गांधी परिवार पर निशाना साधने के लिए पीएम ने लिया नेहरू, इंदिरा और राजीव का सहारा

गांधी परिवार पर निशाना साधने के लिए पीएम ने लिया नेहरू, इंदिरा और राजीव का सहारा

लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी...

नई दिल्ली:

संसद के बजट सत्र में पीएम नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए पूर्व पीएम राजीव गांधी के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि वह सदन की गरिमा बनाए रखने पर जोर देते थे। संसद की कार्यवाही को बाधित करके विपक्ष को क्या हासिल होगा। पीएम मोदी ने कहा - संसद की कार्यवाही कैसे चलनी चाहिए इस पर बड़े लोगों की सलाह लेनी चाहिए। इस मामले में राष्ट्रपति की सलाह सर्वोपरि होनी चाहिए।

स्पीकर सुमित्रा महाजन का धन्यवाद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि SRI (स्पीकर रिसर्ज इनिशिएटिव) योजना से काफी लाभ होगा। देश की महिला सांसदों की सर्वदलीय बैठक की तैयारी चल रही है। यह एक अच्छा कदम है। इसके अलावा लोकसभा में पीएम मोदी के दिए भाषण के मुख्य अंश कुछ इस तरह हैं -

सदन न चलने से विपक्ष का ज्यादा नुकसान
अगर सदन नहीं चलता है तो सत्ता पक्ष का नुकसान ज्यादा नहीं होता, देश का नुकसान सबसे ज्यादा होता है और उससे भी ज्यादा विपक्ष के सांसदों का नुकसान होता है। सांसदों के पास सरकार से सवाल करने का मौका होता है। सरकार से सफाई लेनी होती है।

राजीव गांधी के भाषण का जिक्र
चर्चा के दौरान सदन की गरिमा और मर्यादा बनी रहे तो बात और अच्छे से रखी जा सकती है। यह उपदेश नरेंद्र मोदी का नहीं, भारत के पूर्व पीएम राजीव गांधी का है। राष्ट्रपति की राय भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी का काफी समय सदन में बिताया है।

सोमनाथ चटर्जी ने कहा था, संसद का सदस्य होना सौभाग्य की बात
पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि संसद को चलाने पर उन्होंने काफी बढ़िया बात कही। संसद का सदस्य होना बड़े सौभाग्य की बात है। यहां पर जनता से जुड़े निर्णय होते हैं।

पंडित नेहरू ने भी किया था सदन चलने देने का आग्रह
पंडित जवाहर लाल नेहरू की बात याद करते हुए पीएम मोदी ने सदन चलने देने का आग्रह किया। जलशक्ति का उपयोग करने के लिए सरकार काम करना चाहती है, लेकिन विपक्ष ऐसे बिल को रोककर क्या पाना चाहता है।

कांग्रेस के लाए बिलों को भी आगे नहीं बढ़ने दिया जा रहा
व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल भी है, इस क्यों रोका जाए, कोई तर्क नहीं है। जीएसटी बिल पर पीएम ने कहा कि इसे क्यों रोका जा रहा है। यह तो कांग्रेस का बिल है। ग्राहकों की सुरक्षा का बिल है उसे क्यों रोका जा रहा है।

महिला सांसदों को और पहली बार सांसद बने लोगों को अलग से मौका मिले
इस बार 8 मार्च महिला दिवस के मौके पर क्या महिला सदस्यों को ही बोलने का मौका दिया जाए। साल में एक सत्र में एक हफ्ता ऐसा हो जिसमें पहली बार सांसद बने लोगों को बोलने का मौका मिले। इससे संसद को ताजगी भरे विचार मिलेंगे। उन्हें अवसर देना चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकास के लिए किसी मुद्दे पर चर्चा हो
टिकाऊ विकास लक्ष्य, यानी सस्टेनेबल डेवलेपमेंट टार्गेट पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि क्या एक सत्र के एक दिन हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकास के लिए किसी मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं।

पानी पर चर्चा बहुत जरूरी है
शिक्षा भले ही राज्यों का विषय हो, लेकिन प्राथमिक शिक्षा का विषय पीड़ा का विषय है। हमें बाकी सब चीजों पर बात करनी चाहिए, लेकिन पानी बहुत जरूरी है।

न्याय पर विलंब में चर्चा हो
न्याय में विलंब, न्याय न देने के समान है क्या सदन में ऐसे विषयों पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। एक्सपर्ट लोगों की राय लेकर चर्चा हो ताकि कोई रास्ता निकल सके।

हीन भावना के चलते बोलने नहीं दिया जाता
सांसद सतपति के विचार की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सदन क्यों नहीं चलने दिया जाता है। इसलिए नहीं कि सरकार के प्रति रोष है बल्कि हीन भावना की वजह से ऐसा होता है, क्योंकि विपक्ष में भी अच्छे सांसद हैं लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जाता है।

मेक इन इंडिया का मजाक उड़ाया जा रहा है
मेक इन इंडिया का मजाक उड़ाया जा रहा है। उसकी कमियां उजागर करें लेकिन इस तरह की सोच के साथ नहीं कि यह कामयाब नहीं होना चाहिए।

