(फोटो साभार - PTI)
नई दिल्ली:
पंपोर के पास हुए आतंकी हमले में आठ सीआरपीएफ के मौत के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह किसी सुरक्षा में हुई चूक का नतीजा है। वजह है कैसे सड़क पर रोड ओपनिंग पार्टी के होने के बावजूद आतंकी अपने नापाक हरकत में सफल रहें। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि आतंकी आम आदमी के कपड़ों में होते हैं, जिन्हें पहचान पाना आसान नहीं होता कि आम आदमी के भीड़ में कौन आतंकी है और कौन आम आदमी?
--- ---- ---- ---- ----
पढ़ें खबर- जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के हमले में सीआरपीएफ के 8 जवान शहीद, 20 घायल
--- ---- ---- ---- ----
क्या कहना है CRPF का?
इस बारे में सीआरपीएफ का कहना है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच की जा रही है। उसके बाद ही पक्के तौर पर कुछ कहा जा सकता है। अब इस घटना की बात करें तो तीनों गाड़ियां बस, ट्रक और स्वराज माजदा में आतंकी हमले से निपटने के लिए हथियार बंद जवान तैनात थे। इतना ही सड़क पर हथियारबंद आरोपी भी तैनात थे। इसी का नतीजा रहा है कि जवानों पर हमला करने वाले आतंकी को सीआरपीएफ के जवानों ने मार गिराया।
आतंकी या तो मारे जाते हैं या फिर भाग जाते हैं...
सीआरपीएफ का यह भी कहना है कि ऐसे मौके पर जब हमला होता है, तो शुरुआती फायदे में आतंकी जरूर होते हैं लेकिन जब जवान जवाबी कारवार्ई करते हैं, तो आतंकी या तो मारे जाते हैं या फिर भाग जाते हैं। वैसे भी आतंकियों की ऐसे मौके पर नीति होती है हिट एंड रन, मतलब हमला करो और भाग जाओ। सुरक्षाबल तुरंत एक्शन में दनादन फायर इसलिए नहीं कर पाते हैं कि अगर उनकी फायरिंग में एक भी आम आदमी की मौत हो जाती है, तो इसका फायदा अलगगाववादी उठाकर मुद्दा बना लेते हैं। ऐसे में सुरक्षाबलों को जवाबी कार्रवाई भी सोच समझकर करनी होती है।
वैसे इसमें कोई दो राय नहीं कि खुफिया चूक तो जरूर हुई है, तभी आतंकियों की इतनी बड़ी घटना की कोई खबर नहीं लगी और इसकी कीमत आठ जवानों की शहादत और 24 जवानों के घायल होने से चुकानी पड़ी।
क्या है मामला...
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ की बस पर आतंकियों द्वारा किए गए हमले में 8 जवान शहीद हो गए और 24 अन्य घायल हो गए। आतंकियों ने पंपोर के नजदीक सीआरपीएफ के काफिले बस पर हमला किया था। जवाबी फायरिंग में दो आतंकी भी मारे गए। हमले के बाद सेना भी घटनास्थल पर पहुंची और व्यापक तलाशी अभियान चलाया गया। मारे गए आतंकियों के पास से दो एके 47 राइफलें, 11 मैगजीन, 6 हैंड ग्रेनेड और कुछ अन्य गोला-बारूद बरामद हुए हैं।
--- ---- ---- ---- ----
पढ़ें खबर- जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के हमले में सीआरपीएफ के 8 जवान शहीद, 20 घायल
--- ---- ---- ---- ----
क्या कहना है CRPF का?
इस बारे में सीआरपीएफ का कहना है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच की जा रही है। उसके बाद ही पक्के तौर पर कुछ कहा जा सकता है। अब इस घटना की बात करें तो तीनों गाड़ियां बस, ट्रक और स्वराज माजदा में आतंकी हमले से निपटने के लिए हथियार बंद जवान तैनात थे। इतना ही सड़क पर हथियारबंद आरोपी भी तैनात थे। इसी का नतीजा रहा है कि जवानों पर हमला करने वाले आतंकी को सीआरपीएफ के जवानों ने मार गिराया।
आतंकी या तो मारे जाते हैं या फिर भाग जाते हैं...
सीआरपीएफ का यह भी कहना है कि ऐसे मौके पर जब हमला होता है, तो शुरुआती फायदे में आतंकी जरूर होते हैं लेकिन जब जवान जवाबी कारवार्ई करते हैं, तो आतंकी या तो मारे जाते हैं या फिर भाग जाते हैं। वैसे भी आतंकियों की ऐसे मौके पर नीति होती है हिट एंड रन, मतलब हमला करो और भाग जाओ। सुरक्षाबल तुरंत एक्शन में दनादन फायर इसलिए नहीं कर पाते हैं कि अगर उनकी फायरिंग में एक भी आम आदमी की मौत हो जाती है, तो इसका फायदा अलगगाववादी उठाकर मुद्दा बना लेते हैं। ऐसे में सुरक्षाबलों को जवाबी कार्रवाई भी सोच समझकर करनी होती है।
वैसे इसमें कोई दो राय नहीं कि खुफिया चूक तो जरूर हुई है, तभी आतंकियों की इतनी बड़ी घटना की कोई खबर नहीं लगी और इसकी कीमत आठ जवानों की शहादत और 24 जवानों के घायल होने से चुकानी पड़ी।
क्या है मामला...
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ की बस पर आतंकियों द्वारा किए गए हमले में 8 जवान शहीद हो गए और 24 अन्य घायल हो गए। आतंकियों ने पंपोर के नजदीक सीआरपीएफ के काफिले बस पर हमला किया था। जवाबी फायरिंग में दो आतंकी भी मारे गए। हमले के बाद सेना भी घटनास्थल पर पहुंची और व्यापक तलाशी अभियान चलाया गया। मारे गए आतंकियों के पास से दो एके 47 राइफलें, 11 मैगजीन, 6 हैंड ग्रेनेड और कुछ अन्य गोला-बारूद बरामद हुए हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
जम्मू और कश्मीर, पंपोर, लश्कर-ए-तैयबा, आतंकवादी हमला, सीआरपीएफ, Jammu And Kashmir, Pampore, Lashkar E Taiba, Terrorist Attack, CRPF