विज्ञापन
This Article is From Aug 22, 2021

किसानों के धरने से सड़क बंद, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया

दिल्ली- यूपी सीमा पर सड़क बंद होने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई, यूपी सरकार ने कहा कि वह अदालत के आदेश के तहत सड़कों को जाम करने के घोर अवैध काम पर किसानों को समझाने का प्रयास कर रही

किसानों के धरने से सड़क बंद, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया
दिल्ली की गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है.
नई दिल्ली:

किसानों के धरने के चलते दिल्ली- यूपी सीमा पर सड़क बंद होने के खिलाफ याचिका दायर की गई है. यूपी सरकार ने किसानों के विरोध के कारण सड़कों के अवरुद्ध होने पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इसमें कहा गया है कि सरकार अदालत के आदेशों के तहत सड़कों को जाम करने के घोर अवैध काम पर किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है. प्रदर्शनकारियों में अधिकतर बड़ी उम्र के और वृद्ध किसान हैं. यूपी सरकार ने कहा है कि गाजियाबाद / यूपी और दिल्ली के बीच महाराजपुर और हिंडन सड़कों के माध्यम से यातायात की सुचारू आवाजाही की अनुमति देने के लिए डायवर्सन बनाया गया है क्योंकि एनएच 24 अभी भी अवरुद्ध है. यूपी सरकार ने कहा है कि जनवरी, मार्च और फिर अप्रैल में किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा एनएच 24 को बार-बार अवरुद्ध किया गया. 

सड़कों से अवरोध हटाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी है. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा था कि दूसरों के जीवन में बाधा न डालें. कोर्ट ने साफ कहा है कि यदि प्रदर्शनकारी नीति को स्वीकार नहीं करते तो दूसरों को नुकसान नहीं होना चाहिए. एक गांव बना लें लेकिन दूसरे लोगों के लिए बाधा न बनें. लोगों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन दूसरों को बाधित नहीं कर सकते. 

इस मामले में केंद्र सरकार ने कहा कि इस मुद्दे को हल करने का प्रयास कर कर रहे हैं और दो सप्ताह का समय चाहिए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को और समय दिया था.  

दरअसल सुप्रीम कोर्ट नोएडा और दिल्ली के बीच सड़क पर आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए नोएडा निवासी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल द्वारा दायर रिट याचिका पर उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य को नोटिस जारी किया था जिसमें उसने आरोप लगाया था कि नोएडा से दिल्ली तक उसका सफर सड़क जाम के कारण सामान्य 20 मिनट के बजाय दो घंटे का समय ले रहा है. 

जस्टिस एसके कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए और यह एक ऐसा पहलू है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेशों में बार-बार जोर दिया गया है. 

सुनवाई में सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि वह दिल्ली सरकार की ओर से पेश हो रहे हैं, जिस पर जस्टिस कौल ने जवाब दिया कि दिल्ली सरकार ने कहा था कि एसजी हरियाणा और यूपी सरकारों के लिए पेश हो रहे हैं. न्यायमूर्ति कौल ने आगे कहा कि हम इस बात से चिंतित नहीं हैं कि आप इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं, चाहे राजनीतिक रूप से, प्रशासनिक रूप से या न्यायिक रूप से. लेकिन हमने पहले भी यह कहा है कि सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए. यह जनता है, जिसे सड़क जाम के कारण कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है. 

एसजी ने हरियाणा और यूपी राज्यों के निहितार्थ के लिए अनुरोध किया, जिसे अदालत ने दोनों राज्यों को नोटिस जारी के साथ अनुमति दी. 29 मार्च, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को यह सुनिश्चित करने के लिए नोटिस जारी किया था कि सड़क क्षेत्र को स्पष्ट रखा जाए ताकि एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने का मार्ग प्रभावित न हो.  

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com