मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई कांग्रेस अपनी ताकत को बढ़ाने में लगी है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भोपाल प्रवास के दौरान कांग्रेस भाजपा के कई बागियों को अपने साथ लाकर ताकत को और बढ़ाना का ख्वाब संजोए हुए हैं. कांग्रेस की ओर से भी भाजपा के कई नेताओं के संपर्क में होने के दावे किए जा रहे हैं. कांग्रेस ने राज्य में सत्ता बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से हासिल की है. कांग्रेस अभी खुद को पूरी तरह सहज महसूस नहीं कर पा रही है. इसी के चलते वह भाजपा में सेंधमारी की लगातार कोशिश कर रही हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज भोपाल के दौरे पर हैं. इस दौरान वे किसान रैली को संबोधित करने के साथ किसानों से संवाद भी कर सकते है.
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कांग्रेस के नेता इस दौरान भाजपा के बागियों को कांग्रेस में लाकर अपने अंक बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं. सूत्रों का दावा है कि विंध्य और महाकौशल क्षेत्र से आने वाले आधा दर्जन से अधिक विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं. भाजपा के बागियों में सबसे ज्यादा चर्चे पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया के हैं. कुसमरिया की मुख्यमंत्री कमलनाथ से एक दौर की बातचीत भी हो चुकी है. कुसमरिया का कहना है, "वे अपने समर्थकों से बातचीत कर रहे हैं. भाजपा अब नहीं रही, वह एक गुट बनकर रह गई है और इसी के चलते राज्य में बीजेपी की सरकार चली गई. भाजपा से बुंदेलखंड के पांच स्थानों में से किसी भी क्षेत्र से उम्मीदवार बनाने की मांग की थी, नहीं पूरी की तो सरकार ही नहीं बन पाई. ठीक वैसा ही हुआ, जैसा कौरव-पांडवों में हुआ था. पांडवों को पांच गांव नहीं दिए तो महाभारत हुआ. "
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गौर हो कि, कुसमारिया ने विधानसभा चुनाव में भाजपा से बगावत कर दमोह व पथरिया विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, दोनों ही क्षेत्रों से भाजपा के विधायक थे, मगर हार का सामना करना पड़ा. वर्तमान में कुसमरिया भाजपा से बाहर है. भाजपा नेताओं के कांग्रेस के आने के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी कहना है कि भाजपा के कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस में आने वाले है, मगर उन्होंने नाम बताने से इंकार कर दिया. इससे पहले कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर को भोपाल संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव दिया जा चुका है, यह बात अलग है कि गौर ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेशक भारत शर्मा का कहना है, "पिछले चुनाव की तुलना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में गिरावट आई है, वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें बीजेपी में महत्व नहीं मिल रहा है, लिहाजा वे नई जमीन तलाश रहे हैं.
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दूसरी ओर कांग्रेस जिसके पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है, इसलिए वह भी भाजपा के नेताओं को अपने पास लाना चाहती है ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में कुछ लाभ हो सके. वर्तमान हालात में दोनों के लिए लाभ उठाने का मौका है." राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें ही मिली, वहीं भाजपा के पास 109 सीटें हैं. इस तरह बहुमत तो किसी को नहीं मिला. वहीं लोकसभा की 29 में से 26 सीटें भाजपा के पास और तीन कांग्रेस के पास हैं. आगामी लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्य में कांग्रेस की सत्ता है. (इनपुट एजेंसी IANS)
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