पूर्वोत्तर में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन, कई संगठनों ने लिया हिस्सा

नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध कोरोनावायरस महामारी के कारण निलंबित कर दिया गया था. एक बार फिर पूर्वोत्तर में CAA के खिलाफ प्रदर्शन शुरु हो गया है.

पूर्वोत्तर में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन, कई संगठनों ने लिया हिस्सा

प्रतीकात्मक तस्वीर

गुवाहाटी:

नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध कोरोनावायरस महामारी के कारण निलंबित कर दिया गया था. एक बार फिर पूर्वोत्तर में CAA के खिलाफ प्रदर्शन शुरु हो गया है.पूर्वोत्तर के छात्र संगठन (NESO) ने कई जगहों पर इस कानून के खिलाफ काला झंडा लेकर विरोध प्रदर्शन किया.नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (NESO), खासी स्टूडेंट्स यूनियन (KSU), ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU), नागा स्टूडेंट्स फेडरेशन (NSF), मिज़ो ज़िरलाई पावल (MZP), ट्विप्रा स्टूडेंट्स फेडरेशन की तरफ से प्रदर्शन किये गए हैं, ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन , गारो स्टूडेंट्स यूनियन  और ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन , जो उत्तर-पूर्व क्षेत्र के आठ राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं ने पिछले सीएए विरोधी प्रदर्शनों की अगुवाई की थी.

इस दौरान इन संगठनों ने केएमएसएस के नेता अखिल गोगोई की रिहाई की मांग भी की जिन्हें पिछले साल विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में ले लिया गया था. राज्य भर में कृषक मुक्ति संग्राम समिति, ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू), असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, लाचित सेना समेत कई संगठनों ने रैलियां निकाली. विरोध प्रदर्शन शिवसागर से प्रारंभ हुआ जहां से पिछले साल इसकी शुरुआत की गई थी. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सीएए राज्य के मूल निवासियों की पहचान, भाषा और सांस्कृतिक धरोहर के खिलाफ है. उन्होंने कानून को वापस लेने की मांग की.

आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने संवाददाताओं को बताया कि संगठन ने यहां अपने कार्यालय पर काले झंडे लहराए और सीएए के विरोध में ‘नार्थ ईस्ट स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन' के तत्वावधान में पूर्वोत्तर के सात राज्यों में काले झंडे प्रदर्शित किए गए. आसू के अध्यक्ष दीपांक कुमार नाथ और महासचिव शंकर ज्योति बरुआ की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया, “सरकार को यह असम विरोधी कानून वापस लेना होगा. इसकी वजह से पांच असमी नागरिकों की जान चली गई जिनमें निर्दोष छात्र भी शामिल थे. दिवंगत लोगों के परिजन और आसू न्याय की मांग करते रहेंगे.” 

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(इनपुट भाषा से भी)