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This Article is From Dec 22, 2018

राहुल गांधी ने हरेन पंड्या, जज लोया सहित गिनाए 7 नाम, कहा- इन्हें किसी ने नहीं मारा...खुद मर गए

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोहराबुद्दीन मुठभेड़ केस के आरोपियों के बरी होने के बाद एक ट्वीट में सात लोगों की मौत पर सवाल उठाए हैं.

राहुल गांधी ने हरेन पंड्या, जज लोया सहित गिनाए 7 नाम, कहा- इन्हें किसी ने नहीं मारा...खुद मर गए
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की फाइल फोटो.
नई दिल्ली:

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ( Rahul Gandhi) इन दिनों बहुत आक्रामक तेवर में हैं. उन्होंने गुजरात के बहुचर्चित मुठभेड़ कांड में मारे गए सोहराबुद्दीन शेख (Sohrabuddin Sheikh) उसकी पत्नी कौसर बी (kausar bi) और तुलसी प्रजापति(Tulsiram Prajapati) केस के सभी आरोपियों के छूटने पर तंज कसा है. उन्होंने ऐसा ट्वीट किया, जो सोशल मीडिया पर कुछ ही समय में वायरल हो गया. खबर लिखे जाने तक, करीब साढ़े सात हजार लोगों ने ट्वीट को रिट्वीट किया. राहुल गांधी ने बीजेपी के शासनकाल में कुल सात लोगों की संदिग्ध मौत को लेकर ट्वीट में सवाल उठाए हैं. राहुल गांधी ने लिखा- हरेन पांड्या, तुलसीराम प्रजापति, जस्टिस लोया, प्रकाश थॉम्ब्रे, श्रीकांत खांडेलकर, कौसर बी, सोहराबुद्दीन शेख...इन्हें किसी ने नहीं मारा, ये बस मर गए.. 

कौन हैं पंड्या,   जज लोया और श्रीकांत

हरेन पंड्या गुजरात के गृहमंत्री रह चुके थे. उनकी 26 मार्च 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. तब गुजरात में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे. इस घटना में आरोपी रहे सोहराबुद्दीन शेख को बाद में पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया. जज बीएच लोया सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे. उनकी 2015 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, जबकि इसी केस से जुड़े वकील श्रीकांत की भी 29 नवंबर 2015 को संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया था कि वकील श्रीकांत को कोर्ट की बिल्डिंग से फेंक कर मारा गया था. जबकि सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति दोनों उज्जैन के मूल निवासी थे. दोनों का अपराध से नाता था. तुलसीराम प्रजापति ने  नाबालिग रहते ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था. 1997 में 18 साल की उम्र में पहली बार वह गिरफ्तार हुआ था. बाद में 28 साल की उम्र में गुजरात में हुए एन्काउंटर में उसे पुलिस ने मार गिराया. 

 

22 आरोपियों में से 21 पुलिसकर्मी छूटे
सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में 13 साल बाद हाल में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट का फैसला  सीबीआई की विशेष अदालत ने अपने फैसले में किसी तरह की साजिश से इनकार करते हुए सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया . विशेष अदालत ने कहा कि है कि जो भी साक्ष्य और सबूत पेश किए गए, उसमें किसी तरह की साजिश नहीं दिखती. इस मामले में शुरुआत में कुल 38 आरोपी थे, लेकिन मुकदमा शुरू होने से पहले ही आरोपी नेता और IPS अधिकारी आरोप मुक्त हो गए. बचे 22 आरोपियों में 21 जूनियर पुलिसकर्मी और एक बाहरी व्यक्ति हैं. हालांकि, अब इस मामले में सभी को कोर्ट ने बरी कर दिया है. 

क्या है सोहराबुद्दीन शेख मामला

सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगेस्टर शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरम्यिानी रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे. सीबीआई के मुताबिक शेख की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई. 

उसकी पत्नी को तीन दिन बाद मार डाला गया और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया. साल भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात - राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी. अभियोजन ने इस मामले में 210 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 92 मुकर गए. इस बीच, बुधवार को अभियोजन के दो गवाहों ने अदालत से दरख्वास्त की कि उनसे फिर से पूछताछ की जाए. इनमें से एक का नाम आजम खान है और वह शेख का सहयोगी था. 

उसने अपनी याचिका में दावा किया है कि शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपी एवं पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि यदि उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा. एक अन्य गवाह एक पेट्रोल पंप का मालिक महेंद्र जाला है. अदालत दोनों याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला करेगी.

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