बाड़मेर में 200 बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन? NDTV की पड़ताल में सामने आई अस्पताल की दुर्दशा

राजस्थान के कोटा के बाद बाड़मेर ज़िले से भी नवज़ातों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ किए जाने का मामला सामने आया है.

बाड़मेर में 200 बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन? NDTV की पड़ताल में सामने आई अस्पताल की दुर्दशा

खास बातें

  • अस्पताल की खिड़कियों में नही हैं कांच
  • आती हैं ठंडी हवाएं
  • परिजनों ने खिड़कियों में लगाई चादर और गत्ते
नई दिल्ली:

राजस्थान के कोटा के बाद बाड़मेर ज़िले से भी नवज़ातों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ किए जाने का मामला सामने आया है. बाड़मेर के सरकारी अस्पताल में नवज़ातों के वार्ड में भारी लापरवाही है और यहां 2019 में 6 फ़ीसदी बच्चों की मौत हुई है जो आंकड़ा कोटा से ज़्यादा है. कुल 2966 बच्चों में से 202 बच्चों ने अस्पताल में भर्ती होने के बाद दम तोड़ दिया. जब NDTV की बाड़मेर जिला मुख्यालय पर सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में जाकर जब बच्चों के वार्ड की सुध ली तो हमारी टीम की आंखें खुल गई एक तरफ तो बाड़मेर में सर्दी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ रखे है वहीं अस्पताल की तीसरी मंजिल पर बच्चों को भर्ती किया गया है जहां पर खिड़किया खुली थीं और बच्चों के परिजनों ने ठंडी हवाओं से बचने के लिए खिड़कियों पर चादर लगा रखे थे. वहीं कुछ ने कागज के गत्ते लगा रखे थे. लेकिन हालत यह थी कि रात जैसे-जैसे बढ़ी ठंडी हवाओं से बीमार बच्चों की ही नहीं उनके परिजनों की भी हालत खराब हो गई.  

एक बच्चे की मौत 2 दिन पहले ही हुई थी. बच्चे के परिजन श्याम सुंदर अग्रवाल ने कहा, 'बच्चा पहले बीमार था अस्पताल में जांच करवाने के बाद भर्ती किया गया तो हमें ऐसे वार्ड में रखा गया था जहां बच्चे क्या परिजनों को भी इस कड़ाके की सर्दी में रहना मुश्किल हो रहा था. लेकिन जिस तरीके की व्यवस्था थी उससे लगातार जबरदस्त तरीके से ठंडी हवाएं आ रही थी उस कारण से बच्चा और बीमार पड़ गया और 5 घंटों में उसकी मौत हो गई'.

उससे भी हैरान करने वाली बात यह है कि कोटा में तो मौत का आंकड़ा वर्ष 2019 में सिर्फ 5 प्रतिशत के आसपास का है लेकिन राजस्थान के बाड़मेर में यह आंकड़ा सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे यह आंकड़ा 5 नहीं 6 प्रतिशत से भी ज्यादा है और अस्पताल प्रशासन भी इसकी पुष्टि कर रहा है.
  
जब NDTV की टीम ने अस्पताल की अन्य वार्डों का दौरा किया तो पता चला कि नर्सिंग स्टाफ की कक्ष में हमें हीटर नजर आया तो हमने नर्सिंग स्टाफ से पूछा तो उनका कहना था कि यह सरकारी हीटर नहीं है अपने पैसों से लाया हुआ हीटर है सरकार ने ऐसी कोई भी सुविधा यहां नहीं करवाई है.

अस्पताल का दौरा करने के बाद राजकीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी बीएल मंसूरिया के पास टीम पहुंची और आंकड़ों के बारे में जाना तो होश उड़ गए उन्होंने बताया कि 2019 में 2966 बच्चों का एडमिशन हुआ है जिसमें से 202 बच्चों की मौत हो गई है या आंकड़ा 6 प्रतिशत से भी ज्यादा बताया जा रहा है. जब हमने सीएमओ साहब से पूछा की तीसरे मंजिल के वार्डो में जिन बच्चों के भर्ती किया हुआ है, वहां के हालात इतने खराब क्यों हैं तो उनका जवाब था कि इस बारे में मुझे जानकारी मिली है अगले 24 घंटों में ऐसे ही सही करवा दिया जाएगा. 

गौरतलब है कि इस समय बच्चों की मौत पर जमकर राजनीति हो रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर लगातार बच्चों की मौत राजस्थान के बाड़मेर में भी इसी तरीके से हो रही है और वहीं इतनी कड़कड़ाती सर्दी में क्या सरकार ने इन मासूमों के लिए सर्दी से बचने के लिए हीटर भी नहीं अलॉटमेंट करा सकी. 

मंत्री जी के लिए हरा कालीन
कोटा में जहां दिसंबर महीने में ही 100 बच्चों की मौत हो चुकी है उसी अस्पताल में जब राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा पहुंचे तो उनके स्वागत में हरे रंग का कालीन बिछवाया गया. लेकिन जब इसकी आलोचना शुरू हुई तो अस्पताल प्रशासन ने मारे शर्म के मंत्री जी के आने से पहले ही कालीन को हटवा दिया. अस्पताल में स्वागत संबंधी तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि जब उन्हें कालीन के बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत अधिकारियों को ऐसी चीजें न करने का निर्देश दिया.  (इनपुट- भाषा से भी)

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