नरेंद्र मोदी और अमित शाह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की प्रतिष्ठा का प्रश्न बने बिहार चुनाव के लिए बीजेपी प्रचार का दूसरा दौर बुधवार से शुरू करने जा रही है।
प्रचार के दूसरे दौर में बीजेपी बिहार के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित एक लाख पैंसठ हजार करोड़ रुपये के पैकेज के बारे में गांव-गांव तक बात पहुंचाएगी। बीजेपी प्रचार के लिए तैनात वीडियो रथों से यह भी बताएगी कि अगर वह सत्ता में आई तो बिहार के विकास के लिए क्या-क्या किया जाएगा।
बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों से मुताबिक सोमवार को खत्म हुए प्रचार के पहले दौर में राज्य के सभी 43 हजार गांवों तक पार्टी का संदेश पहुंचा दिया गया है। पार्टी का दावा है कि हर गांव में बीजेपी का झंडा फहरा दिया गया है। चुनावों की घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी जबर्दस्त ढंग से प्रचार के लिए मैदान में उतर आएंगे।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का गठबंधन है क्योंकि इसमें जंगलराज और विकास का अभाव दोनों मुद्दे आ जाते हैं। पार्टी पूछेगी कि जो नीतीश कुमार 17 साल की उम्र से कांग्रेस का और पिछले बीस साल से लालू प्रसाद का विरोध करते रहे, आज वे उनके साथ क्यों जा रहे हैं? बीजेपी का आरोप है कि नीतीश ऐसा सिर्फ मुख्यमंत्री बनने के लिए कर रहे हैं और उन्हें बिहार की फिक्र नहीं है।
बीजेपी शत्रुघ्न सिन्हा के बयानों से लगातार परेशानी में है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक उनके बयानों पर पार्टी की नजर है और उचित समय पर उचित कार्रवाई की जाएगी। बीजेपी का मानना है कि बिहार में विधानसभा के चुनाव दशहरे और दीवाली के बीच होने चाहिए। कई दूसरी पार्टियों की भी यही राय है जिसे चुनाव आयोग को बता दिया गया है।
बीजेपी के सहयोगी दल दबाव डाल रहे हैं कि सीटों का बंटवारा जल्द से जल्द होना चाहिए। मगर बीजेपी जल्दबाजी में नहीं है। उसका कहना है कि सही समय पर सहयोगी दलों से बात होगी और सीट बंटवारे का कोई फार्मूला तय नहीं है। बीजेपी ने यह भी तय किया है कि वह अपने उम्मीदवारों का नाम चुनाव के ऐलान के बाद ही घोषित करेगी।
बीजेपी से पूछा जा रहा है कि जब वह खुद सात साल नीतीश कुमार के साथ रही तो उनकी सरकार के कामकाज पर निशाना कैसे साध सकती है। इस पर बीजेपी के आला नेताओं का कहना है कि 'पूरी क्रेडिट बीजेपी को जाती है। आप बीजेपी के सात साल और बाकी तीन साल का हिसाब कर लें। हम पूरे समय अकेले होते तो ज्यादा अच्छा होता। थोड़ा बहुत विकास हुआ तो बीजेपी के नब्बे एमएलए की ताकत से हुआ।'
बीजेपी का कहना है कि बिहार में चुनाव नीतीश कुमार बनाम कमल होगा। पार्टी को भरोसा है कि चुनाव में उसकी जीत होगी। पार्टी का दावा है कि विकास का मुद्दा प्रमुखता में है और बड़ी संख्या में लोग जाति आधार से ऊपर उठकर विकास के लिए बीजेपी को वोट देंगे। बीजेपी का कहना है कि मुख्यमंत्री का नाम संसदीय बोर्ड तय करेगा।
बीजेपी ने नीतीश कुमार के पक्ष में प्रचार के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा है। बीजेपी केजरीवाल से पूछेगी कि क्या वे लालू प्रसाद और कांग्रेस का प्रचार करेंगे या नहीं क्योंकि नीतीश का गठबंधन उनके साथ है। पार्टी के आला सूत्रों ने यह भी साफ किया कि किसी केंद्रीय नेता को बिहार में विधानसभा चुनाव नहीं लड़वाया जाएगा।
