पुष्कर धामी ने उत्तराखंड में भाजपा को सत्ता में पहुंचाया, खुद का ही चुनाव हार गए

उत्तराखंड में चुनाव परिणाम में भाजपा की शानदार जीत को देखते हुए धामी भाजपा के निर्णय को सही साबित करते नजर आये हैं. राज्य के 21 साल के इतिहास में पहली बार कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आ रही है.

पुष्कर धामी ने उत्तराखंड में भाजपा को सत्ता में पहुंचाया, खुद का ही चुनाव हार गए

पुष्कर धामी अपनी खटीमा विधानसभा सीट से करीब 6,500 वोटों से विधानसभा चुनाव हार गये हैं

देहरादून:

भारतीय जनता पार्टी ने पिछले साल जुलाई में पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया था. विधानसभा चुनाव से महज कुछ महीने पहले धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. धामी को तीरथ सिंह रावत की जगह राज्य की मान सौंपी गयी थी. कुछ महीने पहले ही तीरथ सिंह रावत को त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह इस पद पर आसीन किया गया था. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने धामी की तुलना क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी से करते हुए कहा था कि वह ‘अच्छे फिनिशर' हैं. उत्तराखंड में चुनाव परिणाम में भाजपा की शानदार जीत को देखते हुए धामी भाजपा के निर्णय को सही साबित करते नजर आये हैं. राज्य के 21 साल के इतिहास में पहली बार कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आ रही है.

हालांकि धामी अपनी खटीमा विधानसभा सीट से करीब 6,500 वोटों से विधानसभा चुनाव हार गये हैं. जुलाई में मुख्यमंत्री पद पर आसीन होते समय वह महज 45 साल के थे और राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने. उस समय उत्तराखंड में अनेक समस्याएं सामने थीं.

राज्य की अर्थव्यवस्था कोविड महामारी के कारण बेहाल थी, चार धाम के पुजारी एक नये नियामक बोर्ड के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और एक बड़ा कोविड जांच घोटाला भी सुर्खियों में रहा. भाजपा के अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह धामी ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के साथ काम करने वाले नेता के रूप में प्रस्तुत किया. धामी को अक्सर महाराष्ट्र के राज्यपाल तथा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का करीबी माना जाता है. वह कोश्यारी के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) और सलाहकार रहे थे.

उन्होंने 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के रूप में राजनीतिक करियर शुरू किया था. वह दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चुने गये और उन्होंने स्थानीय युवाओं के लिए उद्योगों में नौकरियों के आरक्षण के लिए अभियान भी चलाया.

धामी के पिता सेना में सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. वह पिथोरागढ़ के तुंडी गांव में जन्मे थे. उनका परिवार पैतृक गांव हरखोला छोड़कर वहां आकर बस गया था. जब धामी पांचवीं कक्षा में थे, तब उनका परिवार खटीमा में आकर बस गया. वह यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय से मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध (एचआरएम एंड इंडस्ट्रियल रिलेशन्स) में स्नातक की पढ़ाई करने वाले धामी ने विधि में भी डिग्री प्राप्त की है. अब देखना यह है कि पार्टी धामी की खुद की हार के बाद उन्हें शीर्ष पद के लिए फिर से चुनती है या नहीं.

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