देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के योगदान और नीतियों, अयोध्या विवाद और गुजरात दंगों से जुड़े चैप्टर असम के 12वीं क्लास के सिलेबस से हटाने पर विवाद शुरू हो गया है. कांग्रेस ने इस कदम के खिलाफ जमकर विरोध-प्रदर्शन किया है. कोरोना वायरस महामारी की वजह से असम उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद (AHSEC) ने छात्रों पर से पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए इन चैप्टरों को सिलेबस से हटा दिया है. पिछले कई महीनों से स्कूल बंद हैं. ऐसे में एकैडमिक शिड्यूल प्रभावित हुआ है.
नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के योगदान और नीतियों से संबंधित कुछ अध्यायों को सिलेबस में बनाए रखने के लिए AHSEC को निर्देश देने का आग्रह किया है.
सैकिया ने अपने पत्र में कहा है कि छात्रों के काम के बोझ को कम करने के किसी भी कदम का स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन सिलेबस से हटाए गए अध्यायों की पसंद संदेह के घेरे में है. उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू की विदेश नीति और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा शुरू किए गए "गरीबी हटाओ" अभियान को सिलेबस से हटाना तर्कसंगत नहीं है.
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सैकिया ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है, "कोई भी निष्पक्ष व्यक्ति यह स्वीकार करेगा कि पंडित नेहरू ने वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश के औद्योगिकीकरण पर जोर दिया और आधुनिक भारत की नींव रखी. इसी तरह, पंडित नेहरू ने चीन के साथ पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर किए. एक पड़ोसी देश ने हाल ही में कहा था कि वह अभी भी उसी द्विपक्षीय संधि पर आधारित संबंध चाहता है."
सैकिया ने कहा कि जब पूरी दुनिया शीतयुद्ध का प्रकोप झेल रही थी तब जवाहरलाल नेहरू ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन की अगुवाई कर वैश्विक सम्मान हासिल किया था. उन्होंने लिखा, "यहां तक कि राजनीतिक विरोधी रहे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पंडित नेहरू के राष्ट्र निर्माण और लोकतांत्रिक मूल्यों के संवर्धन में उनके अतुलनीय योगदान की सराहना और चर्चा कई बार कर चुके हैं."
AHSCE ने साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स तीनों विधाओं के सिलेबस में कटौती की है. परिषद की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक डॉक्यूमेंट में परिषद के सचिव मनोरंजन ककाति ने कहा है कि बच्चों पर से बोझ कम करने के लिए मौजूदा शैक्षणिक सत्र में सिलेबस में कटौती की गई है. यह सिलेबस कटौती सिर्फ इस साल की वार्षिक परीक्षा के लिए की गई है, जो मार्च 2021 तक होंगी.
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