यह ख़बर 30 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

पीएसएलवी सी-23 लॉन्च : पीएम नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा, सार्क सैटेलाइट विकसित करें

श्रीहरिकोटा:

श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से सोमवार को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-23 लॉन्च कर दिया गया है। करीब 49 घंटे की उल्टी गिनती के बाद 30 जून को सुबह 9 बजकर 52 मिनट पर इसे अंतरिक्ष में छोड़ा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इस प्रक्षेपण को देखने के लिए वहां उपस्थित रहे।

पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को इस कामयाबी के लिए बधाई दी और कहा कि हम इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पा चुके हैं। हमने तमाम सैटलाइट भेजे हैं। भारत करीब 19 देशों के सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेज चुका है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस तरह के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को समर्थन देती रहेगी। भारत के वैज्ञानिकों ने भारत को पूर्णत: आत्मनिर्भर बनाया है। अंग्रेजी में दिए गए इस भाषण में मोदी ने कहा कि वैज्ञानिकों की मेहनत सफल रही है। मोदी ने वैज्ञानिकों को कॉस्ट इफेक्टिव तकनीक पर भी बधाई दी है। उन्होंने कहा कि हॉलीवुड की फिल्म 'ग्रैविटी' में जितना खर्चा आया है, हमारे मार्स मिशन में उससे भी कम खर्चा हुआ। पीएम ने वैज्ञानिकों के काम की सराहना की, लेकिन साथ ही कहा, 'ये दिल मांगे मोर'।

मोदी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने शून्य दिया और विज्ञान ने इतनी तरक्की की। बहुत लोग यह सोचते हैं कि वैज्ञानिक सिद्धियां सामान्य नागरिक के प्रयोग से बाहर की चीज हैं, लेकिन इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। मोदी ने कहा कि स्पेस साइंस केे महत्व को लोगों को अनुभव कराना चाहिए। मोदी ने कहा कि सरकार वैज्ञानिकों के मेहनत को मानवजाति के कल्याण में प्रयोग लाएगी।

मोदी ने कहा कि तकनीक से विकास के नए रास्ते खुलते हैं। स्पेस दूर है, लेकिन आज यह काफी करीब हो गया है। यह तमाम सुदूरवर्ती इलाकों में रहने वालों के काम भी आ रहा है। सैटेलाइट तकनीक ने दूरियां मिटा दी हैं। इसने डिजीटल इंडिया का नया विचार दिया। तमाम स्पेस से जुड़ी तकनीक ने मानव जाति के कल्याण में मदद की है। शहरों के विकास में सहयोग किया है। पर्यावरण के संरक्षण में भी स्पेस तकनीक योगदान दिया है। हमें आगे जमीन से जुड़े मुद्दों में भी रिकॉर्ड रखने में इस तकनीक का प्रयोग करना होगा।

सैटेलाइट के जरिये तमाम जिंदगियों को बचाने में इस तकनीक ने काफी काम किया है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक के तमाम फायदे हैं और अभी इसका प्रयोग बढ़ाने की जरूरत है।  उन्होंने कहा कि हम अपने तमाम डाटा कई देशों के साथ साझा करते हैं और उनका भी फायदा होता है। उन्होंने का कहा कि मैं अपने वैज्ञानिकों से सार्क सैटेलाइट बनाने की उम्मीद करता हूं ताकि हमारे पड़ोसियों को भी इसका लाभ मिल सके।

मोदी ने कहा कि मानव संसाधन विकास की जरूरतों में भी तकनीक का प्रयोग होना चाहिए। मोदी ने कहा कि हमें नए वैज्ञानिकों की आवश्यकता है।

आज भेजे गए इस यान के जरिये पांच सैटेलाइट अंतरिक्ष में पहुंचाए गए हैं, जिनमें सबसे बड़ा और अहम सैटेलाइट है स्पॉट−7, जो फ्रांस का है। इसके अलावा कनाडा, जर्मनी व सिंगापुर के चार अन्य उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाया जाएगा। इस यान की लागत करीब 100 करोड़ रुपये है।

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र चेन्नई से करीब 100 किलोमीटर दूर है। इसरो अब तक 35 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण कर चुका है।

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