सुरेश प्रभु ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरुआत मनमोहन सिंह ने की थी
नई दिल्ली:
कांग्रेस ने गुरुवार का आरोप लगाया कि सरकार ने रेल बजट में गलत दावा किया है कि वह रेल यात्री किराया और माल भाड़ा नहीं बढ़ा रही है बल्कि इस बात की आशंका है कि पिछले साल की तरह से विभिन्न मदों में किराये में वृद्धि की जा सकती है।
सदन में वित्त वर्ष 2016-17 के रेल बजट एवं अनुदान की अनुपूरक मांगों पर चर्चा शुरू हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि पांच राज्यों में आसन्न विधानसभा चुनाव के कारण सरकार ने रेल किराये में वृद्धि नहीं की। उन्होंने कहा कि सरकार ने टिकट रद्द करने का शुल्क और तत्काल टिकट शुल्क में पिछले ही साल कई गुणा वृद्धि कर दी थी।
उन्होंने कहा कि रेलवे में पारदर्शिता की काफी कमी है और यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि सरकार आधारभूत ढांचे पर प्रस्तावित व्यय का वित्त पोषण कहां से करेगी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कटाक्ष किया कि बुलेट ट्रेन जरूरी है क्योंकि रेल मंत्री सुरेश प्रभु को अक्सर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से विचार विमर्श करने के लिए मुम्बई से अहमदाबाद जाना पड़ेगा। चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी और वर्तमान सरकार इसे आगे बढ़ा रही है।
इससे पहले जब चर्चा शुरू की जानी थी तब कांग्रेस और 'आप' सदस्यों ने सुरेश प्रभु के सदन में मौजूद नहीं रहने के विषय को उठाया। पीठासीन पदाधिकारी रत्ना डे नाग ने कहा कि प्रभु राज्यसभा में हैं और जल्द ही लोकसभा में आएंगे। उनके कनष्ठि सहयोगी रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा सदन में मौजूद हैं। अन्नाद्रमुक सदस्य आर प्रथिपल ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि रेल बजट में किसी नई रेल लाइन या परियोजनाओं की घोषणा नहीं की गई। उन्होंने हालांकि कहा कि रेल परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने की दिशा में हर प्रयास होने चाहिए जो पूर्व की सरकारों के दौरान घोषित हुई थी।
तृणमूल कांग्रेस की काकोली घोष दस्तेदार ने कहा कि रेल बजट में पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के सात राज्यों के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘इन क्षेत्रों को क्यों नजरंदाज किया गया। दूरंतो का नाम क्यों बदला गया। उन्होंने मांग की कि ‘इज्जत टिकट’ व्यवस्था को वापस लाया जाना चाहिए।
दस्तेदार ने रेलवे के विभिन्न क्रियाकलापों को आगे बढ़ाने के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी पर जोर दिये जाने पर आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पहल संगठन के निजीकरण की दिशा में कदम है। पीठासीन पदाधिकारी के एच मुनियप्पा ने कहा कि रेल मंत्री को रेल महाप्रबंधकों और क्षेत्र के सांसदों की बैठक बुलानी चाहिए और विषयों पर चर्चा करनी चाहिए। बीजद के बलभद्र मांझी ने ओडिशा को रेल परियोजनाएं आवंटित करने के लिए रेल मंत्री की सराहना की। शिवसेना के गजानन कीर्तिकर ने मांग की कि रेलवे स्टेशनों पर स्टॉलों को स्थानीय लोगों (भूमिपु़त्रों) को आवंटित करना चाहिए।
शिवसेना सांसद ने मांग की कि रेलवे भर्ती बोर्ड-मुम्बई के कामकाज की जांच की जाए और आरोप लगाया कि केवल 30 प्रतिशत मराठियों की भर्ती की गई।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
सदन में वित्त वर्ष 2016-17 के रेल बजट एवं अनुदान की अनुपूरक मांगों पर चर्चा शुरू हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि पांच राज्यों में आसन्न विधानसभा चुनाव के कारण सरकार ने रेल किराये में वृद्धि नहीं की। उन्होंने कहा कि सरकार ने टिकट रद्द करने का शुल्क और तत्काल टिकट शुल्क में पिछले ही साल कई गुणा वृद्धि कर दी थी।
उन्होंने कहा कि रेलवे में पारदर्शिता की काफी कमी है और यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि सरकार आधारभूत ढांचे पर प्रस्तावित व्यय का वित्त पोषण कहां से करेगी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कटाक्ष किया कि बुलेट ट्रेन जरूरी है क्योंकि रेल मंत्री सुरेश प्रभु को अक्सर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से विचार विमर्श करने के लिए मुम्बई से अहमदाबाद जाना पड़ेगा। चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी और वर्तमान सरकार इसे आगे बढ़ा रही है।
इससे पहले जब चर्चा शुरू की जानी थी तब कांग्रेस और 'आप' सदस्यों ने सुरेश प्रभु के सदन में मौजूद नहीं रहने के विषय को उठाया। पीठासीन पदाधिकारी रत्ना डे नाग ने कहा कि प्रभु राज्यसभा में हैं और जल्द ही लोकसभा में आएंगे। उनके कनष्ठि सहयोगी रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा सदन में मौजूद हैं। अन्नाद्रमुक सदस्य आर प्रथिपल ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि रेल बजट में किसी नई रेल लाइन या परियोजनाओं की घोषणा नहीं की गई। उन्होंने हालांकि कहा कि रेल परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने की दिशा में हर प्रयास होने चाहिए जो पूर्व की सरकारों के दौरान घोषित हुई थी।
तृणमूल कांग्रेस की काकोली घोष दस्तेदार ने कहा कि रेल बजट में पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के सात राज्यों के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘इन क्षेत्रों को क्यों नजरंदाज किया गया। दूरंतो का नाम क्यों बदला गया। उन्होंने मांग की कि ‘इज्जत टिकट’ व्यवस्था को वापस लाया जाना चाहिए।
दस्तेदार ने रेलवे के विभिन्न क्रियाकलापों को आगे बढ़ाने के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी पर जोर दिये जाने पर आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पहल संगठन के निजीकरण की दिशा में कदम है। पीठासीन पदाधिकारी के एच मुनियप्पा ने कहा कि रेल मंत्री को रेल महाप्रबंधकों और क्षेत्र के सांसदों की बैठक बुलानी चाहिए और विषयों पर चर्चा करनी चाहिए। बीजद के बलभद्र मांझी ने ओडिशा को रेल परियोजनाएं आवंटित करने के लिए रेल मंत्री की सराहना की। शिवसेना के गजानन कीर्तिकर ने मांग की कि रेलवे स्टेशनों पर स्टॉलों को स्थानीय लोगों (भूमिपु़त्रों) को आवंटित करना चाहिए।
शिवसेना सांसद ने मांग की कि रेलवे भर्ती बोर्ड-मुम्बई के कामकाज की जांच की जाए और आरोप लगाया कि केवल 30 प्रतिशत मराठियों की भर्ती की गई।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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