जान के लिये खतरा बन रहे हैं रेत माफिया, पर्यावरण के साथ रेल पटरी भी खतरे में

जान के लिये खतरा बन रहे हैं रेत माफिया, पर्यावरण के साथ रेल पटरी भी खतरे में

रेत के अवैध उत्खनन से रेल की पटरी की जमीन खिसकनी शुरू हो गई है

मुंबई:

मुंबई और महाराष्ट्र में रेत माफिया सिर्फ पर्यावरण के लिये ही नहीं लोगों की जिंदगी के लिये भी खतरा बन गये हैं। इसकी एक बानगी मुंबई और महाराष्ट्र में देखने को मिल रही है। रेत माफियाओं की वजह से एक रेल पटरी के धंसने का खतरा मंडराने लगा है। लिहाजा रेल विभाग को करोड़ों रुपये खर्च कर सुरक्षा दीवार बनानी पड़ रही है।
 
मसला मुंबई से लगे दिवा और कोपर रेल स्टेशन को जोड़ने वाली रेल पटरी से जुड़ा है। रोजाना लाखों लोग लोकल गाड़ी में बैठकर उस पटरी के ऊपर से यहां से वहां सफर करते हैं। अगर उस पटरी के अलाईनमेंट में जरा भी गड़बड़ी हो जाये तो क्या होगा इसकी कल्पना कर के ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

लेकिन ये सिर्फ कल्पना ही नहीं है। रेलवे अगर समय रहते नहीं जागती, तो ये डर हकीकत मे तब्दील हो सकता है। क्योंकि समंदर को खाड़ी से लगकर गुजर रही उस पटरी की जमीन खिसकनी शुरू हो चुकी है जिसे आसानी से देखा जा सकता है।
 
रेलवे की मानें तो जमीन का ये हाल रेत के अवैध उत्खनन से हुआ है। मध्य रेलवे के विभागीय प्रबंधक अमिताभ ओझा ने एनडीटीवी को बताया कि बार-बार जिले के कलेक्टर और पुलिस प्रशासन को इस समस्या से अवगत किया जाता रहा है। और रेलवे खुद सुरक्षा दीवार बनवा रही है ताकि संभावित खतरे को टाला जा सके।
 
रेत माफिया सिर्फ रेल पटरी के लिये ही खतरा नहीं है। उनकी वजह से ठाणे जिले की खाड़ि‍यों में उगे मैंग्रोव की झाड़ि‍यां भी समाप्त हो रही हैं जो पर्यावरण के लिये हानिकारक है। मैंग्रोव की सुरक्षा के लिये खासतौर पर बने मैंग्रोव सेल के मुखिया एन वासुदेवन के मुताबिक मैंग्रोव समंदर और जमीन दोनो के लिये जरूरी है। खासकर के मुंबई के लिये जो द्वीपों को मिलाकर बना है। मैंग्रोव के जंगल सभी द्वीपों को जोड़कर रखने में बड़ी भुमिका निभाते हैं। इसके साथ ही मछलियों के प्रजनन और उनके भोजन में भी सहायक होते हैं। इसीलिये मुंबई और नवी मुंबई में मैंग्रोव काटना अपराध है।
 
हैरानी की बात है कि रेत निकालने के लिये कई कड़े नियम हैं। कहीं से भी कोई रेत नहीं निकाल सकता। उसके लिये जगह निर्धारित है और बाकायदा नीलामी होती है। फिर भी रेत माफिया कैसे इतनी आसानी से रेत चोरी को अंजाम देते हैं? शिवडी पुलिस थाना इंचार्ज राजेंद्र द्वीवेदी जिन्होंने हाल ही में  अलीबाग के पास रेवदंडा से एक बड़े बार्ज में भरकर लाई गई 150 ब्रास रेत पकड़ी है। उन्होंने बताया कि ये चोरी की रेत एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिये नीलाम की हुई रेत की पुरानी रसीद रखते हैं। जब पकड़े जाते हैं तो वही रसीद दिखाकर निकल जाते हैं।
 
रेत का अवैध कारोबार सिर्फ मुंबई और महाराष्ट्र के समंदर में ही नहीं हो रहा है। राज्य के कई जिलों में बहने वाली नदियों में भी ये बदस्तूर जारी है। अभी हाल ही में सातारा जिले के कलेक्टर अश्वीन मुदगल ने वहां के घाटों मे छापा मारकर बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध रेत उत्खनन को पकड़ा है।
 
बताते हैं कि रेती के इस अवैध धंधे में अकूत पैसा है। इस धंधे में अलग-अलग इलाकों में कई गिरोह सक्रिय हैं जिनमें कुछ स्थानीय नेता और सरकारी अधिकारी भी मिले होते हैं। यानी पूरा काम एक माफिया गिरोह की तरह किया जाता है। ठाणे जिले के पालकमंत्री एकनाथ शिंदे के मुताबिक इसलिये रेत के अवैध कारोबारियों के खिलाफ अब राज्य सरकार ने एमपीडीए यानी महाराष्ट्र प्रिवेंशन ऑफ डेंजरस ऐक्टिविटी कानून का इस्तेमाल का फैसला किया है।

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