125 साल पहले भी 9/11 हुआ था : स्वामी विवेकानंद पर पीएम मोदी की कही 10 रोचक बातें

स्वामी विवेकानंद के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन को संबोधित करने के 125 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 125 साल पहले भी एक 9/11 हुआ था.

125 साल पहले भी 9/11 हुआ था : स्वामी विवेकानंद पर पीएम मोदी की कही 10 रोचक बातें

पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण की 10 रोचक बातें

नई दिल्ली:

स्वामी विवेकानंद के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन को संबोधित करने के 125 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 125 साल पहले भी एक 9/11 हुआ था. उस समय स्वामी विवेकानंद ने विश्व का रास्ता दिखाया था. वह दिन प्रेम, सद्भाव और भाईचारे के बारे में था. स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जनसेवा ही प्रभुसेवा है. उस समय के समाज की कल्पना कीजिए जब पूजा-पाठ और परंपराओं की समाज में पैठ थी. ऐसे समय में 30 साल का नौजवान यह कह दे कि मंदिर में बैठने से भगवान नहीं मिलने वाला. समाज सेवा करने से भगवान मिलेगा. 

जानें पीएम नरेंद्र मोदी क्यों बोले- लोगों ने तो मेरे बाल नोंच लिए​

पीएम मोदी के भाषण की 10 मुख्य बातें

1. 125 साल पहले भी एक 9/11 हुआ था, जब स्वामी विवेकानंद ने विश्व को रास्ता दिखाया. 1893 के 9/11 में प्रेम, सद्भाव और भाईचारा था.

2. स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि मंदिर में बैठने से भगवान नहीं मिलेंगे, जनसेवा से मिलेंगे

3.वह कभी गुरु की खोज में नहीं निकले, सत्य की तलाश में थे.

4. हमारे यहां तो भिखारी को भी तपोज्ञान, कहता है जो दे उसका भी भला जो न दे उसका भी भला

5. पान की पिचकारी मारने वाले को वंदेमातरम कहने का हक नहीं

6. जब मैंने कहा, पहले शौचालय फिर देवालय, तो लोगों ने मेरे बाल नोंच लिए

7. हमारे देश के बारे में कहा जाता था कि यह सांप संपेरों का देश है

8.एकादशी को क्या खाना है और पूर्णिमा को क्या नहीं, यही सोचा जाता था.

9.मैंने देखा है कि कुछ लोग कॉलेजों में डे मनाते हैं, आज रोज डे है.. कुछ लोग इसका विरोध करते हैं. मैं विरोधी नहीं हूं. कॉलेज विचार व्यक्त करने का स्थान है. क्या हरियाणा का कॉलेज तय करता है कि आज तमिल डे या पंजाब का कॉलेज केरल डे मनाएगा. वहां की संस्कृति को जिएं। क्या इससे एक भारत श्रेष्ठ भारत नहीं बनेगा.

10. जब मैं मेक इन इंडिया कहता हूं तो कई लोग इसका विरोध करते हैं. अगर कोई विवेकानंद और जमशेद जी टाटा के बीच पत्र व्यवहार को देखें तो आप पाएंगे कि विवेकानंद उनसे कहते हैं कि भारत में उद्योग लगाओ ना.


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