सरकार ने देश में किसानों को सूदखोरों के कर्ज के जाल से मुक्त कराने के लिए बैंकिंग क्षेत्र की आर्थिक सहायता को बढ़ावा देने पर जोर देते हुये माना है कि आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को किसी भी प्रकार से मुआवजा देने का फिलहाल कोई प्रावधान नहीं है. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने शुक्रवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल में किसानों को ऋण जाल से मुक्त कराने के उपायों से जुड़े एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी. कर्ज के कारण आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को किसी योजना के तहत मुआवजा देने से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में रूपाला ने कहा, 'सरकार की ओर से किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कई कार्यक्रमों को अमल में लाये जा रहा हैं लेकिन आत्महत्या करने वाले किसानों को मुआवजा देने का प्रावधान वर्तमान में चलायी जा रही किसी नीति में नहीं है.'
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एक अन्य प्रश्न के उत्तर में रूपाला ने स्पष्ट किया कि किसानों को चार प्रतिशत ब्याज दर पर दिया जा रहा कर्ज सिर्फ कृषि कार्य के लिए है, इसमें कृषि कारोबार शामिल नहीं है. उन्होंने कहा कि किसानों को सूदखोरों के ऋणजाल से मुक्त कराने के लिये सरकार ने संस्थागत कर्ज के तहत सभी बैंकों को कृषि ऋण को सरल तरीके से जारी करने को बढ़ावा दिया गया है.
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रूपाला ने बताया कि वित्तीय संस्थाओं से किसानों को पर्याप्त रियायती ऋण की उपलब्धता का लक्ष्य 2016-17 में नौ लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2019-20 में 13.50 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है. इस मद में इस साल 30 अगस्त तक 6.96 करोड़ रुपये जारी कर दिये गये हैं.
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