लोकसभा चुनाव में मुद्दा बन चुके राफेल विमानों की पहली खेप फ्रांस से उड़कर 27 जुलाई को अंबाला पहुंचेगी. इन विमानों की कीमतों को लेकर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में मुद्दा बना चुकी है. वहीं इसमें लगने वाले हमर मिसाइल सिस्टम पर कांग्रेस की ओर से सवाल उठाए गए हैं. 23 जुलाई को खबर आई थी कि इन लड़ाकू में फ्रांस की हमर (HAMMER) से लैस की जाएगी. इन मिसाइलों की खास बात ये है कि 60 से 70 KM की रेंज में किसी भी टारगेट पर निशाना साध सकती हैं. यानी अगर पहाड़ो में भी दुश्मन अगर बंकर में छिपे हैं तो उनको निशाना बनाया जा सकता है. लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में इनकी उपयोगिता बढ़ जाती है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक सरकार ने इन मिसाइलों के खरीदने के प्रस्ताव को आगे काम शुरू कर दिया है. वहीं फ्रांस भी कम समय में ही इनकी सप्लाई का भरोसा दिया है. हालांकि IAF के एक प्रवक्ता ने नए अधिग्रहण से संबंधित घटनाक्रम की पुष्टि या खंडन करने से इनकार कर दिया.
1)Why HAMMER MISSILE NOT contracted with initial RAFALE purchase?
— Manish Tewari (@ManishTewari) July 24, 2020
2)Why weren't existing MUNITIONS SPICE & PAVEWAY-(MUCH CHEAPER) integrated with Rafale?
3)SPICE & PAVEWAY(IAF ALREADY HAS)DO EXACT same thing AS HAMMER?
4) HAMMER-6-7X COSTLIER THAN SPICE OR PAVEWAY?@PMOIndia
लेकिन दूसरी कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस हमर मिसाइल सिस्टम पर सवाल उठा दिए हैं. उन्होंने 214 जुलाई को ट्वीट कर 4 सवाल पूछे हैं. उन्होंने पूछा, राफेल सौदे के साथ ही इन मिसाइलों की खरीद पर बात क्यों नहीं हुई? हमने हमर जैसे ज्यादा सस्ते मिसाइल सिस्टम म्यूनिस स्पाइस एंड पेवे को राफेल में क्यों नहीं लगाया? ये सिस्टम पहले से ही वायुसेना के पास है क्या हमर भी इसी तरह काम करता है? हमर इसकी तुलना में 6-7 गुना महंगा है?
आपको बता दें कि राफेल में जहां हमर मिसाइल लगाने की बात कही जा रही है तो इसमें मीटोर और स्काल्प मिसाइलें पहले से ही लगी होंगी. यह मिसाइस हवा से हवा में मार करती है जिसकी रेंज 150 किलोमीटर तक है. बताया जा रहा है कि ये क्षमता अभी चीन और पाकिस्तान के पास नहीं है. वहीं बात करें स्काल्प मिसाइल की तो इस मिसाइल की क्षमता 600 किलोमीटर तक है.
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