नई दिल्ली:
राफेल लड़ाकू विमान सौदा अगले छह और आठ हफ्ते में फाइनल हो जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इसके लिए भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच जरूरी समझौता हो गया है। अब बस कीमतों को लेकर मामला अटका हुआ है। वह भी अगले कुछ हफ्ते में पक्के तौर पर फाइनल हो जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, यह दबाब का ही नतीजा है कि राफेल लड़ाकू विमान की कीमत पहले से कम हो गई है, लेकिन सरकार की कोशिश कीमत और कम कराने की है। वैसे यूपीए सरकार के वक्त किए गए टेंडर के मुताबिक, 36 राफेल की कीमत 66000 हजार करोड़ के आसपास होनी थी, लेकिन अब 36 राफेल की कीमत 59000 हजार करोड़ के आसपास आने की उम्मीद है।
कम से कम 50 फीसदी एडवांस में देना होगा और फिर 15 फीसदी का भुगतान जल्द करना होगा। जब फ्रांस के साथ 25 जनवरी को इसको लेकर एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ तो राफेल की तरफ से कहा गया कि हम इस कदम से बहुत खुश हैं और हम अगले चार हफ्तों में इस डील को फाइनल करने में फ्रांस की सरकार की मदद करेंगे।
गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की कमी है और अगर जल्द ही इस कमी को पूरा नहीं किया तो उसके लिए ऑपरेशनल जिम्मेदारी निभाना मुशिकल हो जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, यह दबाब का ही नतीजा है कि राफेल लड़ाकू विमान की कीमत पहले से कम हो गई है, लेकिन सरकार की कोशिश कीमत और कम कराने की है। वैसे यूपीए सरकार के वक्त किए गए टेंडर के मुताबिक, 36 राफेल की कीमत 66000 हजार करोड़ के आसपास होनी थी, लेकिन अब 36 राफेल की कीमत 59000 हजार करोड़ के आसपास आने की उम्मीद है।
कम से कम 50 फीसदी एडवांस में देना होगा और फिर 15 फीसदी का भुगतान जल्द करना होगा। जब फ्रांस के साथ 25 जनवरी को इसको लेकर एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ तो राफेल की तरफ से कहा गया कि हम इस कदम से बहुत खुश हैं और हम अगले चार हफ्तों में इस डील को फाइनल करने में फ्रांस की सरकार की मदद करेंगे।
गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की कमी है और अगर जल्द ही इस कमी को पूरा नहीं किया तो उसके लिए ऑपरेशनल जिम्मेदारी निभाना मुशिकल हो जाएगा।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं