सरकार ने राहुल गांधी की जासूसी मामले पर यह कह कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की है कि यह एक फार्म भरवाने या कुछ जानकारी हासिल करने का मामला है। पुलिस कमिश्नर संसद भवन में पत्रकारों से बातचीत में कह चुके हैं कि उन्हें इस तरह के फार्म होने की जानकारी इस विवाद के बाद ही हुई है। अब कांग्रेस ने पलटवार किया है।
कांग्रेस का कहना है कि यह महज एक फार्म भरवाने का मामला नहीं है। यदि दिल्ली पुलिस को कोई जानकारी चाहिेए तो वह हमें फार्म भेज सकती है हम उसे भर देगें। यदि पुलिस को हमसे बात करनी है तो वो समय ले कर आ सकती है। कांग्रेस का कहना है कि यह इस सरकार के बिग ब्रदर वाचिंग प्रोग्राम के तहत किया जा रहा है और इसमें विपक्ष के नेताओं के अलावा एनडीए के घटक दल के नेता भी हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि किसी पर नजर रखने से संबंधित कुछ उपकरणों को 2009 में यूपीए सरकार ने भारत में लाने की इजाजत नहीं दी थी, अब कांग्रेस यह अंदेशा कर रही है कि ये उपकरण कुछ निजी लोगों या कंपनियों के पास पहुंच चुके हैं यानी बिग ब्रदर इज वाचिंग जैसी कोई चीज है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने ऐसा कोई फार्म नहीं भरा और न ही उनके निजी सहायकों से किसी दिल्ली पुलिस के अफसर या जवान ने ऐसी कोई जानकारी मांगी। तो क्या जो जानकारी दिल्ली पुलिस दे रही है कि सोनिया गांधी ने ये बताया वो बताया वो सब झूठी हैं। सिंघवी के मुताबिक 2 मार्च को एएसआई शमशेर सिंह राहुल गांधी के घर के बाहर टहलते पाए गए। जब एसपीजी ने उनसे पूछताछ की तब शमशेर सिंह ने फार्म की बात बताई।
कांग्रेस का कहना है कि समशेर सिंह ने सीधे राहुल गांधी के रिसेप्शन पर जा कर बात क्यों नहीं की। फिर 12 मार्च को 2 बीट कांस्टेबल आए, पार्टी को इस पर एतराज नहीं है क्योंकि वो अक्सर आते रहते हैं। फिर 14 मार्च को दो अफसर स्तर के अधिकारी आते हैं और पूछताछ करने लगते हैं कि यहां कौन काम करता है, राहुल गांधी के सेक्रेटरी कौन हैं आदि आदि।
कांग्रेस को इसी बात से एतराज है। कांग्रेस का आरोप है कि इस तरह का पुलिस राज बीजेपी शासित एक राज्य में देखा गया है और अब बिग ब्रदर वाचिंग के तहत अपने राजनैतिक सहयोगियों और विरोधियों पर नजर रखने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। मतलब साफ है यह मुद्दा तुरंत खत्म होता नहीं दिख रहा।
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