लद्दाख दौरे पर गए पीएम मोदी ने वहां जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि मां भारती की जिस तरह आप ढाल बनकर सेवा करते हैं उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता है. पीएम मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता...जिनके सिंहनाद से सहमी, धरती रही अभी, धरती रही अभी तक डोल, कलम आज उनकी जय बोल....पंक्तियां सुनाते हुआ कहा कि तो मैं आज मैं अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं और आपका अभिनंदन करता हूं. मैं गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों की पुन: श्रद्धाजंलि अर्पित करता हूं. उनके सिंह नाद से धरती अभी उनका जयकारा कर रही है. आज हर देशवासी का सिर आपके सामने अपने देश के वीर के सामने आदर पूर्वक नतमस्तक होकर नमन करता है. पीएम मोदी ने कहा कि आज आपके वीरता और पराक्रम से फूली हुई है. साथियों सिंधु के आशीर्वाद से ये धरती फूली हुई है. लेह, लद्दाख से लेकर करगिल और सियाचीन, गलवान घाटी के ठंडे पानी तक, हर जर्रा जर्रा, हर पत्थर भारतीय सैनिकों के पराक्रम की गवाही देती है. दुनिया ने आपका अद्मय साहस देखा है जाना है आपकी शौर्य गाथाएं गूंज रही है.
पीएम मोदी ने लद्दाख में कहीं 10 बड़ी बातें
- हमारे यहां कहा जाता है, वीर भोग्य वसुंधरा. यानी वीर अपने शस्त्र की ताकत से ही मातृभूमि की रक्षा करते हैं. ये धरती वीर भोग्या है.
- आप उसी धरती के वीर हैं, जिसने हजारों वर्षों से अनेकों आक्रांताओं के हमलों और अत्याचारों का मुंहतोड़ जवाब दिया है. हम वो लोग हैं जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं, वहीं सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण को भी अपना आदर्श मानते हैं.
- साम्राज्यवाद का युग चला गया है. विश्व आप विकास के रास्ते पर चला गया है. साम्राज्यवादी ताकतों ने पिछली सदी में दुनिया का नुकसान किया था. लेकिन बाद में वे तो हार गए या फिर भुला दिया गया.
- आत्मनिर्भर भारत का संकल्प आपके त्याग, बलिदान, पुरुषार्थ के कारण आर भी मज़बूत होता है..
- वीरता ही शांति की पूर्व शर्त होती है. भारत आज जल, थल, नभ और अंतरिक्ष तक अगर अपनी ताकत बढ़ा रहा है तो उसके पीछे का लक्ष्य मानव कल्याण ही है. भारत आज अगर अस्त्र-शस्त्र का निर्माण कर रहा है तो दुनिया का तकनीक भारत की सेना के लिए ला रहे हैं तो उसके पीछे भी यही है.
- अगर हम याद करें, विश्व युद्ध हो या फिर शांति की बात या विश्व ने हमारे वीरों का भी पराक्रम देखा है. विश्व ने उन पराक्रम को महसूस भी किया है. हमने हमेशा मानवता और उनके सुरक्षा के लिए जीवन खपाया है.
- आप जिस सपने को लेकर देश की रक्षा कर रहे हैं हम उसको पूरा करके रहेंगे. हम आत्मनिर्भर भारत बनाकर रहेंगे.
- इसकी रक्षा-सुरक्षा को हमारा सामर्थ्य और संकल्प हिमालय जैसा ऊंचा है. ये सामर्थ्य और संकल्प में आज आपकी आंखों पर, चेहरे पर देख सकता हूं. उन्होंने कहा देश के वीर सपूतों ने जो अदम्य साहस दिखाया है वह पराक्रम की पराकाष्ठा है
- जब मैं राष्ट्र रक्षा के किसी निर्णय के बार में सोचता हूं तो मैं सबसे पहले दो माताओं के बारे में सोचता हूं. पहली- हम सभी की भारत माता. दूसरी- वे वीर माताएं जिन्होंने आप जैसे पराक्रमी योद्धाओं को जन्म दिया है. मेरे निर्णय की कसौटी यही है.
- विश्व युद्ध हो या फिर शांति की बात, जब भी जरुरत पड़ी है तो विश्व ने हमारे वीरों का पराक्रम भी देखा है और विश्व शांति के उनके प्रयासों को महसूस भी किया है: