प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि केंद्र की सरकार में विश्वास का संकट है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'हर भारतीय' को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि वह लोगों की भलाई की चिंता करते हैं।
मोदी सरकार में विश्वास का संकट
बीफ या मुजफ्फरनगर और किसी अन्य जगह पर होने वाले साम्प्रदायिक दंगों जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कुछ न बोलने को लेकर भी सिंह ने उनकी आलोचना की। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, 'लोग सरकार में विश्वास नहीं करते।' उन्होंने आगे कहा, 'जब वे (संभवत: उद्योगपति) जाते हैं और मंत्रियों से मुलाकात करते हैं तो वे अच्छी बातें करते हैं, लेकिन जब वे बाहर आते हैं तो सभी कहते हैं कि ज्यादा कुछ नहीं बदला है... आज सरकार में विश्वास का संकट है।'
बीफ विवाद और असहनशीलता जैसे मुद्दों पर चुप्पी
पूर्व प्रधानमंत्री ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि बीफ विवाद और असहनशीलता जैसे मुद्दे समस्याएं रही हैं। उन्होंने कहा, 'ये सभी समस्याएं हैं। हमारे देश में लोग प्रधानमंत्री से उम्मीद रखते हैं कि वह जनमत के प्रबंधन के मामले में नेतृत्व करें। लेकिन उन्होंने (मोदी ने) कभी नहीं बोला। चाहे बीफ का विवाद हो या मुजफ्फरगनर और अन्य जगहों पर हुई घटनाओं का मामला हो।' उन्होंने कहा, 'मैं नहीं जानता। मैं उनके दिमाग को नहीं पढ़ सकता। लेकिन वह भारत के सभी लोगों के प्रधानमंत्री हैं। उन्हें हर भारतीय को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि हमारा प्रधानमंत्री ऐसा है जो सभी के हितों की चिंता करता है।'
व्यापारिक समुदाय के भीतर विश्वास की कमी
एक सवाल के जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा कि 2008 के आर्थिक संकट के दौरान सरकार ने सभी से बात की। उन्होंने कहा, 'लेकिन आज ऐसा लगता है कि व्यापारिक समुदाय के भीतर विश्वास की कमी है। मैं नहीं समझ पा रहा कि यह क्या है... जब वे सिविल सेवकों से बात करते हैं, तो वे उनसे कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि बॉस कौन है।' सिंह ने कहा, 'जब हम सरकार में थे, तो व्यापारिक समुदाय करों के आतंकवाद की बड़ी-बड़ी बातें करता था। मैं आज भी व्यापारिक समुदाय के लोगों से यही सब सुनता हूं जब वे आते हैं और मुझसे बातें करते हैं।'
तेल से होने वाला फायदा हमेशा नहीं रहने वाला
यह पूछे जाने पर कि मोदी सरकार को क्या करना चाहिए, इस पर सिंह ने कहा कि पहले उन्हें यह समझना चाहिए कि तेल से हो रहा फायदा हमेशा कायम नहीं रहने वाला। उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन इस सरकार ने पांच में से दो साल लोगों को अहसास दिए बगैर ही बिता दिए कि देश उपर की ओर बढ़ रहा है।' उन्होंने कहा, 'उदाहरण के तौर पर - बैंक क्रेडिट आगे नहीं बढ़ रहा। बैंक क्रेडिट की वृद्धि दर उस समय के मुकाबले काफी नीचे है, जब अर्थव्यवस्था ऊपर की ओर बढ़ रही होती।'
बड़ी ताकतों के साथ रिश्तें सुधारे हैं
वहीं सरकार की विदेश नीति से जुड़े एक सवाल के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़ी ताकतों के साथ रिश्तों में सुधार हुआ है, लेकिन उनकी सरकार के साथ भी ऐसा ही था। सिंह ने कहा कि सरकार की विदेश नीति की असली परीक्षा पड़ोसियों से संबंधों को बेहतर बनाए रखने में होती है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को लेकर मोदी सरकार की नीति 'उतार-चढ़ाव वाली' रही है। इसमें एक कदम आगे बढ़ाया जाता है तो फिर दो कदम पीछे भी आ जाते हैं।' उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर मैं यह नहीं कह सकता कि पाकिस्तान के साथ मेरी सरकार का रिश्ता समस्याओं से मुक्त था... मोदी सरकार प्रधानमंत्री के शपथग्रहण समारोह के लिए नवाज शरीफ को आमंत्रित करने के लिए परंपराओं से हट गई, जो एक अच्छा कदम था। लेकिन इससे जो फायदा उठाना चाहिए था वह नहीं हो सका, क्योंकि मोदी सरकार ने शर्त रख दी कि पाकिस्तानी सरकार हुर्रियत से बात नहीं कर सकती और इसलिए बातचीत रद्द कर दी गई।'
बीजेपी ने इन आलोचनाओं को बताया 'अनुपयुक्त'
वहीं मनमोहन सिंह द्वारा की गई आलोचना पर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह आलोचना 'अनुपयुक्त' है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए 'मुद्रा' और 'जन धन' सहित कई अन्य कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा, 'सिंह की राय का स्वागत है। उन्होंने प्रधानमंत्री को समूचे भारत का प्रधानमंत्री बनने की सलाह दी है और मैं कहना चाहूंगी कि मोदी का प्रचार था 'सबका साथ, सबका विकास' और वह इसे पूरी तरह निभा रहे हैं।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
