यह ख़बर 10 फ़रवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

बटला हाउस कांड पर राजनीति गरमाई, कांग्रेस बंटी

खास बातें

  • अल्पसंख्यकों को अपने पक्ष में करने के लिए सलमान खुर्शीद ने जब यहां तक कह दिया कि मुठभेड़ की तस्वीरें देखकर सोनिया गांधी रो पड़ी थीं, तब विरोधी दलों का तेवर नरम करने के लिए दिग्विजय सिंह ने इसे खुर्शीद का 'निजी बयान' बताकर पल्ला झाड़ लिया।
आजमगढ़/लखनऊ:

दिल्ली के बटला हाउस मुठभेड़ कांड ने उत्तर प्रदेश के राजनीतिक माहौल को फिर से गरमा दिया है। अल्पसंख्यकों को अपने पक्ष में करने के लिए केंद्रीय कानून मंत्री एवं कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने जब यहां तक कह दिया कि मुठभेड़ की तस्वीरें देखकर उनकी पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी रो पड़ी थीं, तब विरोधी दलों का तेवर नरम करने के लिए पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह ने इसे खुर्शीद का 'निजी बयान' बताकर पल्ला झाड़ लिया।

उधर, खुर्शीद के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता विनय कटियार ने शुक्रवार को सवाल किया कि सोनिया गांधी को बटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए पुलिसकर्मी की मौत पर क्या आंसू आए थे?

लखनऊ में संवाददाताओं से बातचीत में कटियार ने कहा, "सोनिया गांधी के रोने की बात सलमान खुर्शीद को चुनाव के समय ही क्यों याद आई?" उन्होंने सवाल किया, "क्या कांग्रेस अध्यक्ष को बटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के लिए भी कभी आंसू आए? क्या संसद पर हमले को दौरान मारे गए सुरक्षाकर्मियों के लिए भी सोनिया रोई हैं?"

इससे पहले आजमगढ़ जिले में एक चुनावी सभा के दौरान कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने गुरुवार शाम को कहा था, "बटला हाउस मुठभेड़ की घटना के समय मैं सरकार में नहीं था लेकिन एक वकील की हैसियत से मैं कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह के साथ सोनियाजी के पास गया और उन्हें मुठभेड़ की तस्वीरें दिखाईं तो वह रोने लगीं और तस्वीरों को सामने से हटाने के लिए कहते हुए प्रधानमंत्री के पास जाने को कहा था।"

खुर्शीद के इस बयान को उनकी पार्टी की तरफ से हालांकि खारिज कर दिया गया है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत में सोनिया के रोने की बात से इंकार करते हुए कहा कि यह सलमान का निजी वक्तव्य है।

मामले को तूल पकड़ता देख खुर्शीद ने शुक्रवार को कहा, "सोनिया भावुक हो गई थीं। क्या भावुक होना गलत है? मामले को इतना तूल क्यों दिया जा रहा है।"

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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में दिल्ली स्थित बटला हाउस मुठभेड़ में आजमगढ़ के रहने वाले दो युवक मारे गए थे जिन्हें पुलिस ने आतंकवादी बताया था।