आयकर विभाग का दावा कि महेश शाह ने गुजरात और महाराष्ट्र में भारी निवेश किया है
अहमदाबाद:
13,800 करोड़ के काले धन को घोषित करके सबको चौंकाने वाले गुजराती कारोबारी महेश शाह को आयकर विभाग ने अहमदाबाद में हिरासत में ले लिया. माना जाता है कि शाह गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में जमीन का कारोबार करता था.
दरअसल, वीडीआई स्कीम के तहत महेश शाह की घोषणा के बाद आयकर विभाग ने कार्रवाई कर की और महेश शाह ग़ायब हो गया था. फिर शनिवार शाम नाटकीय तरीके से वो एक टीवी स्टूडियो में पहुंच गया था, जिसके बाद आयकर विभाग ने ये कार्रवाई की.
महेश शाह शनिवार की शाम एक स्थानीय न्यूज चैनल पहुंचा और दावा किया वो पैसा उसका नहीं बल्कि नेताओं का है. शाह ने कहा, "वो पैसा मेरा नहीं है. वह पैसा कई लोगों का है जिसमें नेता, बाबू और बिल्डर्स शामिल हैं."
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की इस योजना के तहत 30 सितंबर तक सरकार को 45 प्रतिशत टैक्स देकर अघोषित आय घोषित की जा सकती थी. इस योजना के तहत अघोषित आय पर टैक्स चुकाने के बाद आय की स्वैच्छिक घोषणा करने वाले पर आयकर विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होनी थी. यहीं महेश से चूक हो गई. उन्होंने 13 हजार करोड़ रुपये अघोषित आय की जानकारी आयकर विभाग को दी तो सही पर टैक्स चुकाए बिना.
शाह को इसके तहत इन्हें चार किश्तों में 45 प्रतिशत टैक्स भरना था. 30 नवम्बर से पहले इन्हें इसका पहला 25 प्रतिशत यानी 1560 करोड़ रुपये जमा करना था लेकिन अचानक मियाद खत्म होने से पहले इनकम टैक्स विभाग ने 28 नवम्बर को ही पूरा डिस्क्लोजर रद्द करके 29 और 30 नवम्बर को इसके औऱ इनके सीए तेहमूल सेठना के ठिकानों पर सर्च किया.
दरअसल, वीडीआई स्कीम के तहत महेश शाह की घोषणा के बाद आयकर विभाग ने कार्रवाई कर की और महेश शाह ग़ायब हो गया था. फिर शनिवार शाम नाटकीय तरीके से वो एक टीवी स्टूडियो में पहुंच गया था, जिसके बाद आयकर विभाग ने ये कार्रवाई की.
महेश शाह शनिवार की शाम एक स्थानीय न्यूज चैनल पहुंचा और दावा किया वो पैसा उसका नहीं बल्कि नेताओं का है. शाह ने कहा, "वो पैसा मेरा नहीं है. वह पैसा कई लोगों का है जिसमें नेता, बाबू और बिल्डर्स शामिल हैं."
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की इस योजना के तहत 30 सितंबर तक सरकार को 45 प्रतिशत टैक्स देकर अघोषित आय घोषित की जा सकती थी. इस योजना के तहत अघोषित आय पर टैक्स चुकाने के बाद आय की स्वैच्छिक घोषणा करने वाले पर आयकर विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होनी थी. यहीं महेश से चूक हो गई. उन्होंने 13 हजार करोड़ रुपये अघोषित आय की जानकारी आयकर विभाग को दी तो सही पर टैक्स चुकाए बिना.
शाह को इसके तहत इन्हें चार किश्तों में 45 प्रतिशत टैक्स भरना था. 30 नवम्बर से पहले इन्हें इसका पहला 25 प्रतिशत यानी 1560 करोड़ रुपये जमा करना था लेकिन अचानक मियाद खत्म होने से पहले इनकम टैक्स विभाग ने 28 नवम्बर को ही पूरा डिस्क्लोजर रद्द करके 29 और 30 नवम्बर को इसके औऱ इनके सीए तेहमूल सेठना के ठिकानों पर सर्च किया.
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