राहुल गांधी का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि अखाड़ेबाजों के साथी सरदार मुकाबला गर्म होने से पहले ही नाव को किनारे छोड़ कहीं निकल लिए हैं।
संघ के मुखपत्र पांचजन्य के संपादकीय में राहुल का नाम लिए बिना कहा गया, 'धोती और सूट वाले बयान की सलवटें 17वीं बार निकालकर युवराज भी लौट चुके हैं। बुजुर्ग पार्टी के जवान 'मिस्टर इंडिया' हमेशा की तरह इस बार भी ऐन वक्त अचानक बिना कोई सुराग छोड़े मौके से गायब हैं।'
राहुल पर प्रहार जारी रखते हुए इसमें कहा गया, 'सिर्फ 41 सीटों पर दावेदारी के साथ देश की सबसे पुरानी पार्टी ऐतिहासिक शर्मिंदगी के साथ मझधार में भी नहीं, किनारे के किनारे पर ही है। खिवैया नाव छोड़ कहीं और निकल गया है। सदा की तरह बूढ़े कंधों पर ही कुनबा पार्टी की डोली ढोने की जिम्मेदारी है।'
संपादकीय में राहुल के अचानक विदेश जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा गया, 'चुटकियां लेने वाले इसे मैदान में मुकाबले से पहले उठती धूल से पैदा हुई 'थकान' बता रहे हैं तो सफाई देने वाले किसी अज्ञात अंतरराष्ट्रीय 'मंथन' का मुहूर्त।' 'डर गहरा है' शीर्षक से लिखे गए इस संपादकीय में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविंद केजरीवाल को भी बिना नाम लिए निशाने पर लिया गया है।
इसमें कहा गया, '27 अगस्त को पाटलीपुत्र में 'सुशासन बाबू' (नीतीश कुमार) के साथ सुशासन के ही सेमिनार में समर्थन की गलबहियां करने के बाद 'सरजी' दिल्ली लौट चुके हैं। बिहार में 'चारा चरने' और दिल्ली में भ्रष्टाचार करने वाले से पूरा भाईचारा जताने के बावजूद वे पूरब का रूख करने को राजी नहीं हैं।'
संघ के मुखपत्र पांचजन्य के संपादकीय में राहुल का नाम लिए बिना कहा गया, 'धोती और सूट वाले बयान की सलवटें 17वीं बार निकालकर युवराज भी लौट चुके हैं। बुजुर्ग पार्टी के जवान 'मिस्टर इंडिया' हमेशा की तरह इस बार भी ऐन वक्त अचानक बिना कोई सुराग छोड़े मौके से गायब हैं।'
राहुल पर प्रहार जारी रखते हुए इसमें कहा गया, 'सिर्फ 41 सीटों पर दावेदारी के साथ देश की सबसे पुरानी पार्टी ऐतिहासिक शर्मिंदगी के साथ मझधार में भी नहीं, किनारे के किनारे पर ही है। खिवैया नाव छोड़ कहीं और निकल गया है। सदा की तरह बूढ़े कंधों पर ही कुनबा पार्टी की डोली ढोने की जिम्मेदारी है।'
संपादकीय में राहुल के अचानक विदेश जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा गया, 'चुटकियां लेने वाले इसे मैदान में मुकाबले से पहले उठती धूल से पैदा हुई 'थकान' बता रहे हैं तो सफाई देने वाले किसी अज्ञात अंतरराष्ट्रीय 'मंथन' का मुहूर्त।' 'डर गहरा है' शीर्षक से लिखे गए इस संपादकीय में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविंद केजरीवाल को भी बिना नाम लिए निशाने पर लिया गया है।
इसमें कहा गया, '27 अगस्त को पाटलीपुत्र में 'सुशासन बाबू' (नीतीश कुमार) के साथ सुशासन के ही सेमिनार में समर्थन की गलबहियां करने के बाद 'सरजी' दिल्ली लौट चुके हैं। बिहार में 'चारा चरने' और दिल्ली में भ्रष्टाचार करने वाले से पूरा भाईचारा जताने के बावजूद वे पूरब का रूख करने को राजी नहीं हैं।'
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