित बदलाव का महत्व इसलिए ज्यादा है क्योंकि अगले एक साल में लोकसभा समेत कई राज्यों के महत्वपूर्ण चुनाव होने हैं. पिछले साढ़े तीन साल में संघ ने सरकार के काम में वैसा दखल नहीं दिया जैसा वाजपेयी सरकार के समय देखा गया था. संघ परिवार में बेहतर तालमेल भी देखने को मिला. यही कारण है कि मौजूदा नेतृत्व को बनाए रखने की दलील भी दी जा रही है. बैठक में संघ के अगले तीन वर्षों के कार्यक्रम और एजेंडे पर भी विस्तार से चर्चा होगी.

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