प्रचार के दूसरे दौर में बीजेपी बिहार के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित एक लाख पैंसठ हजार करोड़ रुपये के पैकेज के बारे में गांव-गांव तक बात पहुंचाएगी। बीजेपी प्रचार के लिए तैनात वीडियो रथों से यह भी बताएगी कि अगर वह सत्ता में आई तो बिहार के विकास के लिए क्या-क्या किया जाएगा।
बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों से मुताबिक सोमवार को खत्म हुए प्रचार के पहले दौर में राज्य के सभी 43 हजार गांवों तक पार्टी का संदेश पहुंचा दिया गया है। पार्टी का दावा है कि हर गांव में बीजेपी का झंडा फहरा दिया गया है। चुनावों की घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी जबर्दस्त ढंग से प्रचार के लिए मैदान में उतर आएंगे।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का गठबंधन है क्योंकि इसमें जंगलराज और विकास का अभाव दोनों मुद्दे आ जाते हैं। पार्टी पूछेगी कि जो नीतीश कुमार 17 साल की उम्र से कांग्रेस का और पिछले बीस साल से लालू प्रसाद का विरोध करते रहे, आज वे उनके साथ क्यों जा रहे हैं? बीजेपी का आरोप है कि नीतीश ऐसा सिर्फ मुख्यमंत्री बनने के लिए कर रहे हैं और उन्हें बिहार की फिक्र नहीं है।
बीजेपी शत्रुघ्न सिन्हा के बयानों से लगातार परेशानी में है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक उनके बयानों पर पार्टी की नजर है और उचित समय पर उचित कार्रवाई की जाएगी। बीजेपी का मानना है कि बिहार में विधानसभा के चुनाव दशहरे और दीवाली के बीच होने चाहिए। कई दूसरी पार्टियों की भी यही राय है जिसे चुनाव आयोग को बता दिया गया है।
बीजेपी के सहयोगी दल दबाव डाल रहे हैं कि सीटों का बंटवारा जल्द से जल्द होना चाहिए। मगर बीजेपी जल्दबाजी में नहीं है। उसका कहना है कि सही समय पर सहयोगी दलों से बात होगी और सीट बंटवारे का कोई फार्मूला तय नहीं है। बीजेपी ने यह भी तय किया है कि वह अपने उम्मीदवारों का नाम चुनाव के ऐलान के बाद ही घोषित करेगी।
बीजेपी से पूछा जा रहा है कि जब वह खुद सात साल नीतीश कुमार के साथ रही तो उनकी सरकार के कामकाज पर निशाना कैसे साध सकती है। इस पर बीजेपी के आला नेताओं का कहना है कि 'पूरी क्रेडिट बीजेपी को जाती है। आप बीजेपी के सात साल और बाकी तीन साल का हिसाब कर लें। हम पूरे समय अकेले होते तो ज्यादा अच्छा होता। थोड़ा बहुत विकास हुआ तो बीजेपी के नब्बे एमएलए की ताकत से हुआ।'
बीजेपी का कहना है कि बिहार में चुनाव नीतीश कुमार बनाम कमल होगा। पार्टी को भरोसा है कि चुनाव में उसकी जीत होगी। पार्टी का दावा है कि विकास का मुद्दा प्रमुखता में है और बड़ी संख्या में लोग जाति आधार से ऊपर उठकर विकास के लिए बीजेपी को वोट देंगे। बीजेपी का कहना है कि मुख्यमंत्री का नाम संसदीय बोर्ड तय करेगा।
बीजेपी ने नीतीश कुमार के पक्ष में प्रचार के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा है। बीजेपी केजरीवाल से पूछेगी कि क्या वे लालू प्रसाद और कांग्रेस का प्रचार करेंगे या नहीं क्योंकि नीतीश का गठबंधन उनके साथ है। पार्टी के आला सूत्रों ने यह भी साफ किया कि किसी केंद्रीय नेता को बिहार में विधानसभा चुनाव नहीं लड़वाया जाएगा।
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