याकूब मेमन की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और पार्टी के निष्कासित सांसद राम जेठमलानी सहित विभिन्न दलों के नेताओं, कानून के मशहूर जानकारों और अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े सौ से भी ज्यादा जानी-मानी हस्तियों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक नई याचिका दायर करके उनसे मुंबई विस्फोट मामले के दोषी याकूब मेमन की मौत की सजा माफ करने की गुजारिश की है। टाडा अदालत द्वारा जारी फांसी वारंट के अनुसार, मेमन को 30 जुलाई को फांसी दी जानी है।
याक़ूब की फांसी के ख़िलाफ़ राष्ट्रपति को लिखी दया याचिका में उन्होंने ये दलीलें दी है...
- मौत की सज़ा को ख़त्म करने की एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता है, जिसमें भारत भी शामिल है। हमारी दया याचिका पूरी तरह इस मामले से जुड़ी क़ानूनी प्रक्रिया के तहत दी गई है।
- याक़ूब मेमन को फांसी की सज़ा का दिन मुकर्रर करने वाला डेथ वारंट ग़ैरक़ानूनी है, क्योंकि इसे जारी करने से पहले याक़ूब मेमन को एडवांस नोटिस नहीं दिया गया, जिसके कारण उसके वकील इसके जारी होने के ख़िलाफ़ दलील नहीं दे सके।
- इस मामले में कुछ नए तथ्य सामने आए हैं, जिन्हें देखते हुए याक़ूब मेमन को फांसी की सज़ा अन्यायपूर्ण और अनुचित लगती है।
- मेमन पहले ही इस मामले में बीस साल से ज़्यादा लंबी जेल काट चुका है। वह मेमन फांसी दिए जाने लिए मानसिक तौर पर फिट नहीं है।
- इस मामले में ट्रायल कोर्ट से फांसी की सज़ा पाने वाले जिन दस लोगों की फांसी सुप्रीम कोर्ट ने उम्रक़ैद में बदली बम धमाकों में उनकी भूमिका याक़ूब मेमन से ज्यादा बड़ी रही है।
- याक़ूब ने आत्मसमर्पण करने के बाद इस अपने कबूलनामे में बम धमाकों में पाकिस्तान का हाथ होने से जुड़े तथ्य जांच एजेंसियों को दिए।
- आतंकवाद से जुड़े अन्य मामलों में दोषियों की फांसी की सज़ा उम्रक़ैद में बदली गई है।
- याक़ूब मेमन को उस क़ानून टाडा के तहत सज़ा सुनाई गई, जिसे अनुचित और भेदभाव भरा बताते हुए रद्द कर दिया गया है।
- इस मामले में दया मंजूर करने से यह संदेश जाएगा कि यह देश आतंकवाद के किसी कृत्य को बर्दाश्त नहीं करेगा, लेकिन एक देश के तौर पर हम दया की शक्ति, माफी और न्याय के मूल्यों को समान तरह से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। खून खराबे और मौतों से यह देश सुरक्षित जगह नहीं बनेगा, इससे हम सभी का अपमान होगा।
इन सब बातों के आधार पर सौ से ज़्यादा हस्तियों ने राष्ट्रपति को दया याचिका सौंपी है। पंद्रह पन्नों की इस दया याचिका में आठ पूर्व जजों के दस्तख़त शामिल हैं। इसके अलावा कई नेता, अभिनेताओं और समाजसेवियों के भी इसमें दस्तख़त शामिल हैं।
एक दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर उनकी तरीफ करने वाले बीजेपी सांसद सिन्हा ने मेमन मामले में एक बार पार्टी के विपरीत रुख अपनाया है। सिन्हा के अलावा, इस याचिका पर हस्ताक्षर करने वालों में राम जेठमलानी मणिशंकर अय्यर (कांग्रेस), मजीद मेमन (राकांपा), सीताराम येचुरी (माकपा), डी राजा (भाकपा), केटीएस तुलसी और एचके दुआ (मनोनीत) और टी शिवा (डीएमके) जैसे सांसदों, माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात, भाकपा (एमएल) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, बृंदा करात (माकपा), नसीरुद्दीन शाह, महेश भट्ट, एमके रैना और तुषार गांधी जैसे लोग शामिल हैं।
याक़ूब की फांसी के ख़िलाफ़ राष्ट्रपति को लिखी दया याचिका में उन्होंने ये दलीलें दी है...
