इशरत जहां (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
इशरत जहां मामले में गृह मंत्रालय की एक सदस्यीय समिति ने पाया है कि इस मामले से जुड़े पांच दस्तावेज़ पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल में ही गायब हो चुके थे।
गृह मंत्रालय के मुताबिक़, जो तीन दस्तावेज़ ग़ायब हुए थे, उनमें से एक जो तब के गृह सचिव जी के पिल्लै ने तत्कालीन अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती को भेजा था, वह मिल गया है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'ये दस्तावेज़ भी कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क में मिला है। बाक़ी कुछ नहीं मिला।'
इस मामले में तत्कालीन गृहमंत्री चिदंबरम पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने एनआईए का दुरुपयोग किया और जबरन एफ़िडेविट बदलवाए और वह कागजात हटा दिया गया, जिसमें एनआईए ने इशरत को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा बताया था।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक, आंतरिक सुरक्षा विभाग की पूर्व संयुक्त आयुक्त डी दीप्ति विलास ने समिति को बताया कि जब इशरत से जुड़ी फ़ाइल उनके पास पहुंची थी, तभी उसमें पांच दस्तावेज गायब थे। यानी जब फ़ाइल गृहमंत्री और गृह सचिव से उन तक पहुंची, तब उसमें वे दस्तावेज़ नहीं थे।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ये सभी दस्तावेज 18 सितंबर 2009 से लेकर 28 सितंबर 2009 के बीच ही गायब हुए। समिति ने नतीजा निकाला है कि इन सब दस्तावेजों को जानबूझकर या अनजाने में गलत तरीके से खो दिया गया।
बहरहाल समिति ने इस मामले में 52 पन्नों की रिपोर्ट दी है और उसने गृह मंत्रालय ने अपने 11 अधिकारियों से पूछताछ कर कई जगहों पर छानबीन भी की ताकि गायब दस्तावेज ढूंढ़े जा सके।
ये पांच दस्तावेज थे गुम
- 18 सितंबर 2009 को गृह सचिव की अटॉर्नी जनरल को लिखी गई चिट्ठी
- 23 सितंबर 2009 को गृह सचिव की अटॉर्नी जनरल को लिखी गई चिट्ठी
- अटॉर्नी जनरल द्वारा भेजा गया ऐफ़िडेविट
- 24 सितंबर 2009 को गृहमंत्री द्वारा हलफ़नामे में किए गए बदलाव
- 29 सितंबर 2009 को कोर्ट में दायर किया गया हलफ़नामा
गृह मंत्रालय के मुताबिक़, जो तीन दस्तावेज़ ग़ायब हुए थे, उनमें से एक जो तब के गृह सचिव जी के पिल्लै ने तत्कालीन अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती को भेजा था, वह मिल गया है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'ये दस्तावेज़ भी कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क में मिला है। बाक़ी कुछ नहीं मिला।'
इस मामले में तत्कालीन गृहमंत्री चिदंबरम पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने एनआईए का दुरुपयोग किया और जबरन एफ़िडेविट बदलवाए और वह कागजात हटा दिया गया, जिसमें एनआईए ने इशरत को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा बताया था।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक, आंतरिक सुरक्षा विभाग की पूर्व संयुक्त आयुक्त डी दीप्ति विलास ने समिति को बताया कि जब इशरत से जुड़ी फ़ाइल उनके पास पहुंची थी, तभी उसमें पांच दस्तावेज गायब थे। यानी जब फ़ाइल गृहमंत्री और गृह सचिव से उन तक पहुंची, तब उसमें वे दस्तावेज़ नहीं थे।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ये सभी दस्तावेज 18 सितंबर 2009 से लेकर 28 सितंबर 2009 के बीच ही गायब हुए। समिति ने नतीजा निकाला है कि इन सब दस्तावेजों को जानबूझकर या अनजाने में गलत तरीके से खो दिया गया।
बहरहाल समिति ने इस मामले में 52 पन्नों की रिपोर्ट दी है और उसने गृह मंत्रालय ने अपने 11 अधिकारियों से पूछताछ कर कई जगहों पर छानबीन भी की ताकि गायब दस्तावेज ढूंढ़े जा सके।
ये पांच दस्तावेज थे गुम
- 18 सितंबर 2009 को गृह सचिव की अटॉर्नी जनरल को लिखी गई चिट्ठी
- 23 सितंबर 2009 को गृह सचिव की अटॉर्नी जनरल को लिखी गई चिट्ठी
- अटॉर्नी जनरल द्वारा भेजा गया ऐफ़िडेविट
- 24 सितंबर 2009 को गृहमंत्री द्वारा हलफ़नामे में किए गए बदलाव
- 29 सितंबर 2009 को कोर्ट में दायर किया गया हलफ़नामा
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