लखनऊ:
प्रमोशन में आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में कथित तौर पर जबरन पारित कराए जाने की कोशिशों के विरोध में उत्तर प्रदेश में सामान्य एवं अन्य पिछड़े वर्ग के 18 लाख सरकारी और निगम कर्मचारी तथा अधिकारी गुरुवार शाम से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
कानपुर में कर्मचारियों ने इस बिल को रोकने की मांग की, वहीं लखनऊ में विधानसभा के बाहर भी प्रदर्शन हुआ और करीब−करीब सभी जिलों में प्रमोशन में आरक्षण का विरोध करने के लिए कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।
उत्तर प्रदेश की ही दोनों मुख्य राजनैतिक पार्टियां इस बिल को लेकर आमने-सामने हैं। मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी जहां इस बिल के पुरजोर समर्थन में है, वहीं राज्य में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी संसद में इसका तीव्र विरोध कर रही है।
पदोन्नति में भी अनुसूचित जाति, जनजाति के कर्मचारियों-अधिकारियों को आरक्षण दिए जाने का विरोध कर रही सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के अध्यक्ष इंजीनियर शैलेंद्र दुबे ने दावा किया है कि स्वास्थ्य, बिजली और परिवहन जैसी आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी सरकारी विभागों एवं निगमों के 18 लाख कर्मचारियों ने गुरुवार शाम से संपूर्ण कार्य बहिष्कार आंदोलन (हड़ताल) शुरू कर दिया है।
दुबे ने बताया कि पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने की दिशा में केंद्र सरकार की कोशिश एवं संविधान संशोधन की कवायद के विरोध में विधान भवन और प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने पदोन्नति में आरक्षण विरोधी आंदोलन में सरकारी कर्मचारियों की विभिन्न यूनियनों, शिक्षकों और अन्य कर्मचारी संगठनों की भागीदारी का दावा करते हुए कहा कि पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक ढांचे और समान अवसर के सिद्धांत पर प्रहार है। इससे पूर्व समिति के आहवान पर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों ने राजधानी में एक विरोध मार्च निकाला और विधानसभा के निकट मुख्य डाकघर चौराहे पर एक सभा का आयोजन किया।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
कानपुर में कर्मचारियों ने इस बिल को रोकने की मांग की, वहीं लखनऊ में विधानसभा के बाहर भी प्रदर्शन हुआ और करीब−करीब सभी जिलों में प्रमोशन में आरक्षण का विरोध करने के लिए कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।
उत्तर प्रदेश की ही दोनों मुख्य राजनैतिक पार्टियां इस बिल को लेकर आमने-सामने हैं। मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी जहां इस बिल के पुरजोर समर्थन में है, वहीं राज्य में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी संसद में इसका तीव्र विरोध कर रही है।
पदोन्नति में भी अनुसूचित जाति, जनजाति के कर्मचारियों-अधिकारियों को आरक्षण दिए जाने का विरोध कर रही सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के अध्यक्ष इंजीनियर शैलेंद्र दुबे ने दावा किया है कि स्वास्थ्य, बिजली और परिवहन जैसी आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी सरकारी विभागों एवं निगमों के 18 लाख कर्मचारियों ने गुरुवार शाम से संपूर्ण कार्य बहिष्कार आंदोलन (हड़ताल) शुरू कर दिया है।
दुबे ने बताया कि पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने की दिशा में केंद्र सरकार की कोशिश एवं संविधान संशोधन की कवायद के विरोध में विधान भवन और प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने पदोन्नति में आरक्षण विरोधी आंदोलन में सरकारी कर्मचारियों की विभिन्न यूनियनों, शिक्षकों और अन्य कर्मचारी संगठनों की भागीदारी का दावा करते हुए कहा कि पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक ढांचे और समान अवसर के सिद्धांत पर प्रहार है। इससे पूर्व समिति के आहवान पर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों ने राजधानी में एक विरोध मार्च निकाला और विधानसभा के निकट मुख्य डाकघर चौराहे पर एक सभा का आयोजन किया।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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