रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को में कटौती का फैसला लिया गया है. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जिससे अब रेपो रेट 6.5 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी हो गया है. दरअसल, RBI के नए गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल की यह पहली समीक्षा बैठक है. बता दें कि शक्तिकांत दास ने 12 दिसंबर को RBI की कमान संभाली है.
रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट क्या होता है, जानें आसान शब्दों में...
उम्मीद की जा रही है कि शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिती की बैठक में रेपो रेट में कटौती के इस फैसले से लोन सस्ते हो सकते हैं. होम लोन सस्ता हो सकता है.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "वर्ष 2019-20 के लिए वृद्धि दर के लक्ष्य को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. वर्ष 2019-20 के पहले छह महीनों में मुद्रास्फीति की दर 3.2-3.4 फीसदी रहने का अनुमान है, तथा तीसरी तिमाही में इसके 3.9 फीसदी रहने का अनुमान है. चौथी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के लक्ष्य को घटाकर 2.8 फीसदी किया गया."
क्या होता है रेपो रेट
बैंकों को अपने प्रतिदिन के कामकाज लिए अक्सर बड़ी रकम की जरूरत होती है. तब बैंक केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक से रात भर के लिए (ओवरनाइट) कर्ज लेने का विकल्प अपनाते हैं. इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. अब सवाल यह है कि यह आम आदमी के लिए क्या मायने रखता है? दरअसल, रेपो रेट कम होने से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है और इसके चलते बैंक आम लोगों को दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दरों में भी कमी करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा रकम कर्ज के तौर पर दी जा सके. अब अगर रेपो दर में बढ़ोतरी की जाती है तो इसका सीधा मतलब यह होता है कि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से रात भर के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा. ऐसे में जाहिर है कि बैंक दूसरों को कर्ज देने के लिए जो ब्याज दर तय करेंगे वह भी उन्हें बढ़ाना होगा.
सिंपल समाचार: जानिये क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट
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