एक बड़े फ़ैसले में कैबनेट ने NPR यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को मंज़ूरी दे दी है. हर 10 साल में यह जनगणना होती है. अगले साल यह अप्रैल से शुरू होगी. क्या NPR एनआरसी लाने की दिशा में पहला कदम है? इसे लेकर उठ रहे सवालों पर सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साफ़ किया कि ऐसा सोचना गलत होगा.
जावड़ेकर ने कहा कि NPR का NRC से कोई लेना-देना नहीं है. हमने यूपीए-2 सरकार के दौरान जो पहल शुरू की गई उसी को आगे बढ़ाने का फैसला किया है. इसमें किसी को कोई कागज या प्रूफ देने की जरूरत नहीं होगी. जो भी भारत में रहता है उसकी जनगणना इसमें होगी. टेक्नालॉजी का इस्तेमाल होगा. ऐप की मदद से लोगों से जानकारी जुटाई जाएगी.
NRC की शुरूआत पिछली मनमोहन सरकार के कार्यकाल में हुई थी. इसके तहत भारत में रह रहे हर व्यक्ति से जुड़ी जानकारी जुटाई जाती है जो छह महीने तक देश में रह चुका है या छह महीने तक रहने वाला है. यह तय किया गया है कि यह प्रक्रिया एक अप्रैल 2020 से शुरू होगी और 30 सितंबर, 2020 तक चलेगी. यानी भारत में रह रहे लोगों के पास छह महीने का समय होगा, सरकारी एजेंसियों से अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने का. इस दौरान किसी भी नागरिक को न कोई दस्तावेज़ देने होंगे और न ही कोई सबूत देना होगा. जानकारी जुटाने की पूरी प्रक्रिया सेल्फ सर्टिफिकेशन के ज़रिए होगी. जावड़ेकर ने कहा कि सरकार नागरिकों पर विश्वास करती है कि वे सही जानकारी साझा करेंगे.
साफ है, NRC पर जारी विवाद के बीच शुरू हो रही इस कवायद को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं जिन पर सरकार को आगे भी सफाई देनी पड़ सकती है.
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