अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों से इस मुद्दे पर अनावश्यक बयान देने से बचने और देश में सौहार्द बनाए रखने को कहा. इस बारे में सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि मंत्रिपरिषद की एक बैठक में पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों से कहा कि देश में सौहार्द बनाए रखना हर किसी की जिम्मेदारी है. उन्होंने इस मुद्दे पर अनावश्यक बयानबाजी से बचने को कहा. गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में इससे पहले अपना फैसला सुना सकता है.
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वहीं मंत्रिपरिषद की बैठक में मोदी ने जोर देते हुए कहा कि फैसले को हार-जीत के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. बता दें, पीएम मोदी के इस बयान से पहले सत्तारूढ़ भाजपा ने भी अपने कार्यकर्ताओं और प्रवक्ताओं से राम मंदिर मुद्दे पर भावनात्मक या उकसाने वाले बयान देने से बचने के लिए कहा था. पार्टी ने शांति कायम रखने के लिए अपने सांसदों से अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में जाने को भी कहा था. इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने भी कुछ दिन पहले अपने स्वयंसेवकों से इसी तरह की अपील की थी.
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संघ के शीर्ष नेतृत्व ने ‘प्रचारकों' की हालिया बैठक में कहा था कि अगर राम मंदिर का फैसला उनके पक्ष में आया, तो वे ना ही कोई जश्न मनाएं और ना ही जुलूस निकालें. बता दें, संघ और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरूओं और बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी और उस दौरान इस बात पर ज़ोर दिया गया कि शीर्ष न्यायालय का फैसला चाहे जो भी हो न तो कोई "जूनूनी जश्न" होना चाहिए और न ही "हार का हंगामा हो." केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर यह बैठक हुई थी.
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