हिन्दी के जाने-माने साहित्यकार राजेन्द्र यादव का 84 साल की उम्र में आज निधन हो गया। दिल्ली में अपने घर पर बीती रात करीब पौने बारह बजे उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई, जिसके बाद अस्पताल जाने के समय उनका निधन हो गया।
आज लोधी रोड में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। राजेन्द्र यादव को हिन्दी साहित्य में ’नई कहानी’ के दौर को गढ़ने वालों में से एक माना जाता है। लंबे समय से राजेन्द्र यादव साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन कर रहे थे
राजेन्द्र यादव का पहला उपन्यास ’प्रेत बोलते हैं’ 1951 में प्रकाशित हुआ। इसके बाद उनका बहुचर्चित उपन्यास ’सारा आकाश’ 1960 में प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास पर 1969 में बासु भट्टाचार्य ने 'सारा आकाश' फिल्म बनाई।
इसके अलावा उन्होंने 'उखड़े हुए लोग', 'कुल्टा', 'शह और मात' नाम का मशहूर उपन्यास लिखा। इसके अलावा उन्होंने कई कहानी संग्रहों का संपादन भी किया। इन्होंने चेखव तुर्ग नेव समेत कई रूसी साहित्यकारों की कहानियों का हिन्दी में अनुवाद किया।
राजेन्द्र यादव ने अपनी पत्नी मन्नू भंडारी के साथ मिलकर 'एक इंच मुस्कान' नाम का उपन्यास लिखा, जो काफी मशहूर हुआ। 1986 से राजेन्द्र यादव हंस पत्रिका का संपादन कर रहे थे।
इस पत्रिका को 1930 में हिन्दी के मशहूर उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने शुरू किया था, लेकिन 1953 में यह बंद हो गई, जिसे राजेन्द्र यादव ने 1986 में लॉन्च किया। 1999 से लेकर 2001 तक वो प्रसार भारती के मेंबर भी चुने गए। राजेन्द्र यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में 28 अगस्त 1929 को हुआ था।
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