यह ख़बर 05 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

प्राइमटाइम इंट्रो : जनार्दन का विचार खारिज

नई दिल्ली:

नमस्कार मैं रवीश कुमार। कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने भी नहीं सोचा होगा कि उनके एक विचारवान बयान के ख़िलाफ़ सोनिया गांधी को सार्वजनिक रूप से बयान जारी करना पड़ जाएगा।

अंग्रेज़ी में जारी ई-मेल के ज़रिये सोनिया गांधी ने काफ़ी सख़्त लहज़े में कहा है कि कांग्रेस अनुसूचित जाति−जनजाति और पिछड़ों के जाति आधारित आरक्षण को बनाए रखने की बात करती है क्योंकि उन्हें सदियों से भेदभाव का सामना करना पड़ा है। सोनिया ने कहा है कि सोनिया गांधी किसी को ओबीसी, एससी, एसटी के आरक्षण पर कांग्रेस के स्टैंड को लेकर न तो शंका होनी चाहिए न भ्रम। कांग्रेस ने इसे लागू किया था, कांग्रेस इसे और मज़बूत करने में प्रयासरत है और कांग्रेस इसे जारी रखने में सबसे आगे रहेगी।
 
आरक्षण पर जॉन जानी जनार्दन के मूड में आए जनार्दन द्विवेदी का विचार बहस की मेज़ तक भी नहीं पहुंच सका। आज राज्य सभा में जब विपक्ष ने यह मामला उठा दिया तो सरकार और कांग्रेस ने सुबह ही दूरी बना ली। दरअसल यही होना भी था। कांग्रेस या बीजेपी कभी पार्टी के तौर पर आरक्षण के ख़िलाफ़ बोल ही नहीं सकती हैं। जो लोग एकाध नेताओं के आरक्षण विरोधी बयान सुनकर खुश हो जाते हैं, उन्हें कुछ दिन और संविधान और समाज का अध्ययन करना चाहिए।

यह विचार पहली बार जनार्दन जी की तरफ से आया हो ऐसा भी नहीं। सोनिया का बयान तो शाम को आया, लेकिन सुबह से लेकर शाम के बीच तमाम आलोचनाओं के बाद भी द्विवेदी जी अपने व्यक्तिगत विचार पर अड़े हुए थे। आज भी कहा कि जिनके लिए आरक्षण किया गया है उन तक लाभ नहीं पहुंचा। ये सवाल ग़रीबी का है, उसकी कोई जात नहीं होती। आपत्ति का मामला पॉलिटिक्स से जुड़ा है।

मायावतीजी इस देश की बड़ी नेता हैं, लेकिन अगर आप ग़ौर से देखें तो बहुजन से लेकर सर्वजन तक की उनकी यात्रा क्या है, वो समय के साथ दृष्टिकोण का परिवर्तन है।

उधर, मायावती ने जैसे ही जनार्दन द्विवेदी के बयान को निजी से कांग्रेस का घोषित कर निंदा तो की ही, कांग्रेस से कुछ सवाल भी कर डाले।

क्या देश में एससीएसटी ओबीसी के लोग इन तीनों मापदंडों में फॉर्वर्ड हो गए हैं क्या काफी एडवांस हो गए हैं, क्या काफी विकसित हो गए हैं, मैं समझती हूं, नहीं हुए हैं।

कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया, सोनिया के बयान के बाद आज प्राइम टाइम में होते तो उनकी बातों की धार आप देखते। वैसे कल वे द्विवेदी जी की वरिष्ठता का आदर करते हुए भी कई तरीके से साफ़ कर चुके थे कि यह बयान ठीक नहीं है। पीएल पुनिया ने कहा कि आज अनुसूचित जाति और जनजाति सांसदों के फोरम की बैठक में भी इसकी कड़ी निंदा की गई है। जाति के आधार पर आरक्षण से कोई समझौता नहीं है, बाकी जो करना है करे। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस हाईकमान से कार्यवाही करने की मांग की गई है।

बीजेपी के रविशंकर प्रसाद ने वही कहा जिसका मुझे अंदेशा था। रविशंकर के बयान का सार कुछ ऐसा लगा कि जनार्दन द्विवेदी ने यह बयान बीजेपी को फंसाने के लिए दिया है। उन्होंने कहा कि राहुल सोनिया के भाषण लिखने वाले जनार्दन द्विवेदी के बयान को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

एक नया ट्रायल बैलून छोड़ा गया है, चूंकि नरेंद्र मोदी जी अति पिछड़े वर्ग से आते हैं, जानकर एक नई बहस शुरू करने की कोशिश की जा रही है। इसे हम उचित नहीं मानते हैं।

नरेंद्र मोदी का पिछड़ा होना और द्विवेदी जी का जाति आधार पर आरक्षण की बात करना दोनों में संबंध वैसे बहुत साफ़ तो नहीं हुआ, लेकिन उनके अनुसार भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही कांग्रेस ने एक नई बहस चलाने का प्रयास किया है।

वैसे पिछले साल ठीक इसी दिन यानी 5 फरवरी के फाइनेंशियल टाइम्स में बीजेपी के महासचिव वरुण गांधी का बयान छपा है, जिसमें वे कह रहे हैं कि नौकरियों में अनुसूचित जाति−जनजाति के आरक्षण को समाप्त कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह आम जनता के हित के ख़िलाफ़ है और योग्य के अधिकार का हनन है।

अख़बार की रिपोर्ट से साफ़ नहीं हुआ था कि वरुण ने आरक्षण का विरोध कहां किया था। ख़ैर इसके एक महीने बाद वे बीजेपी के महासचिव बन गए। यू-टूब में जुलाई 2013 को नरेंद्र मोदी का अंग्रेज़ी में बोलते हुए एक वीडियो डाला गया है। इस वीडियो में मोदी भाषण नहीं दे रहे बल्कि निजी बातचीत जैसे प्रसंग में कह रहे हैं कि सभी के लिए शिक्षा की सुविधा हो तो आरक्षण कौन मांगेगा। अगर सबके लिए नौकरियां हों तो आरक्षण कौन मांगेगा। हमें बहुतायात के दौर 'एरा आफ प्लेंटी' का सृजन करना होगा। तब कोई आरक्षण की मांग नहीं करेगा। ये समय की बर्बादी है।

बीजेपी आरक्षण का समर्थन करती है। अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भी कहा है कि वे भी इसकी हिमायत करती हैं, मगर कांग्रेस दस साल से कहां थी। वैसे अकाली दल ओबीसी आरक्षण में जट सिख को शामिल करने की मांग करती रही है।

उधर, बाबा रामदेव कहते हैं कि आदरणीय जनार्दन द्विवेदी जी ने पहली बार एक अच्छी बात बोली है। कांग्रेस में अब भी कुछ भले आदमी शेष रहे हैं जो सच कहने का साहस कर रहे हैं, वैसा ही काम द्विवेदी जी ने किया है कि देश में जाति के आधार पर नहीं आर्थिक आधार पर आरक्षण हो, यही न्यायपूर्ण है।

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तो क्या बाबा रामदेव बीजेपी के भीतर भी जनार्दन द्विवेदी सा सच बोलने का साहस करने वाला ढूंढ़ निकालेंगे या सब अपना अपना निजी बयान देकर ही गायब हो जाएंगे। आज की बहस मंगलवार की बहस का विस्तार है। आज भी हम जातिगत आधार और आर्थिक आधार को लेकर बात करते हुए आरक्षित सीटों की राजनीति पर बात करेंगे। प्राइम टाइम में...