मोदी सरकार में विश्वास का संकट
बीफ या मुजफ्फरनगर और किसी अन्य जगह पर होने वाले साम्प्रदायिक दंगों जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कुछ न बोलने को लेकर भी सिंह ने उनकी आलोचना की। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, 'लोग सरकार में विश्वास नहीं करते।' उन्होंने आगे कहा, 'जब वे (संभवत: उद्योगपति) जाते हैं और मंत्रियों से मुलाकात करते हैं तो वे अच्छी बातें करते हैं, लेकिन जब वे बाहर आते हैं तो सभी कहते हैं कि ज्यादा कुछ नहीं बदला है... आज सरकार में विश्वास का संकट है।'
बीफ विवाद और असहनशीलता जैसे मुद्दों पर चुप्पी
पूर्व प्रधानमंत्री ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि बीफ विवाद और असहनशीलता जैसे मुद्दे समस्याएं रही हैं। उन्होंने कहा, 'ये सभी समस्याएं हैं। हमारे देश में लोग प्रधानमंत्री से उम्मीद रखते हैं कि वह जनमत के प्रबंधन के मामले में नेतृत्व करें। लेकिन उन्होंने (मोदी ने) कभी नहीं बोला। चाहे बीफ का विवाद हो या मुजफ्फरगनर और अन्य जगहों पर हुई घटनाओं का मामला हो।' उन्होंने कहा, 'मैं नहीं जानता। मैं उनके दिमाग को नहीं पढ़ सकता। लेकिन वह भारत के सभी लोगों के प्रधानमंत्री हैं। उन्हें हर भारतीय को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि हमारा प्रधानमंत्री ऐसा है जो सभी के हितों की चिंता करता है।'
व्यापारिक समुदाय के भीतर विश्वास की कमी
एक सवाल के जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा कि 2008 के आर्थिक संकट के दौरान सरकार ने सभी से बात की। उन्होंने कहा, 'लेकिन आज ऐसा लगता है कि व्यापारिक समुदाय के भीतर विश्वास की कमी है। मैं नहीं समझ पा रहा कि यह क्या है... जब वे सिविल सेवकों से बात करते हैं, तो वे उनसे कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि बॉस कौन है।' सिंह ने कहा, 'जब हम सरकार में थे, तो व्यापारिक समुदाय करों के आतंकवाद की बड़ी-बड़ी बातें करता था। मैं आज भी व्यापारिक समुदाय के लोगों से यही सब सुनता हूं जब वे आते हैं और मुझसे बातें करते हैं।'
तेल से होने वाला फायदा हमेशा नहीं रहने वाला
यह पूछे जाने पर कि मोदी सरकार को क्या करना चाहिए, इस पर सिंह ने कहा कि पहले उन्हें यह समझना चाहिए कि तेल से हो रहा फायदा हमेशा कायम नहीं रहने वाला। उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन इस सरकार ने पांच में से दो साल लोगों को अहसास दिए बगैर ही बिता दिए कि देश उपर की ओर बढ़ रहा है।' उन्होंने कहा, 'उदाहरण के तौर पर - बैंक क्रेडिट आगे नहीं बढ़ रहा। बैंक क्रेडिट की वृद्धि दर उस समय के मुकाबले काफी नीचे है, जब अर्थव्यवस्था ऊपर की ओर बढ़ रही होती।'
बड़ी ताकतों के साथ रिश्तें सुधारे हैं
वहीं सरकार की विदेश नीति से जुड़े एक सवाल के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़ी ताकतों के साथ रिश्तों में सुधार हुआ है, लेकिन उनकी सरकार के साथ भी ऐसा ही था। सिंह ने कहा कि सरकार की विदेश नीति की असली परीक्षा पड़ोसियों से संबंधों को बेहतर बनाए रखने में होती है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को लेकर मोदी सरकार की नीति 'उतार-चढ़ाव वाली' रही है। इसमें एक कदम आगे बढ़ाया जाता है तो फिर दो कदम पीछे भी आ जाते हैं।' उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर मैं यह नहीं कह सकता कि पाकिस्तान के साथ मेरी सरकार का रिश्ता समस्याओं से मुक्त था... मोदी सरकार प्रधानमंत्री के शपथग्रहण समारोह के लिए नवाज शरीफ को आमंत्रित करने के लिए परंपराओं से हट गई, जो एक अच्छा कदम था। लेकिन इससे जो फायदा उठाना चाहिए था वह नहीं हो सका, क्योंकि मोदी सरकार ने शर्त रख दी कि पाकिस्तानी सरकार हुर्रियत से बात नहीं कर सकती और इसलिए बातचीत रद्द कर दी गई।'
बीजेपी ने इन आलोचनाओं को बताया 'अनुपयुक्त'
वहीं मनमोहन सिंह द्वारा की गई आलोचना पर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह आलोचना 'अनुपयुक्त' है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए 'मुद्रा' और 'जन धन' सहित कई अन्य कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा, 'सिंह की राय का स्वागत है। उन्होंने प्रधानमंत्री को समूचे भारत का प्रधानमंत्री बनने की सलाह दी है और मैं कहना चाहूंगी कि मोदी का प्रचार था 'सबका साथ, सबका विकास' और वह इसे पूरी तरह निभा रहे हैं।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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