- मौत की सज़ा को ख़त्म करने की एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता है, जिसमें भारत भी शामिल है। हमारी दया याचिका पूरी तरह इस मामले से जुड़ी क़ानूनी प्रक्रिया के तहत दी गई है।
- याक़ूब मेमन को फांसी की सज़ा का दिन मुकर्रर करने वाला डेथ वारंट ग़ैरक़ानूनी है, क्योंकि इसे जारी करने से पहले याक़ूब मेमन को एडवांस नोटिस नहीं दिया गया, जिसके कारण उसके वकील इसके जारी होने के ख़िलाफ़ दलील नहीं दे सके।
- इस मामले में कुछ नए तथ्य सामने आए हैं, जिन्हें देखते हुए याक़ूब मेमन को फांसी की सज़ा अन्यायपूर्ण और अनुचित लगती है।
- मेमन पहले ही इस मामले में बीस साल से ज़्यादा लंबी जेल काट चुका है। वह मेमन फांसी दिए जाने लिए मानसिक तौर पर फिट नहीं है।
- इस मामले में ट्रायल कोर्ट से फांसी की सज़ा पाने वाले जिन दस लोगों की फांसी सुप्रीम कोर्ट ने उम्रक़ैद में बदली बम धमाकों में उनकी भूमिका याक़ूब मेमन से ज्यादा बड़ी रही है।
- याक़ूब ने आत्मसमर्पण करने के बाद इस अपने कबूलनामे में बम धमाकों में पाकिस्तान का हाथ होने से जुड़े तथ्य जांच एजेंसियों को दिए।
- आतंकवाद से जुड़े अन्य मामलों में दोषियों की फांसी की सज़ा उम्रक़ैद में बदली गई है।
- याक़ूब मेमन को उस क़ानून टाडा के तहत सज़ा सुनाई गई, जिसे अनुचित और भेदभाव भरा बताते हुए रद्द कर दिया गया है।
- इस मामले में दया मंजूर करने से यह संदेश जाएगा कि यह देश आतंकवाद के किसी कृत्य को बर्दाश्त नहीं करेगा, लेकिन एक देश के तौर पर हम दया की शक्ति, माफी और न्याय के मूल्यों को समान तरह से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। खून खराबे और मौतों से यह देश सुरक्षित जगह नहीं बनेगा, इससे हम सभी का अपमान होगा।
इन सब बातों के आधार पर सौ से ज़्यादा हस्तियों ने राष्ट्रपति को दया याचिका सौंपी है। पंद्रह पन्नों की इस दया याचिका में आठ पूर्व जजों के दस्तख़त शामिल हैं। इसके अलावा कई नेता, अभिनेताओं और समाजसेवियों के भी इसमें दस्तख़त शामिल हैं।
एक दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर उनकी तरीफ करने वाले बीजेपी सांसद सिन्हा ने मेमन मामले में एक बार पार्टी के विपरीत रुख अपनाया है। सिन्हा के अलावा, इस याचिका पर हस्ताक्षर करने वालों में राम जेठमलानी मणिशंकर अय्यर (कांग्रेस), मजीद मेमन (राकांपा), सीताराम येचुरी (माकपा), डी राजा (भाकपा), केटीएस तुलसी और एचके दुआ (मनोनीत) और टी शिवा (डीएमके) जैसे सांसदों, माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात, भाकपा (एमएल) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, बृंदा करात (माकपा), नसीरुद्दीन शाह, महेश भट्ट, एमके रैना और तुषार गांधी जैसे लोग शामिल हैं।
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