किसान यात्रा में राहुल गांधी (फाइल फोटो)
वाराणसी:
राहुल गांधी किसान यात्रा पर हैं. वो देवरिया से दिल्ली तक की यात्रा कर रहे हैं. इस यात्रा में एक ख़ास बात देखने को ये मिली कि राहुल गांधी हर मंदिर और दरगाह में अपना मत्था टेक रहे हैं. वो अयोध्या में राम मंदिर गए तो दरगाह भी गये. विंध्याचल मंदिर के बाद चित्रकूट में कामदगिरि के मंदिर भी गये जहां कभी भगवान राम ने 11 साल बनवास काटे थे. कांग्रेस 27 साल से यूपी में बनवास झेल रही जिसकी वापसी के लिये ये सारी कवायद है. और शायद ही कभी गांधी परिवार के किसी शख्स ने सत्ता के लिये इतने मंदिर और दरगाहों में मत्था टेका होगा.
चित्रकूट के कामदगिरि मंदिर में राहुल गांधी ने विधिवत पूजा अर्चना की. मंदिर के विजिटिंग रजिस्टर में अपने भाव भी व्यक्त किये और लिखा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि उस जगह आया जहां भगवान राम रहे थे. मंदिर से बाहर निकले तो माथे पर चंदन और चेहरे पर 27 साल बाद यूपी में वापस आने का संकल्प जैसा भाव था. और इस भाव का विचार भी चित्रकूट की खाट सभा में सुनाई पड़ा जब वो यात्रा में पहली बार गाय के मुद्दे पर बीजेपी को घेरते नज़र आये. उन्होंने कहा, 'ये लोग सत्ता के लिये धर्म का इस्तेमाल करते हैं, गाय का इस्तेमाल करते हैं, इनका गाय से कुछ लेना देना नहीं है, सड़क पर गाय मर रही है.'
माथे पर चन्दन, कांधे पर देवी की चुनरी और गले में रुद्राक्ष, स्फटिक की माला, किसान यात्रा में राहुल गांधी का ये नया चेहरा है. सिर्फ कामदगिरी ही नहीं, इसके पहले अयोध्या के हनुमान गढ़ी, फिर विंध्याचल मंदिर में राहुल कुछ ऐसे ही नज़र आए. जानकार कहते हैं कि पिछले लोकसभा के चुनाव में मिली करारी हार के बाद मंथन में ये निकल के आया था कि पार्टी की हार की बड़ी वजह पार्टी की एक ख़ास वर्ग के लिये चेहरा बन जाने की छवि रही.
कांग्रेस नेता रघुनाथ द्विवेदी इस बात की तस्दीक करते हुए कहते हैं, 'बीजेपी और दूसरी पार्टियों ने हमारे ऊपर ये ठप्पा लगा दिया था कि सिर्फ मुसलमानों की पार्टी हैं, उनके लिए काम करते हैं. लेकिन राहुल गांधी ने उसको तोड़ा है. वो सर्व समाज को लेकर चल रहे हैं. हिन्दू मुस्लिम सभी को.'
साफ़ है कि कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व के मुद्दे को भी इस यात्रा में साथ साथ रखना चाहती है. क्योंकि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम उसके साथ तभी आएगा जब वो चुनौती देती नज़र आएगी. और चुनौती के लिये उसे हिंदुओं को अपनी तरफ मोड़ना होगा. लिहाजा 27 साल बाद यूपी में वापसी के लिये कांग्रेस हर दरवाजा खटखटा रही है.
चित्रकूट के कामदगिरि मंदिर में राहुल गांधी ने विधिवत पूजा अर्चना की. मंदिर के विजिटिंग रजिस्टर में अपने भाव भी व्यक्त किये और लिखा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि उस जगह आया जहां भगवान राम रहे थे. मंदिर से बाहर निकले तो माथे पर चंदन और चेहरे पर 27 साल बाद यूपी में वापस आने का संकल्प जैसा भाव था. और इस भाव का विचार भी चित्रकूट की खाट सभा में सुनाई पड़ा जब वो यात्रा में पहली बार गाय के मुद्दे पर बीजेपी को घेरते नज़र आये. उन्होंने कहा, 'ये लोग सत्ता के लिये धर्म का इस्तेमाल करते हैं, गाय का इस्तेमाल करते हैं, इनका गाय से कुछ लेना देना नहीं है, सड़क पर गाय मर रही है.'
माथे पर चन्दन, कांधे पर देवी की चुनरी और गले में रुद्राक्ष, स्फटिक की माला, किसान यात्रा में राहुल गांधी का ये नया चेहरा है. सिर्फ कामदगिरी ही नहीं, इसके पहले अयोध्या के हनुमान गढ़ी, फिर विंध्याचल मंदिर में राहुल कुछ ऐसे ही नज़र आए. जानकार कहते हैं कि पिछले लोकसभा के चुनाव में मिली करारी हार के बाद मंथन में ये निकल के आया था कि पार्टी की हार की बड़ी वजह पार्टी की एक ख़ास वर्ग के लिये चेहरा बन जाने की छवि रही.
कांग्रेस नेता रघुनाथ द्विवेदी इस बात की तस्दीक करते हुए कहते हैं, 'बीजेपी और दूसरी पार्टियों ने हमारे ऊपर ये ठप्पा लगा दिया था कि सिर्फ मुसलमानों की पार्टी हैं, उनके लिए काम करते हैं. लेकिन राहुल गांधी ने उसको तोड़ा है. वो सर्व समाज को लेकर चल रहे हैं. हिन्दू मुस्लिम सभी को.'
साफ़ है कि कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व के मुद्दे को भी इस यात्रा में साथ साथ रखना चाहती है. क्योंकि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम उसके साथ तभी आएगा जब वो चुनौती देती नज़र आएगी. और चुनौती के लिये उसे हिंदुओं को अपनी तरफ मोड़ना होगा. लिहाजा 27 साल बाद यूपी में वापसी के लिये कांग्रेस हर दरवाजा खटखटा रही है.
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