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के भाषण का जिक्र
पता नहीं क्यों हम ऐसा करते हैं कि दुनिया में हमारी इमेज ऐसी बने कि हम भीख का कटोरा लेकर निकले हैं। यह बात पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कही थी।

ये काम नहीं हुए थे इसलिए...
स्कूलों में शौचालय बनाने के सरकार के काम पर पीएम मोदी ने कहा, चार लाख शौचालय बनाए क्योंकि पुरानी सरकारों ने यह काम नहीं किया। बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद सुलझाया क्योंकि पहले नहीं हुआ। 18 हजार गांव में बिजली पहुंची क्योंकि आजादी के इतने साल तक यह नहीं हुआ।

मनरेगा पर बोले पीएम मोदी
मनरेगा पर पीएम मोदी ने कहा कि रोजगार योजना का इतिहास बहुत पुराना है। राजाओं के समय भी ऐसा होता था। 1972 में महाराष्ट्र की रोजगार गारंटी योजना। 1980 में नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट योजना, 1983 में भी ऐसी ही योजना आई। 1989 में भी जवाहर रोजगार योजना आई। 1993 में एम्प्लायमेंट इंश्योरेंस स्कीम आई। वाजपेयी जी की सरकार में संपूर्ण ग्रामीण योजना आई। 2004 में काम के बदले अनाज की योजना और फिर 2006 में नरेगा फिर मनरेगा...

गरीबी की जड़ें जमा दी गई हैं
गरीबों की भलाई के लिए इस प्रकार की योजना चलाई जाती है। पीएम मोदी ने कहा कि गरीबी की जड़ें इतनी जमा दी गई हैं कि उसे उखाड़ने में समय तो लगेगा। यह सच है कि इस देश में पिछले 60 साल में अगर गरीबी की समस्या को ठीक से देखा गया होता तो गरीब को गड्ढ़ा नहीं खोदना पड़ता।

मनरेगा की कमियों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं
कांग्रेस के सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि मनरेगा में काफी भ्रष्टाचार है। पीएम मोदी ने कहा कि यह सच है। गरीबों के नाम पर रुपये लूटे जा रहे हैं। इसलिए हमने कुछ सुधार का प्रयास किया है। सीएजी ने कहा कि जिन राज्यों को गरीबों की श्रेणी में रखा जाता है और शासन अच्छा चला है वहां मनरेगा का सही प्रयोग हुआ है और जहां गरीबी सही में है वहां इसका सही प्रयोग नहीं हुआ। सात साल के बाद भी पांच राज्यों ने मनरेगा पर कोई नियम नहीं बनाए।

सदन ईर्ष्या भाव से काम करने के लिए नहीं
सदन ईर्ष्या भाव से काम करने के लिए नहीं है। आज विपक्ष के कुछ नेताओं को यह चिंता सता रही है कि अच्छा काम क्यों हो रहा है। दो योजनाओं की तुलनात्मक स्टडी की जरूरत है। एक अटल जी के समय की पीएम ग्राम सड़क योजना और दूसरी मनरेगा।

फूड सिक्योरिटी को लेकर कांग्रेस पर निशाना
फूड सिक्योरिटी पर पीएम मोदी ने कहा कि मई 2014 में 11 राज्यों ने हड़बड़ी में इसे स्वीकार किया। आज भी चार ऐसे हैं, जिनमें इस योजना का नाम भी नहीं है। इसमें केरल, मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं, जहां कांग्रेस की सरकार हैं। कुल आठ राज्यों ने इस योजना को लागू नहीं किया गया है।

असहिष्णुता पर बोले पीएम
सार्वजनिक जीवन वाले व्यक्ति से सवाल पूछे जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों से सवाल नहीं होते। असहिष्णुता के मुद्दे पर कटाक्ष करते हुए पीएम मोदी ने अब लोग बोल रहे हैं, लेकिन पहले नहीं कर पाते थे। दूसरों को उपदेश देना आसान है, लेकिन खुद आचरण वैसे रखें ऐसे लोग कम हैं।

राहुल पर साधा निशाना
पीएम मोदी ने कहा कि ये देश 27 सितंबर 2013 की तारीख नहीं भूलता। जब तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह अमेरिका में थे तब यहां एक ऑर्डिनेंस फाड़ा गया।

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अफसरशाही की जवाबदेही खत्म होती जा रही है
पीएम मोदी ने कहा कि संसद की कार्यवाही का स्तर इतना गिर गया है कि सांसद के प्रश्न के जवाब से अधिकारी अब डरते नहीं हैं। तू-तू मैं-मैं में अफसरशाही बेफिक्र होती जा रही है। एक सांसद सरकारी अधिकारी के लिए पीएम से कम नहीं है। पीएम मोदी ने कहा कि अफसरशाही की जवाबदेही समाप्त होती जा रही है। संसद में ही इनकी जवाबदेही तय होती है। इसलिए यह आवश्यक है कि हमारी कार्यपालिका की जवाबदेही तय हो। यह एक चुनौती है जिसके लिए सामूहिक प्रयास करना होगा। अरबों रुपये की तनख्वाह जा रही है। भारत जैसे लोकतंत्र में हम देश के नागरिकों को अफसरशाही के ऊपर नहीं छोड़ सकते हैं।